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इस पृथ्वी के निर्माण के समय से ही कई ऐसे जीवों ने इस पृथ्वी पर जन्म लिया जिन्होंने यहाँ की आबो हवा को शुद्ध करने के साथ साथ प्राकृतिक खूबसूरती को भी बढाने का कार्य किया है। वर्तमान में मनुष्य ने इन जीवों को देखने, उनकी तस्वीर उतारने आदि को शौक के तौर पर विकसित कर लिया है और यही कारण है कि दुनिया भर में कितने ही वन अभ्यारणों आदि का निर्माण किया गया है। इन्हीं जीवों में से एक नश्ल है पंछियों की, पंछी बेहद ही खूबसूरत जीव होते हैं छोटी गौरैया से लेकर विशाल मोर तक, ये गाते हैं, नाचते हैं, उड़ते हैं और अठखेलियाँ करते हैं। इनकी अपनी प्रकृति पूर्ण रूप से भिन्न होती हैं।
आज के समय में दुनिया भर में हजारों प्रजातियों के पंछी पाए जाते है जिनको देखने वालों की संख्या बड़े पैमाने पर बढ़ रही है। इन्ही पंछियों के देखने के कारण बर्ड वाचिंग (Bird Watching) नाम का उद्भव हुआ है। इस लेख में हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि आखिर यह बर्ड वाचिंग होती क्या है तथा उत्तर प्रदेश में बर्ड वाचिंग से संभंधित स्थान और अवसर कौन कौन से हैं। बर्ड वाचिंग मुख्य रूप से पंछियों के जीवन को निहारने का एक मनोरंजन साधन है। यह एक ऐसा शौक है जो न सिर्फ पंछी विज्ञान या अध्ययन से हट कर है बल्कि यह पंछी जगत की खूबसूरती को जानने और समझने का एक सस्ता और बेहतर तरीका है। इस शौक के कारण मनुष्य अपने को सभी मानसिक और शारीरिक तनावों से दूरप्रकृति की गोद में पाता है।
बर्ड वाचिंग मुख्य रूप से नग्न आँखों, दूरबीन तथा कानों के माध्यम से किया जाता है, अब आप यह कहेंगे कि आँख और दूरबीन तो समझ में आया परन्तु कान से कैसे, तो इसका उत्तर अत्यंत ही सरल कारण है कि पंछी कई सुरों में आवाज भी निकालते हैं तथा उसके साथ पंछी कहा बैठा है और उसकी कितनी प्रकार की आवाजें हैं यह समझने में हमें आसानी होती है। पंछियों की कई प्रजातियों को उनके आकार और उनके चहचहाने के अंदाज से पहचाना जा सकता है। बर्ड वाचिंग के अलावां एक अन्य शब्द है जो कि इसी शौक को प्रदर्शित करता है और वह है बर्डिंग (Birding)। बर्डिंग या बर्ड वाचिंग में हमें पंछियों के रहने के स्थान, उनके व्यवहार, शारीरिक बनावट आदि के विषय में बेहतरीन जानकारी प्राप्त हो जाती है।
अब अगर हम पंछियों को देखने के इस शौक के इतिहास के विषय में बात करें तो इसका इतिहास 18वीं शताब्दी के समय तक जाता है, हांलाकि बर्डिंग शब्द का सबसे पहला प्रयोग विलियम शेक्सपियर (William Shakespeare) की लेखनी में हमें दिखाई देता है। शुरूआती दौर में बर्डिंग का अर्थ खाने आदि के लिए पंछियों को पकड़ने के लिए भी किया जाता था परन्तु यह 18वीं शताब्दी का इंग्लैंड (England) था जहाँ पर पंछियों की सुन्दरता देखने के शौक से इस शब्द को जोड़ा गया। कालांतर में विक्टोरियन (Victorian) काल में यह प्रथा चरम पर पहुंची और यह एक लोकप्रिय शौक के रूप में निखर के सामने आया। शुरूआती दौर में बर्डिंग शब्द का ही प्रयोग किया जाता था बर्ड वाचिंग शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम एडमंड सेल्स (Edmund Sales) ने 1901 में किया था।
भारत में इस क्षेत्र में रूचि बढाने का श्रेय यहाँ के प्रसिद्द भारतीय पंछी विज्ञानी सलीम अली को जाता है, सलीम अली को ही बर्ड मैन ऑफ़ इंडिया के खिताब से भी नवाजा गया था। बर्ड वाचिंग एक अत्यंत ही बेहतरीन शौक है जो कि लोगों की सोचने की क्षमता को बढाता है तथा यह लोगों को एक नया आयाम प्रदान करने का कार्य करता है। उत्तर प्रदेश में प्रत्येक साल फरवरी के महीने में पंछी उत्सव मनाया जाता है जिसका मुख्य उद्देश्य है यहाँ पर पाए जाने वाले पंछियों को एक बेहतर कल प्रदान करने का। यह त्यौहार उत्तर प्रदेश का जंगल विभाग प्रायोजित करता है, उत्तर प्रदेश में कई स्थान ऐसे हैं जहाँ पर पंछियों को देखा जा सकता है जैसे दुधवा राष्ट्रीय वन्य अभ्यारण, बाह चम्बल घाटी, नॉएडा आदि। इन स्थानों पर विभिन्न प्रकार के पंछियों को देखा जा सकता है और उनके जीवन को पहचाना और समझा जा सकता है।
चित्र सन्दर्भ:
1. मुख्य चित्र में स्कूल के छात्र बर्डिंग करते हुए दिखाई दे रहें है। (Flickr)
2. दूसरे चित्र में बोर्डिंग के दौरान पक्षियों के साथ अठखेलियां करते हुए एक सज्जन। (Pikist)
3. तीसरे चित्र में बर्डिंग करते हुए भारत के युवा। (Youtube)
4. चौथे चित्र में पर्यटकों का समूह बर्ड वाचिंग का लुत्फ़ लेते हुए। (Freepik)
5. अंतिम चित्र में बर्ड वाचिंग के दौरान एक समूह। (Pngtree)
सन्दर्भ:
1. https://bit.ly/2UPHJIY
2. https://www.adventurenation.com/activity/birding
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Birdwatching
4. http://www.birdwatchersjournal.com/bird-watching-important/
5. https://bit.ly/3hBx52n