लखनऊ में भी है, कभी न ख़त्म होने वाली केल्टिक नॉट

वास्तुकला I - बाहरी इमारतें
04-06-2020 01:45 PM
लखनऊ में भी है, कभी न ख़त्म होने वाली केल्टिक नॉट

1857 के आज़ादी के पहले स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान रेजीडेंसी में बहुत भयानक नरसंहार हुआ था। इसमें जिन्होंने अपना बलिदान दिया, उनकी स्मृति में वहाँ एक प्रतीक चिन्ह लगा हुआ है। प्राचीन केल्टिक नॉट (Celtic Knot) का यह विश्व-एकता प्रतीक चिन्ह भारतीय हाथी की मूर्ति के बग़ल में एक ऊँचे पत्थर पर लगा हुआ है। इन केल्टिक नॉट का बहुत पुराना इतिहास है। भारतीय धर्मों (हिंदू , बौद्ध, जैन, सिक्ख) में कभी न ख़त्म होने वाली इस नॉट को श्रीवत्सा के नाम से जानते हैं।

केल्टिक नॉट- इतिहास और प्रतीकात्मकता
केल्ट जाति द्वारा प्राचीन समय में सजावट के काम आने वाली ख़ास शैली की गाँठें या नॉट प्रयोग की जाती थीं। ये ज़्यादातर चर्च, स्मारकों और पांडुलिपियों के अलंकरण में इस्तेमाल होती हैं जैसे कि बुक ऑफ़ केल्स (Book Of Kells), आठवीं शताब्दी के संत टैलो गोस्पेल्स (St. Teilo Gospels), और द लिनडिस्फरने गोस्पेल्स (The Lindisfarne Gospels) द्वारा वहाँ से ये दुनिया के दूसरे हिस्सों में फैल गईं। आपस में बुने हुए इन नमूनों का पहला अवतरण रोमन साम्राज्य के हस्तशिल्प में हुआ था। तीसरी और चौथी शताब्दी में नॉट के नमूने पहली बार दिखे।एक कला का प्रारूप जो बहुत जल्दी मोज़ैक फ़र्श के नमूनों में भी दिखाई देने लगा।इस कला का प्रारूप बहुत ज़्यादा बीजान्टिन वास्तुशिल्प, केल्टिक कला, कोप्टिक कला, इस्लामिक कला में प्रयोग हुआ। 2500 ईस्वी सदी की सिंधु घाटी सभ्यता से प्राप्त मिट्टी की टिकिया पर अंतहीन गाँठों के चिन्ह पाए गए थे। केल्टिक गाँठ का मूल रूप क्रॉस (Cross) का चिन्ह होता है।

अंतहीन गाँठ (Knot) या अनादि गाँठ
यह एक प्रतीकात्मक प्रारूप है और आठ पवित्र प्रतीकों में से एक है। यह जैन और बौद्ध धर्म का भी महत्वपूर्ण प्रतीक है। यह तिब्बती बौद्ध धर्म से प्रभावित स्थलों जैसे तिब्बत, मंगोलिया, तुवा (Tuva), कामीकिया (Kalmykia) और बुरियाटिया (Buryatia) में महत्वपूर्ण सांस्कृतिक चिन्ह के रूप में स्थापित है। जैन धर्म में यह आठ पवित्र प्रतीकों (अष्टमंगला) में शामिल होने के बावजूद केवल श्वेताम्बर खंड में पाई जाती है।

केल्टिक नॉट के विविध रूप
450 ईस्वीं के आस-पास, इससे पहले कि कैल्ट (Celts) क्रिश्चियन धर्म से प्रभावित होते, केल्टिक सभ्यता ने गाँठों, सर्पिल, चुन्नटदार, चोटीदार, सीढ़ीदार और चाभी के आकार के सात प्रमुख नमूने तैयार किए। ये सात सृष्टियां थीं- इंसान, स्तनधारी, पौधे, कीट, चिड़ियाँ, मछली और सरीसृप। विशेषज्ञों ने उन स्थलों का अध्ययन किया जहां केल्टिक गाँठें पाई गईं थीं। केल्टिक गाँठों के नमूने अक्सर पत्थरों पर क़ब्रिस्तानों में खोदे गए थे। केल्टिक गाँठों के बारे में मशहूर है कि ये एक अविरल लकीर में बनी होती हैं। न कोई शुरुआत न कोई अंत, इसीलिए ये अनंतता की प्रतीक मानी जाती हैं।

8 प्रमुख केल्टिक गाँठें और उनकी प्रतीकात्मकता
1. केल्टिक क्रॉस (Celtic Cross)

