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                                            लखनऊ अपनी चिकनकारी कढ़ाई के अलावा अपने आभूषणों और मुगल साम्राज्य के दौरान विकसित हुए कपड़ों के लिए भी जाना जाता है। लखनऊ में मुगल साम्राज्य के दौरान जूते तथा चांदी और सोने के उपयोग से की गई कढ़ाई काफी प्रसिद्ध थी। मुगल काल आभूषणों के सबसे भव्य युगों में से एक था, जिसे वृत्तांत और चित्रों के माध्यम से अच्छी तरह से प्रलेखित किया गया है। पहले के मुगल चित्रों से संकेत मिलता है कि अकबर के शासनकाल के दौरान, विदेशी डिज़ाइनों (Designs) की एक श्रृंखला को कला में एक नया जीवन मिला था।
मुगलों ने आभूषणों के विकास के लगभग सभी क्षेत्रों में अपना योगदान दिया था। गहनों का उपयोग जीवन शैली का एक अभिन्न अंग था, चाहे वह राजा हो, पुरुष या महिला या फिर राजा का घोड़ा ही क्यों ना हो। महिलाओं द्वारा गहने के 8 जोड़े पहने जाते थे और वहीं पगड़ी के गहने को सम्राट का विशेषाधिकार माना जाता था। उस समय यूरोप के प्रभावों में लगातार परिवर्तन को पगड़ी के गहनों के डिज़ाइन में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
भारत में सोने और चांदी को न केवल एक कीमती धातु के रूप में देखा जाता है, बल्कि इसे पवित्र भी माना जाता है। यह एक कारण है कि अक्षय तृतीया और धनतेरस जैसे शुभ दिन पर भारतीय परिवारों द्वारा सोने या चांदी के आभूषण खरीदे जाते हैं क्योंकि इसे भाग्यशाली माना जाता है। वैदिक हिंदू परंपरा भी सोने को अमरता का प्रतीक मानती है।
भारत में आभूषणों का न केवल पारंपरिक और सौंदर्य मूल्य है, बल्कि वित्तीय संकट के समय में सुरक्षा के स्रोत के रूप में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। शुरुआती दौर में आभूषणों का विकास कला के रूप में हुआ था। भारतीय गहनों की सुंदरता और उनके जटिल डिज़ाइन का श्रेय कई प्रयासों में निहित है। भारतीय आभूषणों ने कुचिपुड़ी, कथक या भरतनाट्यम जैसे भारत के विभिन्न लोकप्रिय नृत्य रूपों की सुंदरता को उजागर करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। विभिन्न नृत्य रूपों का प्रदर्शन करने वाले शास्त्रीय नर्तकों को शानदार भारतीय आभूषणों से अलंकृत किया जाता है।
भारत के विभिन्न हिस्सों में प्रसिद्ध आभूषणों के डिज़ाइन पारंपरिक और समकालीन दोनों शैलियों में भारतीय आभूषणों को एक विशाल विविधता प्रदान करते हैं। तमिलनाडु और केरल के सोने के आभूषणों के डिज़ाइन प्रकृति से प्रेरित होते हैं और कुंदन और मीनाकारी शैली के आभूषण मुगल राजवंश के डिज़ाइन से प्रेरित हैं। वहीं भारतीय दुल्हन के गहनों का प्रसंग और रंग इसे जटिल रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आभूषणों के आकर्षक तत्व को निखारने के लिए, हीरे और विभिन्न अन्य रत्नों का उपयोग सोने की आधार धातु पर किया जाता है।
प्राचीन काल से ही भारत के शाही वर्ग द्वारा गहनों की कला को संरक्षण दिया गया है। भारतीय गहनों में व्यापक विविधता की उपलब्धता मुख्य रूप से क्षेत्रीय आवश्यकताओं के आधार पर डिज़ाइनों में अंतर के कारण है जिसमें विभिन्न संस्कृतियों और उनकी जीवन शैली के लोगों के अलग-अलग स्वाद शामिल हैं। निस्संदेह, भारतीय गहनों की यात्रा बहुत लंबी रही है, लेकिन इस लंबी यात्रा ने इसके आकर्षण में वृद्धि ही की है।
संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Mughal_clothing
2. https://www.culturalindia.net/jewellery/history.html
3. https://bit.ly/2maHt9k