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हमारे जीवन में रंगों का विशेष महत्व है या कहें हमारी दुनिया ही रंगीन है। कुछ रंग इसमें प्रकृति ने बिखेरे हैं, तो कुछ मानव ने डाले हैं। यह तो सर्वविदित है कि रंगों का आभास हमें हमारे नेत्रों से होता है। किंतु संसार में कई लोग ऐसे हैं जो रंगों के सामने होते हुए भी उनसे अनभिज्ञ रहते हैं अर्थात उन्हें पहचान नहीं पाते हैं। यह कोई सामान्य बात नहीं है यह एक विशेष प्रकार का रोग है जिसे वर्णांधता कहा जाता है। जिसमें व्यक्ति की रंगों को पहचानने या किसी विशेष रंग को पहचानने की क्षमता समाप्त हो जाती है या सामान्य व्यक्ति से कम हो जाती है।
यह रोग जन्म से अथवा कुछ अन्य रोगों के प्रभाव से भी उत्पन्न हो सकता है। कभी-कभी यह किसी विशेष नेत्ररोग जैसे दृष्टि तंत्रिका के विकार या मस्तिष्क विकार से भी उत्पन्न हो जाता है, जिसे उचित चिकित्सा के माध्यम से दूर किया जा सकता है, किंतु जन्म से प्रभावित इस रोग को समाप्त नहीं किया जा सकता। मानव नेत्र द्वारा सभी रंगों की पहचान त्रिवर्णता के सिद्धान्त के आधार पर की जाती है, जो तीन मुख्य रंगों (लाल, हरा, नीला) के भिन्न-भिन्न अनुपात में मिश्रण से तैयार होते हैं। लाल-हरा रंग का अंधापन सबसे आम है, इसके बाद नीले-पीले रंग का अंधापन और संपूर्ण रंग अंधापन होता है। लाल-हरे रंग का अंधापन उत्तरी यूरोपीय में 8% पुरुषों और 0.5% महिलाओं को प्रभावित करता है। जिन व्यक्तियों को रंगों की पहचान करने हेतु तीन मुख्य रंगों से कम या अधिक रंगों की आवश्यकता होती है, वे विकृत त्रिवर्णक कहे जाते हैं या कुछ व्यक्तियों को दो ही रंगों के माध्यम से रंगों की पहचान होती है, तो वे द्विवर्णक (Dichromates) तथा इसी क्रम में एकवर्णक (Monochromates) कहलाते हैं। इसमें एकवर्णक व्यक्ति सर्वाधिक वर्णांधता से प्रभावित होता है। रंगों के अनुसार ही वर्णांधता होती है अर्थात जिसे जिस रंग की पहचान नहीं होती उसे उसी रंग की वर्णांधता होती है। आप इस लिंक (https://enchroma.com/pages/color-blindness-test#test) में दिये गये परिक्षण के माध्यम से अपने नेत्रों की स्थिति जान सकते हैं।
कारण :-
वर्णान्धता सामान्यतः वंशानुगत होती है। लाल, हरे और नीले रंग का अंधापन, आमतौर पर रोगी माता-पिता के जीन्स से व्यक्ति के एक्स गुणसूत्र (X chromosome) में आते हैं। यही वजह है कि महिलाओं से ज्यादा पुरुष इस रोग से प्रभावित होते हैं। दुनिया भर में 25 करोड़ से अधिक लोग वर्णान्धता से प्रभावित हैं। जिनमें से ज्यादातर में यह विकृति उनकी माता से आती है, इसमें माता स्वयं तो इस रोग से ग्रसित नहीं होती है, किंतु बच्चों में यह एक वाहक के रूप में संक्रमित हो जाता है। लंबे समय से चलने वाली बीमारियां जैसे -मधुमेह, मल्टीपल स्केलेरोसिस (Multiple sclerosis), कुछ लीवर (liver) की बीमारियां तथा आंखों की लगभग सभी बीमारियों से यह रोग उत्पन्न हो सकता है। वर्णान्धता के प्रभाव दोष के आधार पर हल्के, मध्यम या गंभीर हो सकते हैं। यदि आपको विरासत में वर्णांधता मिली है, तो यह स्थिति आजीवन बनी रहेगी - इसके कोई भयानक प्रभाव नहीं होंगे।
आंख की रेटिना (Retina) में छड़ और शंकु (rods and cones) नामक दो प्रकार की प्रकाश-संवेदनशील कोशिकाएं होती हैं। छड़ कम रोशनी में देखने में सहायक होती हैं, जबकि शंकु दिन में देखने में सहायक होते हैं तथा दोनों रंगों के मध्य अंतर देखने के लिए भी उत्तरदायी होते हैं। वर्णान्धता के सटीक कारणों के लिए अभी भी शोध किये जा रहे हैं, लेकिन ऐसा माना जाता है कि वर्णान्धता आमतौर पर दोषपूर्ण शंकुओं के कारण होती है लेकिन कभी-कभी शंकु से मस्तिष्क तक जाने वाली नसों में दोष के कारण भी यह रोग हो सकता है।
सामान्य दृष्टि वाले लोगों में तीनों प्रकार के शंकु और नसें सही कार्य करते हैं किंतु जब अधिक शंकु दोषपूर्ण होते हैं तो वर्णांधता हो जाती है। उदाहरण के लिए, यदि लाल शंकु दोषपूर्ण है तो आप लाल रंग वाले रंगों को स्पष्ट रूप से नहीं देख पाएंगे। वर्णान्धता वाले अधिकांश लोग लाल और हरे रंग के कुछ रंगों को अलग नहीं कर सकते हैं।
एक वर्णान्ध व्यक्ति भारत के किसी उच्च स्तरीय सिविल सेवा उम्मीदवार के रूप में योग्य नहीं माना जाता क्योंकि आईपीएस(IPS) और अन्य पुलिस सेवाओं, जैसे आरटीएस(RTS) और आरपीएफ(RPF) के 'तकनीकी' पदों के लिए उच्च ग्रेड की रंग दृष्टि की आवश्यकता होती है। एक रूचिकर तथ्य और विश्व व्याप्त फेसबुक का रंग भी इसी रोग के प्रभाव के कारण नीला है अर्थात फेसबुक के निर्माता मार्क ज़करबर्ग लाल और हरे रंग की वर्णांधता से प्रभावित हैं तथा नीला रंग उन्हें स्पष्ट दिखाई देता है, इसी कारण उन्होंने सम्पूर्ण फेसबुक का रंग नीला कर दिया।
संदर्भ:
1.https://en.wikipedia.org/wiki/Color_blindness
2.http://edition.cnn.com/2010/TECH/social.media/09/20/zuckerberg.facebook.list/index.html
3.http://www.colourblindawareness.org/colour-blindness/causes-of-colour-blindness/