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यदि भोजन की बात हो तो भारतीय भोजन हमें सर्वोच्च शिखर पर खड़ा मिलता है। भारतीय व्यंजन अत्यंत ही स्वादिष्ट और मसालेदार होते हैं जो कि एक बड़ी आबादी को अपने स्वाद की ओर खींचने का कार्य करते हैं। अब यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि आखिर इतना स्वादिष्ट भोजन और इतने लोगों को यह अपनी ओर खींचने का कार्य किस प्रकार से करता है। इस सत्य को जानने के लिए वैज्ञानिकों ने करीब 2000 से अधिक लोकप्रिय व्यंजनों के ऊपर शोध किया और यह पता लगाने में सफलता प्राप्त की कि किस प्रकार से भारतीय व्यंजन इतना स्वादिष्ट होता है और वह कैसे दुनिया के अन्य भोजनों से भिन्न है। इस लेख में हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे।
भारतीय रसोइयें उन सामग्रियों के साथ खाना बनाते हैं जो कि अत्यधिक स्वाद वाले होते हैं। इसमें एक दूसरी सामग्री एक दूसरे के स्वाद को ढंकने का कार्य नहीं करती हैं इसी कारण भारतीय खाना खाने पर हमें हर उस वस्तु का स्वाद मिलता है जो कि उसमें मिलाई गयी होती है। जोधपुर में स्थित इंडियन इंस्टिट्यूट फॉर टेक्नोलोजी (Indian Institute For Technology) के शोधकर्ताओं ने TarlaDalal.Com जो कि एक ऑनलाइन (Online) खाना पकाने के नुस्खों को बताने वाली साईट (Site) है से हजार व्यंजनों को बनाने का डाटा (Data) लिया। उस पूरे डाटा में अलग अलग खाना बनाने के विधियों को अलग अलग करके उनमे मिलाये जाने वाले घटकों का अध्ययन करके यह पता लगाया कि कितने स्वाद के घटक कितनी बार और कितनी भारी मात्रा में भारतीय खानों में प्रयोग किया जाता है। इससे मिले उत्तर में उनको पता चला की बहुत ज्यादा बार नहीं। उदाहरण के लिए नारियल और प्याज को देख ले ये दोनों अलग अलग स्वाद को जन्म देते हैं और यही फ्लेवर (Flavor) भारतीय खाने को भिन्न और उत्तम बनाने का कार्य करता है।
स्थान का और परिवेश का भी प्रभाव खाना बनाने और उस स्थान के खाने के स्वाद पर भी पडता है जो कि भारत के विभिन्न स्थानों के विभिन्न स्वाद के व्यंजनों में हमें दिखाई देता है। विभिन्न सब्जियों और मसालों में स्वाद के कई घटक हम देख सकते हैं जैसे- एक टमाटर में स्वाद और सुगंध के करीब 400 घटक होते हैं। इसके अलावा लौंग, अदरक आदि को भी उदाहरण के लिए देखा जा सकता है जिस में स्वाद का एक अत्यंत ही मजबूत पहलु हमें दिखाई देता है। भारतीय खानों में दो युग्म मुख्य रूप से बनते हैं एक सकारात्मक और दूसरा नकारात्मक, सकारात्मक युग्म डेरी (Dairy) खाद्य से सम्बंधित है और नकारात्मक युग्म मसालों आदि से सम्बंधित हैं। जैसे की मांस पकाने की परंपरा जो कि विभिन्न मसालों और जड़ी बूटियों से सम्बंधित होती है। नकारात्मक युग्म का अर्थ है, स्वाद में ज्यादा बटवारा होना अब यह बटवारा खाद्य सामग्रियों के युग्म से बनती है। भारतीय व्यंजनों में मसालों का प्रयोग होना सिन्धु सभ्यता से मिलता है इसके अलावा विभिन्न ग्रंथों और आयुर्वेद में भी मसालों का वृहत वर्णन हमें मिलता है। ये मसाले ही है जो भारतीय खानों का स्वाद और इसका रंग बदलने का कार्य करते हैं। ये मसाले एंटी-ओक्सिडेंट (Anti-Oxidant), एंटी-इन्फ्लेमेटरी (Anti-Inflammatory) केमोप्रिवेंटिव (chemopreventive), एंटीमुटाजेनिक (antimutagenic) और डिटॉक्सीफाइंग एजेंट (detoxifying agents) आदि के रूप में कार्य करते हैं। भारतीय मसालों में सबसे अधिक रोगाणुरोधी मसालों का प्रयोग किया जाता है जो भोजन को जल्दी खराब होने से रोकने का कार्य करते हैं। लखनऊ में बनने वाले एक विशेष मांस में पोटली मसाले का प्रयोग किया जाता है जिसमे करीब 120 जड़ी बूटियों का प्रयोग किया जाता है। उपरोक्त लिखित वैज्ञानिक अन्वेषणों के आधार पर ही यह कहा जा सकता है कि भारतीय व्यंजन अपने ख़ास स्वाद और मसालों के प्रयोग के कारण ही पूरे विश्व भर में प्रसिद्द हैं।
चित्र (सन्दर्भ)
1. ऊपर दिया गया मुख्य चित्र भारतीय व्यंजनों का चित्र है।, Pexels
2. ऊपर दिया गया चित्र भारतीय व्यंजनों का चित्र है।, Pexels
3. ऊपर दिया गया चित्र भारतीय व्यंजनों का चित्र है।, Pxfuel
सन्दर्भ:
1. https://wapo.st/3eDFRLH
2. https://on.natgeo.com/3atAPOB
3. https://bit.ly/34VUHJe