यह एक धार्मिक और आध्यात्मिक प्रतीक था। प्राचीन काल में इसका गोलाकार सूर्य देवता का संदर्भ होता था। क्रिश्चियन समुदाय के लिए क्रॉस के ऊपरी हिस्से का गोला ईश्वर के अनंत प्रेम का प्रतीक है। सैकड़ों वर्षों तक पत्थरों के बने केल्टिक हाई क्रॉसेज़ जीवित रहे और विभिन्न सभ्यताओं और धर्मों के मध्य प्रचलित रहे।
2. ट्रीनिटी गाँठ- (Trinity Knot)
ट्राइक्वेट्रा (Triquetra) या ट्रिनिटी गाँठें सबसे ज़्यादा प्रसिद्ध हैं। ये केल्टिक आभूषणों में दिखाई देती हैं। धार्मिक कार्यों में, ये पवित्र त्रिमूर्ति का प्रतीक होती हैं।
३. जीवन वृक्ष (Tree of Life)
यह गाँठ आयरिश (Irish) और केल्ट के प्रकृति के प्रति लगाव को दर्शाती है। जीवन के लिए प्रकृति की महत्ता ही केल्ट जाति द्वारा इस प्रतीक चिन्ह के चयन में झलकती है।
4. केल्टिक लव गांठें (Celtic Love Knots)
सभी गाँठों में यह गाँठ सबसे साधारण होती है। यह अनादि जीवन की प्रतिनिधि होती है और वापस 2500 ई.पू. में ले जाती है जहां शुरू के स्कॉटिश (Scotish), वेल्श (Welsh) और आयरिश (Irish) केल्ट्स ने सबसे पहले इन्हें तैयार किया था।
5. नाविक गांठें (Sailor’s Knot)
इसमें दो रस्सियों को साथ-साथ आपस में बुना जाता है जिससे अंतहीन फन्दे तैयार हो जाते हैं। केल्टिक नाविक अपने प्रेमी की याद में रस्सियों को बनाते थे जब वे लम्बी समुद्र यात्रा में होते थे।ये गाँठें सबसे ज़्यादा टिकाऊ होती हैं।
6. शील्ड क्नॉट (Shield Knot)
अपने घर को सुरक्षित रखने, बुरी आत्माओं को भगाने और लड़ाई के मैदान की सुरक्षा के लिए केल्ट shield knots का प्रयोग करते थे।आमतौर पर इन गाँठों में चार कोने होते थे।
7. स्पाइरल क्नॉट (Spiral Knot)
यह अपने सबसे शुद्ध रूप में अनादि जीवन का प्रतीक होती है।ब्रिटेन में शुरुआती केल्ट पीढ़ियों द्वारा इसकी रचना हुई थी।इसका जन्म 2500 BCE के आस-पास हुआ था।इसमें एक त्रिआयामी गाँठ होती है जो प्रकृति की तीन शक्तियों पृथ्वी, जल और अग्नि की प्रतीक होती है।सर्पिल गाँठ का अर्थ है उन्नति, अविनाशी जीवन और ब्रह्मांड में भ्रमण।
8. ट्रिपल स्पाइरल क्नॉट (Triple Spiral Knot)
यह भी ट्रिनिटी जैसा नमूना है और तीन जुड़ी हुई सर्पिल गाँठों से प्रदर्शित होता है।ऐसा माना जाता है कि ये प्राकृतिक दुनिया - भूमि, समुद्र और आकाश की प्रतिनिधि होती थीं।
9. ऊँचे क्रॉस (High Cross)
आयरलैंड और ब्रिटेन में मध्ययुग के आरम्भिक वर्षों में एक विलक्षण परम्परा थी।पत्थरों के बड़े-बड़े नक़्क़ाशी किए क्रॉस घर से बाहर लगाने का चलन था। शुरू के क्रॉस लगभग 2-8 फ़ीट ऊँचे होते थे लेकिन आयरलैंड में इसके तीन गुना बड़े क्रॉस मिलते हैं। कुछ क्रॉस हटाकर दूसरी जगहों पर लगाए गए।

19 वीं शताब्दी में केल्टिक रिवाइवल (Celtic revival), केल्टिक क्रॉसेज़, इन्सुलर स्टाइल में सजावट के साथ ग्रेव स्टोन्स और स्मारकों के रूप में बहुत लोकप्रिय हुई और आज विश्व के बहुत से हिस्सों में ये मिलती है।

चित्र सन्दर्भ:
1. मुख्य चित्र में लखनऊ स्थित रेजीडेंसी में उपस्थित हाई क्रॉस और उसके अलंकरण में केल्टिक क्नॉट का चित्रण है(Prarang)
2. दूसरे चित्र में केल्टिक क्नॉट का नज़दीकी चित्रण है। (Prarang)
3. तीसरे चित्र में केल्टिक क्नॉट दिखाई गयी है। (Prarang)
4. चौथे चित्र में केल्टिक क्नॉट के विविध रूपों में से केल्टिक क्नॉट और ट्रिनिटी क्नॉट दिखाई दे। (Prarang)
5. पांचवे चित्र में हाई क्रॉस दिख रहा है। (Prarang)
सन्दर्भ:
1. https://www.ancient-symbols.com/celtic-knots.html
2. https://wikipedia.nd.ax/wiki/High_cross
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Endless_knot
4. https://www.claddaghdesign.com/history/the-meaning-of-celtic-knots/