सम्पूर्ण भारत मे कई प्रकार के पट्ट खेलों का प्रचलन प्राचीन काल से ही रहा है। अलग-अलग प्रदेशों कि एक विशिष्ट भूमिका रही है जिसे वहाँ के लोग खेलते आ रहें हैं। कुछ प्रमुख पट्ट खेलों मे शतरंज, चौपड व सांप सीढ़ी इत्यादि हैं।
समय के साथ-साथ कई देशों के भारत पर आक्रमण व विस्थापन से कई प्रकार के पट्ट खेल भी यहाँ पर आये जो कि यहाँ के खेलों के बहुरूपता मे मिल गएँ। महाभारत तथा अन्य भारतीय महाकाव्यों तथा पुराणों मे विभिन्न प्रकार के पट्ट खेलों का विवरण हमें मिलता है जो कि पट्ट खेलों कि महत्ता को प्रदर्शित करता है।
अल्ल्यन मिनेर अपनी पुस्तक "सितार एंड सरोद इन १८ एंड १९ सेंचुरी" मे लखनऊ के लोगों कि रोजमर्रा के जिंदगी के बारे मे बताते हैं, “यहाँ के अमीर लोगों को फिजूलखर्ची करना तथा मुर्गों कि लड़ाई, पतंगबाजी व पट्ट खेल खेलना पसंद था”।
पट्ट खेलों मे बहुरूपता के बाद भी लखनऊ मे शतरंज प्रमुख खेल रहा है। शतरंज के मोहरों का निर्माण यहाँ के कारीगर हाथी के दांतों से करते थे, जिसमे कई विभिन्न प्रकार कि कलाएँ सम्मिलित थीं।