समय - सीमा 261
मानव और उनकी इंद्रियाँ 1055
मानव और उनके आविष्कार 830
भूगोल 241
जीव-जंतु 305
                                            भारतीय संविधान में प्रत्येक नागरिक को शोषण के विरूद्ध अधिकार दिया गया है। किंतु यह अधिकार वास्तविकता से बहुत दूर प्रतीत होता है क्योंकि आज भी कई लोग ऐसे हैं जो अपने कार्य स्थल में शोषण का शिकार होते हैं। इन लोगों में अधिकांश वे लोग शामिल हैं जो किसी कंपनी (Company) या घरों के लिए काम करते हैं। या दूसरे शब्दों में कहें तो इस शोषण का सबसे अधिक शिकार हाशिए के लोग बनते हैं। एक अध्ययन से पता चला है कि हाशिए के समुदायों की महिलाएं और लड़कियां इस शोषण का अनियंत्रित रूप से शिकार होती हैं। अक्सर आप जो भी ब्रांड (Brand) के कपड़े पहनते हैं उसके निर्माण के पीछे इन श्रमिकों की बहुत मेहनत छिपी होती है।
प्रमुख पश्चिमी ब्रांड भारतीय परिधान श्रमिकों को इस कार्य के लिए प्रति घंटे के हिसाब से 11 पैसे का भुगतान करते हैं जोकि एक श्रमिक के कार्य के बदले बहुत ही कम भुगतान है। एक रिपोर्ट (Report) के अनुसार बांग्लादेश की एक कपड़ा फैक्ट्री में महिलाओं को 35 पैसे प्रति घंटे के हिसाब से भुगतान किया जाता था। भारत में भी यही स्थिति दिखायी देती है। भारत में बाल श्रम और जबरन कराया जाने वाला श्रम मुख्य रूप से व्याप्त है। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के एक शोध में पाया गया कि पूरे भारत के घरों में हाशिए के समुदायों की महिलाओं और लड़कियों को एक घंटे के कार्य के लिए मात्र 11 पैसे का भुगतान किया जाता है। इनके द्वारा किये जाने वाले कार्यों में कढ़ाई, बुनाई, सिलाई, बीडवर्क (Beadwork), बटन लगाना इत्यादि शामिल है। एक अध्ययन के अनुसार भारत में हर पांच कपड़ा श्रमिकों में से एक कपड़ा श्रमिक 17 वर्ष से कम आयु का है तथा यह संख्या 1,452 श्रमिकों के बीच प्राप्त हुई। इसके अलावा दर्जनों छोटे बच्चे भी श्रमिकों के रूप में कार्यरत होते हैं।
इन श्रमिकों में कई श्रमिक ऐसे भी हैं जिन्हें जबरदस्ती घरेलू श्रम में फंसाया गया है। ये श्रमिक मूल रूप से उत्तर भारत के हैं। लगभग 6% श्रमिक बंधुआ मजदूरी के अंतर्गत फंसे हुए हैं जिन्हें क़र्ज़ चुकाने के लिए जबरन कार्य करने के लिए मजबूर किया जाता है। इसके अलावा तीन-चौथाई लोग ऐसे हैं जो पारिवारिक दबाव या गंभीर वित्तीय कठिनाई के कारण श्रमिक के रूप में कार्य कर रहे हैं। लगभग 99.2% श्रमिकों को भारतीय कानून के तहत राज्य-निर्धारित न्यूनतम वेतन प्राप्त नहीं होता है। ज्यादातर मामलों में उन्हें न्यूनतम मजदूरी का केवल दसवां हिस्सा दिया जाता है। अत्यधिक श्रम करने के बावजूद भी इन श्रमिकों को भुगतान देर से किया जाता है। ऐसा भी देखा गया कि जब श्रमिक अत्यधिक कार्य को समय पर पूरा नहीं करते तो उन्हें दंडित भी किया जाता है। यह अवस्था विशेषकर त्यौहारों में अधिक होती है क्योंकि इस समय उत्पादों की मांग सर्वाधिक होती है। एक घंटे के लिए भुगतान केवल 13, 14 या 15 पैसे निर्धारित किया जाता है। इसके बाद भी यह भुगतान श्रमिकों को समय पर नहीं दिया जाता। जब कार्य समय पर पूरा नहीं होता तो दंड के रूप में श्रमिकों को उसका भुगतान नहीं किया जाता है।
कार्य के वक्त चोट लगने या बीमार पड़ने की अवस्था में कर्मी को किसी भी प्रकार की चिकित्सीय देखभाल की सुविधा भी नहीं दी जाती तथा इनके बदले किसी और श्रमिक को कार्य पर रख दिया जाता है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग 85% घर-आधारित श्रमिक अमेरिका या यूरोप को कपड़े भेजने वाली आपूर्ति श्रृंखलाओं में कार्य करते हैं। भारत में लगभग 50 लाख श्रमिक घरेलू कामों में शामिल हैं। एक सर्वैक्षण के अनुसार घर पर काम करने वाले श्रमिकों का औसत वेतन 3,000 रुपये प्रति माह से अधिक नहीं होता है। आंकड़ों की मानें तो उदारीकरण के बाद के दशक में घरेलू श्रमिकों में 120% की वृद्धि देखी है। 1991 में यह आंकड़ा 7,40,000 था जोकि 2001 में बढ़कर 16.6 लाख हुआ। दिल्ली श्रम संगठन द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, भारत में पाँच करोड़ से अधिक घरेलू कामगार हैं, जिनमें से अधिकांश महिलाएँ हैं।
इस शोषण से भारत को मुक्त करने के लिए श्रम मंत्रालय द्वारा एक राष्ट्रीय नीति बनायी गयी है जो घरेलू कामगारों को उचित कानूनी स्थिति और एक सामाजिक सुरक्षा का तंत्र प्रदान करती है। इस नीति को 16 अक्टूबर 2017 में एक परिपत्र में जारी किया गया था। इसका उद्देश्य स्पष्ट और प्रभावी ढंग से घरेलू श्रमिकों के अधिकारों को लागू करने के लिए कानून बनाना, तथा उनसे सम्बंधित नीतियों और योजनाओं के दायरे को विस्तारित करना है। नीति के ज़रिए श्रमिकों को समान पारिश्रमिक तथा न्यूनतम मजदूरी दी जायेगी। इसके अलावा रोज़गार की उचित शर्तों और शिकायत निवारण का प्रयास भी किया जायेगा। नीति के अंतर्गत श्रमिकों को संगठन बनाने का अधिकार होगा तथा उन्हें हिंसा और दुर्व्यवहार से भी सुरक्षा दी जाएगी। इसके अलावा स्वास्थ्य लाभ और पेंशन (Pension) की सुविधा भी उपलब्ध करवाने का प्रयास किया जायेगा।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/2MOonQk
2. https://bit.ly/35IH8LD
3. https://bit.ly/2ZLy3R3
4. https://bit.ly/2QD1j8q
5. https://bit.ly/39WcbqL
6. https://reut.rs/2Qku8Ys