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25 दिसंबर आ चुका है और हम में से अधिकांश लोग क्रिसमस मनाने के लिए उत्सुक हैं। क्रिसमस को हम लोग यीशु मसीह के जन्म दिवस के रूप में मनाते हैं, इस अवसर पर जानते हैं यीशु मसीह के जन्म स्थान के कुछ रोचक तथ्यों के बारे में। आखिर कहाँ जन्मे थे यीशु, दुनिया के कौनसे भाग में है ये स्थान, तथा आज किस स्वरुप में ये मौजूद है?
यीशु मसीह का जन्म स्थान मूल रूप से बेथलहम (अर्थात ‘हाउस ऑफ ब्रेड / House of Bread’) को माना जाता है लेकिन इस संबंध में कई लोगों की अलग-अलग मान्यताएं हैं। नया करार दो स्थानों पर इस बात का वर्णन करता है कि, यीशु का जन्म बेथलहम में हुआ था। ल्युक के धर्मोपदेश के अनुसार, यीशु के माता-पिता नाज़ारेथ में निवास करते थे, लेकिन वे रोम की जनगणना के लिये बेथलहम आए थे क्योंकि हर नागरिक को अपने गाँव में अपना पंजीकरण करवाना था। और उनके परिवार के नाज़ारेथ लौटने से पूर्व वहीं यीशु का जन्म हुआ था।
वहीं मैथ्यू के धर्मोपदेश के अनुसार, यीशु का जन्म बेथलहम में हुआ था। उनके जन्म के बाद वहां के राजा हिरोड ने बेथलहम में दो साल से छोटे सभी बच्चों को मारने का आदेश दिया था, लेकिन यूसुफ को भगवान के दूत द्वारा चेतावनी दिए जाने पर यीशु का परिवार वहां से मिस्र चला गया। कुछ समय बाद वे नाज़ारेथ में बस गए।
हालांकि कई नवीन विद्वान इनके जन्म स्थान को लेकर आश्वस्त नहीं हैं। साथ ही मार्क के धर्मोपदेश और जॉन के धर्मोपदेश ने यीशु के जन्म स्थान का ज़िक्र या उनके जन्म का वर्णन नहीं किया है, वे सिर्फ उनका नाज़ारेथ से संबंध वहाँ के निवासी के रूप में बताते हैं।
वहीं बेथलहम में स्थित ‘दी चर्च ऑफ़ नेटिविटी (The Church of Nativity)’ को पहले ईसाई रोमन सम्राट, कॉन्स्टैंटीन और उनकी मां हेलेना द्वारा 327 में बनवाया गया था। इस चर्च को उस गुफा के ऊपर बनाया गया है, जहाँ मैरी ने यीशु को जन्म दिया था। इस गुफा को ग्रोटो (Grotto) के नाम से भी जाना जाता है। इस बात की प्रामाणिकता इसाई पक्षसमर्थक जस्टिन मार्टियर के लेखन पर आधारित है, जिसमें उन्होंने बताया कि जोसफ को गाँव में कहीं रुकने का स्थान न मिलने के कारण उनके परीवार ने बेथलहम के बाहर एक गुफा में शरण ली थी और वहीं यीशु जन्मे थे।
विश्व में सबसे पुराना पूर्ण और निरंतर संचालित चर्च ऑफ़ नेटिविटी सदियों के युद्ध, विद्रोह और नवीनीकरण के बावजूद आज तक अपने अस्तित्व में है। कॉन्स्टैंटीन द्वारा 330 में बनाये गए मूल चर्च को शायद 529 में समारिटन विद्रोह के दौरान खंडित कर दिया गया था। बायज़ेन्तीन सम्राट जस्टिनियन ने चर्च को दुबारा एक बड़े स्वरूप में निर्मित किया, जो आज भी उसी स्वरूप में है। वहीं जब फारसी सैनिकों ने सभी गिरजाघरों को नष्ट करने के इरादे से 614 में बेथलहम पर हमला किया तो ऐसा कहा जाता है कि जब उन्होंने एक चित्र में फारसी वस्त्र धारण किये कुछ लोगों को देखा तो उन्होंने चर्च ऑफ़ नेटिविटी को निरापद छोड़ दिया। 638 में अरब-मुस्लिम कब्जे के दौरान, खलीफा उमर के शासन में ईसाई और मुस्लिम शांतिपूर्वक रहने लगे। खलीफा ने चर्च के दक्षिण झरोखे पर प्रार्थना करना आरंभ कर दिया था। तब से चर्च ईसाई और मुस्लिम दोनों के लिए प्रार्थना का स्थान बन गया।
बेथलहम में वर्तमान में मुस्लिमों की संख्या फिलिस्तीनी ईसाई से कई अधिक है। हालांकि यह अभी भी फिलिस्तीनी ईसाई समुदाय का घर है। बेथलहम में क्रिसमस का त्यौहार तीन अलग-अलग तिथियों पर आयोजित किया जाता है। 25 दिसंबर को, जो रोमन कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट संप्रदायों द्वारा पारंपरिक तारीख है, लेकिन ग्रीक, कॉप्टिक और सीरियाई रूढ़िवादी ईसाई 6 जनवरी को क्रिसमस का जश्न मनाते हैं और 19 जनवरी को आर्मेनियाई रूढ़िवादी ईसाई क्रिसमस मनाते हैं। बेथलेहम में अधिकांश क्रिसमस जुलूस चर्च के सामने मौजूद ‘मेंजर स्क्वायर’ (Manger Square) से होकर गुजरते हैं। रोमन कैथोलिक सेंट कैथरीन चर्च में क्रिसमस मनाते हैं और प्रोटेस्टेंट अक्सर चरवाहों के मैदानों में।
संदर्भ:
1.https://bit.ly/2Lxaep5
2.https://www.allaboutjesuschrist.org/birthplace-of-jesus-faq.htm
3.https://en.wikipedia.org/wiki/Bethlehem