औषधीय जड़ी-बूटी: लखनऊ

विचार II - दर्शन/गणित/चिकित्सा
22-06-2017 12:00 PM
औषधीय जड़ी-बूटी: लखनऊ
जब दवाईयों का प्रचलन समाज में नही था तब उस वक्त इलाज के लिये मनुष्यों को जड़ी बूटियों पर निर्भर रहना पड़ता था। वर्तमान काल मे भी जड़ी बूटियों का प्रयोग एक व्यापक पैमाने पर किया जाता है। वनस्पति जगत मे जड़ी बूटी वाली वनस्पतियों का एक अलग ढाँचा निर्मित किया गया है जिसमे जड़ी बूटी से सम्बन्धित वनस्पतियों को रखा जाता है। भारत मे कुल 3000 नसलों की दवाई सम्बन्धी वनस्पतियां पायी जाती हैं जिनका फैलाव हिमालय से लेकर दक्षिणी छोर तक है। मुख्य जड़ी-बूटीयों मे अर्जुन, अर्क, अश्वगंधा, बबूल, बिलवा, इलायची, काली मुसली, लंका आदि हैं। इन सभी जड़ी-बूटियों का प्रयोग विभिन्न प्रकार के रोगों से छुटकारा पाने के लिये किया जाता है। यदि भारत के प्राचीनतम औषधालय कि बात की जाए तो यह पटना के कुम्रहार पुरातात्विक स्थान पर था और उसका नाम आरोग्यविहार था। लखनऊ कि राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान व यहाँ के वनस्पती बाग में कई प्रकार के औषधीय पौधों को उगाया जाता है तथा यहाँ इनके उपर शोधकार्य भी किया जाता है। पहले चित्र मे प्रस्तुत पौधा वनकुमारी या नागदमन नाम से जाना जाता है। इसकी मान्यता यह है कि इसके आसपास सर्प नही आते हैं। इसके साथ ही साथ इसके कई औषधीय गुण भी है। यह सूजन, ज्वर आदि मे प्रयोग मे लाया जाता है। दूसरे चित्र मे कैक्टस पौधा है जो डायबिटीज़, डायरिया आदि के लिये प्रयोग किया जाता है। यह पौधा मरुस्थलीय इलाकों मे मुख्यरूप से पाया जाता है। वर्तमान मे इन पौधों को सजावट के लिये भी प्रयोग मे लाया जाता है। 1. आयुर्वेदिक ड्रग प्लान्ट्स: अनिल कुमार धिमन 2. मेडिसिनल प्लान्ट्स: डॉ. एस. के. जैन