शोक मनाने के लिए बनवाया गया था कैसरबाग स्थित सफेद बारादरी

वास्तुकला I - बाहरी इमारतें
13-11-2019 11:34 AM
शोक मनाने के लिए बनवाया गया था कैसरबाग स्थित सफेद बारादरी

लखनऊ अपनी वास्तुकला के लिए विशेष रूप से जाना जाता है और यहां ऐसी कई इमारतें हैं जो इस उत्कृष्ट वास्तुकला का उदाहरण पेश करती हैं। इसका एक उदाहरण यहां स्थित सफ़ेद बारादरी के रूप में देखा जा सकता है। लखनऊ के कैसर-बाग में स्थित यह इमारत सफेद रंग की है जिस कारण इसे सफेद या सफदर बारादरी कहा जाता है। बारादरी दो शब्दों से मिलकर बना है, बारह और द्वार। इस प्रकार बारादरी का अर्थ हुआ बारह द्वारों वाली इमारत।

वर्तमान में इस इमारत का उपयोग शादियों के रिसेप्शन (Reception) और डिनर पार्टी (Dinner Party) के आयोजन के लिए किया जा रहा है। किंतु शायद आप यह नहीं जानते होंगे कि वास्तव में यह किस उद्देश्य के लिए बनवाया गया था. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस इमारत को बनाने के पीछे उद्देश्य कुछ और ही था। यह इमारत मुख्य रूप से शोक स्थल के रूप में बनायी गयी थी। दरअसल इमारत का निर्माण अवध के अंतिम शासक वाजिद अली शाह द्वारा कर्बला में इमाम हुसैन और उनके अनुयायियों की शहादत को याद करने या उनकी मृत्यु का शोक मनाने के लिए किया गया था तथा उस समय इमारत का नाम क़सर-उल-अज़ा रखा गया था।

बारादरी के निर्माण की प्रक्रिया 1848 में शुरू हुयी जो 1850 तक चली। 1856 में अवध के विनाश के बाद, बारादरी का उपयोग अंग्रेजों द्वारा किया जाने लगा। 1923 के आसपास, सफ़ेद बारादरी को अवध के तालुकदारों के एक संघ को सौंप दिया गया, जिसे अंजुमन-ए-हिंद अवध के नाम से जाना जाता है। अंततः इसे द ब्रिटिश इंडिया एसोसिएशन ऑफ अवध (The British India Association of Awadh) का नाम दिया गया और यह एसोसिएशन अभी भी सफदर बारादरी का मालिक है और इसका संचालन करता है।

कैसरबाग बारादरी वर्गाकार मण्डप है जो महल परिसर के मध्य में बना है और इसमें विभिन्न आकारों के कई स्तम्भावली युक्त मंडप शामिल हैं। केंद्र में सफेद बारादरी स्थित है, एक भव्य सफेद पत्थर की इमारत है जिसे पहले चांदी के साथ प्रशस्त किया गया था। इस संरचना में दो लक्खी द्वार और पूर्व शाही निवास भी बने हुए हैं। बारादरी के मुख्य हॉल में बलरामपुर के दो महाराजा मानसिंह एवं दिग्विजय सिंह की मूर्तियां भी स्थापित की गयी थी। बारादरी के बाहर मुख्य प्रवेशद्वार के किनारे दो स्तंभों पर दो पीतल की मूर्तियां प्रकाशदीप लिये खडी हैं। बारादरी कैसरबाग के पूर्वी एवं पश्चिमी द्वारों के बीच बनी है। इसके निकट ही कई अन्य दर्शनीय इमारतें जैसे नवाब सआदत अली खां का मकबरा, बेगम हजरत महल पार्क एवं मकबरा, शाह नजफ़ इमामबाडा आदि भी हैं।

सफ़ेद बारादरी का अंदरूनी हिस्सा विस्तृत प्लास्टर (Plaster) से निर्मित किया गया है। द्वारों को मेहराब का आकार दिया गया है तथा जुड़वां स्तंभों वाली खिड़कियां बनी हुई हैं। छत से लटका हुआ झूमर अंदरूनी हिस्से को और भी अधिक आकर्षक बनाता है। सफेद बारादरी के पूर्व में लक्खी दरवाजा या क़ैसर बाग़ गेट अवध में विकसित इंडो-यूरोपीय स्थापत्य शैली के सर्वश्रेष्ठ उदाहरणों में से एक है।

यदि आपको सफ़ेद बारादरी की सैर करनी है तो इसके लिए आपको किसी भी प्रकार के प्रवेश शुल्क की आवश्यकता नहीं है. आप यहां आसानी से घूम सकते हैं तथा इसकी सुंदरता को अपने कैमरे में भी कैद कर सकते हैं।

संदर्भ:
1.
http://lucknow.me/Safed-Baradari.html
2. http://uttarpradesh.gov.in/en/details/baradari-qaiserbagh/37003600
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Safed_Baradari
4. http://double-dolphin.blogspot.com/2015/10/safed-baradari-lucknow.html