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                                            वनों के कम होने के साथ-साथ मनुष्य ही नहीं बल्कि कई जीव जन्तु भी प्रभावित हो रहे हैं। भारत में हाल ही में पक्षियों की आबादी में काफी भारी संख्या में गिरावट को देखा गया है। भारत की पक्षी विविधता के पांचवे हिस्से, शॉर्ट-टोड स्नेक ईगल (Short-Toed Snake Eagle) से लेकर सरकीर माल्कोहा (Sirkeer Malkoha) तक को विगत 25 साल की अवधि में दीर्घकालिक गिरावट का सामना करना पड़ा है।
एक अध्ययन के अनुसार, भारत की अधिकांश पक्षी आबादी में पिछले कुछ दशकों में तेज़ी से गिरावट आई है। जिसमें चील, गिद्ध, वॉर्ब्लर (Warbler) और प्रवासी शोरबर्ड (Shorebirds) की संख्या में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई। इस गिरावट के पीछे के दो मुख्य कारण शिकार और उनके निवास स्थान की हानि बताई गई है। कुछ अध्ययन के अनुसार वर्तमान समय में बिजली की तारों के साथ टकराव पक्षियों के लिए एक प्रमुख खतरा बना हुआ है।
वहीं ‘द स्टेट ऑफ़ इंडियाज़ बर्ड्स 2020’ (The State of India’s Birds 2020) के द्वारा किए गए मूल्यांकनों के मुताबिक पक्षियों की आबादी में गिरावट का मुख्य कारण मानव गतिविधि के कारण उनके आवास में क्षति, बढ़ते कीटनाशकों का उपयोग, शिकार, पालतू जानवर बनाने के लिए पकड़ना और विषाक्त पदार्थों की व्यापक उपस्थिति है। इन सभी गतिविधियों के कारण कई पक्षियों की आबादी धीरे-धीरे विलुप्त हो रही है। ‘उच्च संरक्षण चिंता’ के रूप में वर्गीकृत 101 पक्षियों की प्रजातियों में से 59 श्रेणी और बहुतायत पर आधारित हैं और बाकी अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ में लाल सूची के अंतर्गत आती है।
व्यापक रूप से ज्ञात प्रजातियों में, सामान्य गौरैया को लंबे समय तक शहरी स्थानों में कम होते हुए देखा गया था और वर्तमान समय में इसकी आबादी स्थिर है, हालांकि मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, बेंगलुरु, हैदराबाद और चेन्नई जैसे प्रमुख शहरों के आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि ये पक्षी शहरों के क्षेत्रों में दुर्लभ हो गए हैं। दूसरी ओर, मोर की संख्या काफी बढ़ गई है। वे केरल जैसे स्थानों में अपनी सीमा का विस्तार कर रहे हैं और थार रेगिस्तान में उन क्षेत्रों में जहां नहरों और सिंचाई की शुरुआत की गई है। साथ ही मोर को संरक्षित रखने के लिए कानून की कड़ी सुरक्षा भी काफी लाभदायक सिद्ध हुई है।
भारत की प्रमुख संरक्षण चिंताओं में से एक ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (Great Indian Bustard) को बचाने की हर संभव कोशिश की जा रही है। पांच दशक की अवधि में अपनी लगभग 90% की आबादी और निवास स्थान के खो जाने के बाद, राजस्थान के जैसलमेर में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की एक व्यवहार्य आबादी को बिजली की तारों से टकराव से बचाने के लिए बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (Bombay Natural History Society), भारतीय वन्यजीव संस्थान, बर्डलाइफ़ इंटरनेशनल (Birdlife International) और अन्य द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम इस पर केंद्रित हैं।
यदि आहार के दृष्टिकोण से देखा जाए तो, मांस खाने वाले पक्षियों की आबादी आधे से अधिक गिर गई है और पक्षी जो विशेष रूप से कीड़ों पर निर्भर रहते हैं वे भी भोजन के विलुप्त होने की वजह से सबसे अधिक पीड़ित हो रहे हैं। वहीं हाल के वर्षों में सर्वभक्षी, बीज और फल खाने वाले पक्षियों की आबादी में कुछ स्थिरीकरण हुआ है। पक्षियों की इस घटती आबाद को स्थिर करने के लिए हमारे द्वारा इनके निवास स्थानों को क्षति पहुंचाना बंद करना होगा और साथ ही इनका शिकार, अत्यधिक कीटनाशकों का उपयोग और अन्य विषाक्त पदार्थों के उपयोग पर रोक लगानी होगी। यदि प्रत्येक मनुष्य इन गतिविधियों को करने की पहल करे तो हम अपनी इस प्रकृति और इसके जीव जंतुओं को विलुप्त होने से बचा सकते हैं।
संदर्भ:
1. https://www.bbc.com/news/world-asia-india-51541741
2. https://bit.ly/2TL2XHO
चित्र सन्दर्भ:
1. https://pxhere.com/en/photo/170243
2. https://www.flickr.com/photos/iip-photo-archive/42043111441
3. https://www.flickr.com/photos/lensnmatter/33101080372
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Indian_vulture
5. https://pxhere.com/en/photo/1374813