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आज के समय में विकासशील और विकसित देशों में शहरीकरण काफी आम हो गया है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें लोग अच्छे स्वास्थ्य, शिक्षा, अच्छी साफ-सफाई, अच्छे निवास और व्यवसायिक अवसरों की तलाश में ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर पलायन करते हैं। शहरीकरण एक क्रमिक प्रकिया है, जो कई सारी आर्थिक, राजनैतिक और भौगोलिक कारणों पर निर्भर करती है। सामान्य तौर से शहरीकरण शहरों और गाँवों की उस वृद्धि को दिखाता है, जिसमें लोग ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर अच्छे जीवन की तलाश में जाते हैं। यही कारण है कि आज के समय में विश्व भर में शहरी जनसंख्या में इज़ाफा होता जा रहा है। इसलिए शहरीकरण को कस्बों और शहरों में लोगों की प्रगतिशील वृद्धि के रुप में भी देखा जा सकता है। शहरीकरण आज के दौर में विश्व भर में आर्थिक वृद्धि का सबसे महत्वपूर्ण पहलू बन चुका है क्योंकि शहरीकरण और आर्थिक वृद्धि दोनों एक दूसरे से परस्पर जुड़े हुए हैं। किसी देश की आर्थिक तरक्की उस देश के प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि को दर्शाती है। शहरीकरण की प्रक्रिया कुछ औद्योगिक शहरी केंद्रों के क्रमिक विकास के साथ-साथ ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों की बची हुई आबादी के स्थांनातरण पर भी निर्भर करती है। जहां यह देश के आर्थिक विकास में सहायक हैं वहीं कुछ नकारात्मक प्रभावों की ओर भी अग्रसर हैं। इसके उद्देश्यों को प्राप्त करना इतना आसान नहीं है। शहरीकरण के सकारात्मक प्रभावों को प्राप्त करने हेतु इसके सामने कुछ चुनौतियां हैं जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
• सार्थक सार्वजनिक नीति के अभाव में शहरीकरण के सकारात्मक प्रभाव आसानी से प्रदूषण, यातायात की भीड़ और जीवन यापन की उच्च लागत के कारण विफल हो जाते हैं।
शहरीकरण साझा समृद्धि से भी जुड़ा हुआ है तथा साझा समृद्धि अर्थात शहर और ग्रामीण क्षेत्रों को समान रूप से विकसित करने की ओर अग्रसर है। यह कुछ लक्ष्यों पर केंद्रित है जो शहरों तथा ग्रामीण क्षेत्रों के समान आर्थिक विकास को बढ़ावा देंगे। शहरीकरण साझा समृद्धि के लक्ष्यों को प्राप्त करने के महत्त्व निम्नलिखित हैं:
• यह घटना पहले भी 1950 के दशक में देखी गई थी जिसे साइमन कुज़नेट्स ने अनुभव किया था।
संदर्भ: