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                                            अक्सर ही हम में से कई लोग अपनी आंख के दृष्टि पटल पर एक काले या भूरे रंग के गोलाकार या छल्लेदार तरल पदार्थ का अनुभव करते हैं। आयु की विभिन्न अवस्थाओं में अक्सर ही ये तरल पदार्थ दृष्टि पटल पर मौजूद होता है इसलिए इस पर अधिक ध्यान नहीं दिया जाता। यूं तो प्रायः इस पदार्थ का होना सामान्य है किंतु हर परिस्थिति में यह सामान्य ही हो ऐसा ज़रूरी नहीं। कुछ परिस्थितियों में जब यह नेत्र से सम्बंधित कार्यों को प्रभावित करने लगे तो इस पर ध्यान देना आवश्यक है क्योंकि यह नेत्र सम्बंधी कई विकारों का कारण बन सकता है। इन काले या भूरे रंग के गोल या आकारहीन तरल पदार्थ को नेत्र फ्लोटर (Eye Floaters) कहा जाता है जो प्रायः आंख के नेत्रकाचाभ द्रव का ही भाग होते हैं। नेत्रकाचाभ द्रव आंख की स्पष्ट और एक जैल (Gel) जैसी संरचना है जो आंख के अधिकांश भाग को घेरे हुए होती है या यूं कहें कि आंख का अधिकांश भाग इसी संरचना से भरा होता है।
नेत्र फ्लोटर प्रायः आयु वृद्धि, माइग्रेन (Migraine) या सिरदर्द, आंख के पीछे सूजन, आँख से खून बहना, रेटिना (Retina) फटने, नेत्र ट्यूमर (Tumor), सर्जरी (Surgery), आंख के संक्रमण आदि स्थितियों में बनते हैं जो किसी भी आकार के हो सकते हैं। क्योंकि यह समस्या भविष्य में गम्भीर रूप ले सकती है इसलिए ऐसा होने पर नेत्र चिकित्सक को दिखाना या परामर्श लेना महत्वपूर्ण है। यदि नेत्र फ्लोटर्स में अचानक वृद्धि का अनुभव हो तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना इस समस्या को दूर कर सकता है। अधिकतर मामलों में नेत्र फ़्लोटर्स को उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। किंतु जब यह दृष्टि पटल को प्रभावित करने लगे तो इसके उपचार में सर्जरी (Surgery) विधि का प्रयोग किया जाता है। दुर्लभ परिस्थितियों में, फ्लोटर्स बहुत घने हो सकते हैं और संभावित रूप से एक व्यक्ति की दृष्टि को बाधित कर सकते हैं। इन मामलों में, डॉक्टर प्रायः विटरेक्टोमी (Vitrectomy) नामक प्रक्रिया का सुझाव देते हैं। इस प्रक्रिया में शल्य चिकित्सा द्वारा फ्लोटर पैदा करने वाले विट्रिअस जेल (Vitreous Gel) को हटा दिया जाता है। डॉक्टर आमतौर पर गंभीर परिस्थितियों में ही इस प्रक्रिया का उपयोग करते हैं।
सर्जरी के अलावा इसके उपचार के लिए वैकल्पिक साधन भी मौजूद हैं, जैसे लेज़र (Laser) विधि। इस विधि में नेत्र फ्लोटर्स को अलग या भंग कर दिया जाता है जिससे वे हल्के हो जाते हैं। हालांकि, लेज़र विधि का प्रयोग हर परिस्थिति में नहीं किया जाता है। इस विधि को प्रयोग में लाने के लिए नेत्र रोग विशेषज्ञ को यह देखना या निदान करना आवश्यक है कि क्या व्यक्ति लेज़र विधि से लाभान्वित हो सकता है?
अन्य स्थितियों में जब यह सामान्य हो तो इस पर ध्यान देने की आवश्यकता नहीं होती है। ऐसे कई तरीके हैं जिनकी मदद से इस समस्या से बचा जा सकता है।
 जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
•	स्वस्थ वज़न बनाए रखें या वज़न कम करें।
•	संतुलित और पौष्टिक आहार लें।
•	धूम्रपान न करें।
•	बाहर निकलने पर धूप के चश्मे का प्रयोग करें।
•	आंखों को निरंतर आराम देते रहें।
•	समय-समय पर नेत्र परीक्षण करवायें।

संदर्भ:
1. https://www.healthline.com/health/how-to-get-rid-of-eye-floaters
2. https://www.medicalnewstoday.com/articles/325781.php
3. https://www.allaboutvision.com/en-in/conditions/spotsfloats/