अस्थिकला का इतिहास यदि देखा जाये तो इसका काल 35,000 वर्ष पहले तक जाता है। विश्व के कुछ स्थान जैसे कि स्पेन का अल्तमिरा व भारत का मिर्ज़ापुर वह स्थान हैं जहाँ से प्राप्त हड्डियों कि बनी मूर्तियाँ कदाचित विश्व कि प्राचीनतम मूर्तियों मे से एक हैं।
अस्थि शिल्पकला प्राचीनतम समय से लेकर आधुनिक जगत तक अनवरत चली आ रही है। भारत मे विभिन्न स्थानों पर अस्थि शिल्प के कई रूप हैं। मध्यकाल मे भारत में अस्थिकला अपने चरम पर थी। हड्डियों के ऊपर तथा उनको उकेर कर कि जाने वाली शिल्पकारी विश्व के कई भागों मे पायी जाती है।
अस्थि शिल्प के कई रूप हैं। इसी कड़ी मे लखनऊ मे अस्थि कला का आगमन करीब 300 वर्ष पूर्व लाहौर से आये कारीगरों ने शुरू किया। जालीदार कला यहाँ कि विशेषता है तथा अन्य कई प्रकार के अस्थि से बने शिल्प यहाँ के शिल्पकला कि पराकाष्ठा को प्रदर्शित करते हैं।वर्तमान परिस्थितियों मे हाथी दांत को बंद कर दिए जाने के बाद यहाँ के शिल्पकार भैंस व ऊंट कि अस्थियों से शिल्प का निर्माण करते हैं। यहाँ के शिल्पकार वंशानुगत अस्थि शिल्पकारी का ही काम करते हैं।
1. मार्ग- लखनऊ- देन एंड नाउ, संस्करण 55-1, 2003