क्या वास्तव में मनुष्य बन जाएगा मशीनों का गुलाम?

संचार और सूचना प्रौद्योगिकी उपकरण
09-10-2019 02:21 PM
क्या वास्तव में मनुष्य बन जाएगा मशीनों का गुलाम?

कृत्रिम बुद्धिमत्ता या आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) एक ऐसी संरचना है जो वर्तमान समय में पूरे विश्व भर में अपनी छाप छोड़ रही है। यह तकनीकी हमारे मोबाइल (Mobile) से लेकर कंप्यूटर (Computer) आदि में निहित है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता एक ऐसा प्रोग्राम (Program) है जो प्रत्येक व्यक्ति के दिमाग और उसके कार्यकलापों के आधार पर कार्यान्वित होता है। आज के जगत में यह एक बड़े संचार तंत्र के रूप में पूरे विश्व भर में फ़ैल चुका है। आइये फिर जानने की कोशिश करते हैं इसके सकारात्मक और नकारात्मक दोनों विषयों को।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर वर्तमान काल में कई वाद विवाद हो रहे हैं और वहीं से यह तथ्य निकल कर आया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता मनुष्य के मस्तिष्क को पूर्ण रूप से अपने आगोश में ले लेगा। दुनिया के विभिन्न चोटी के वैज्ञानिकों, जिसमें स्टीफन हॉकिंग और इलोन मस्क भी शामिल हैं, ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता वाली मशीनों (Machines) को मानव नियंत्रण में रखने के लिए अहतियाती उपायों में शोध की वकालत की है। विभिन्न फिल्मों (Films) में रोबोट (Robot) विद्रोह आदि को दिखाया गया है और जैसा कि हमें पता है, रोबोट भी कृतिम बुद्धिमत्ता के आधार पर कार्य करता है, तो यह भी एक पहलू है जो ऐसी भावना को जन्म देता है। अभी हाल में ही सोफ़िया नामक कृत्रिम बुद्धिमत्ता से लैस रोबोट को बाज़ार में उतारा गया जिसकी बुद्धिमत्ता और मानवों को समझने की परख ने यह साबित कर दिया कि वह किस प्रकार से मानव संवेदनाओं को समझ सकती है। विल स्मिथ की फिल्म ‘आई रोबोट’ (I Robot) में रोबोटों के विद्रोह को दिखाया गया है। इसके अलावा टर्मिनेटर आदि फिल्मों में भी यही दिखाया गया है।

यह विषय कहीं न कहीं विभिन्न वैज्ञानिकों के लिए एक चिंता का विषय ज़रूर है। विभिन्न भविष्यवाणियों की मानें तो यह कहा जा रहा है कि आने वाले युग में नौकरियाँ और काम आदि रोबोट ही करेंगे। अब यह तथ्य इस बात की ओर दिशा निर्देशित करता है कि ऐसी स्थिति में लोगों की नौकरियों पर इसका दुष्प्रभाव पड़ेगा। ऐसे में कई विद्वानों ने तकनीकी के इस अवांछित प्रभाव से बचने के लिए कई उपायों की संरचना तैयार की है। इन शोधों में पता चला है कि शिक्षकों, सॉफ्टवेर (Software) अभियंताओं आदि की नौकरियों पर इसका कोई भी प्रभाव नहीं पड़ेगा और ऐसी ही कई अन्य नौकरियां हैं जिन पर इनका प्रभाव नहीं पड़ेगा, परन्तु फिर भी एक बड़ी आबादी पर इसका प्रभाव देखा जा सकता है जैसे कि बावर्ची, पैकर्स एंड मूवर्स (Packers & Movers) आदि।

इस घटना को तकनीकी विलक्षणता का नाम दिया गया है तथा कृत्रिम बुद्धिमत्ता के जनक ने कहा है कि यह घटना ज़्यादा दूर नहीं, बस 30 वर्षों के भीतर हो जायेगी। तकनिकी विलक्षणता के विषय में कहा जाता है कि उस दौर में मशीनें मनुष्य से भी ज़्यादा समझदार हो जायेंगी। रे कुर्ज़वाइल की मानें, तो यह 2045 तक आगमन कर लेगा। तकनिकी विलक्षणता मात्र एक औद्योगिक क्रान्ति से बढ़ कर है और यह कुछ ऐसा है जो कि मानव जीवन को पूर्ण रूप से बदल कर रख देगा। हालांकि यह विषय एक कल्पना के आधार पर ही फलित है, परन्तु यह सत्यता के अत्यंत ही नज़दीक है।

संदर्भ:
1.
https://bit.ly/1TMfHXl
2. https://bit.ly/2CueIuT
3. https://bit.ly/35jw4WE
4. https://bit.ly/2M6qpfw
5. https://en.wikipedia.org/wiki/AI_takeover
6. https://bit.ly/2Dqowpe
7. https://bit.ly/321o6iy