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आज की पीढ़ी और पहले की पीढ़ी के विचारों, कार्यों, रूचियों आदि में अनेकों अंतर हैं। पीढ़ी दर-पीढ़ी ये अंतर बढ़ते जाते हैं और अधिक विशिष्ट होते जाते हैं। पीढ़ियों को नाम देने का प्रचलन 19वीं शताब्दी से शुरू हुआ। मिलेनिअल (Millennial) भी इन्हीं पीढी लेबलों (Labels) में से एक है। मिलेनिअल अमेरिका में एक समान आयु वाले लोगों का समूह है, जिसमें वे लोग शामिल हैं जो 1981 और 1996 के बीच पैदा हुए। जब मिलेनिअल्स का अंत होता है तब पीढी Z (Generation Z) की शुरूआत होती है। 2014 की संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट (Report) के अनुसार, 10-25 वर्ष आयु वर्ग के 3560 लाख लोगों के साथ भारत में दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी है।
 
2020 तक, भारत कामकाजी आयु वर्ग में 64% आबादी के साथ दुनिया का सबसे युवा देश बन जाएगा। पीढी Z को मिलेनिअल्स से इस प्रकार अलग किया जा सकता है:
•	मिलेनिअल्स, बेबी बूमर्स (Baby boomers) से विकसित हुए हैं, जबकि पीढ़ी Z, पीढ़ी X  से विकसित हुई।
•	मिलेनिअल्स, एक आर्थिक उछाल के दौरान उभरे, जबकि पीढ़ी Z मंदी के दौरान। 
•	मिलेनिअल्स की प्रवृत्ति आदर्शवादी होती है, जबकि पीढ़ी Z की व्यावहारिक।
•	मिलेनिअल्स ने अनुभवों को एकत्रित करने पर ध्यान केंद्रित किया, जबकि पीढ़ी Z ने पैसे बचाने पर ध्यान केंद्रित किया। 
•	मिलेनिअल्स मोबाइल (Mobile) का उपयोग करने वाले शुरूआती लोग थे, जबकि पीढ़ी Z ने मूल रूप से मोबाइल का उपयोग किया।  
•	मिलेनिअल्स ने उन ब्रांडों (Brands) को प्राथमिकता दी, जिन्होंने उनके मूल्यों को साझा किया जबकि पीढ़ी Z ने उन ब्रांडों को प्राथमिकता दी जिन्हें उन्होंने प्रामाणिक महसूस किया। 
•	मिलेनिअल्स ने फेसबुक (Facebook) और इंस्टाग्राम (Instagram) को प्राथमिकता दी, जबकि पीढ़ी Z ने स्नैपचैट (Snapchat) और इंस्टाग्राम को प्राथमिकता दी।
आम तौर पर, विभिन्न पीढ़ियों का वर्णन करने के लिए उपयोग किए जाने वाले लेबल जैसे - बेबी बूमर्स, पीढी X, पीढी Y - जब विश्व स्तर पर लागू किये जाते हैं, तब निरर्थक प्रतीत होते हैं। हर देश और संस्कृति का अपना संदर्भ होता है, और पश्चिम में विकसित किए गए इस प्रकार के शब्दों या वर्णनों को बिना सोचे समझे भारत जैसी संस्कृति में लागू करना मूर्खता है। लेकिन मिलेनिअल्स के बारे में ऐसा कुछ है, जो इसे अन्य चीजों से अलग करता है। यहां एक स्पष्ट विचलन है जो इस पीढ़ी और पहले वाले लोगों के बीच देखा जा सकता है, और वो प्राथमिकताओं और विश्व दृष्टिकोण की एक विशिष्टता है, जो कि एक नाम मांगती है। शायद इसलिए कि इस पारी का प्राथमिक चालक (डिजिटल -Digital - प्रौद्योगिकी का आगमन) प्रकृति में वैश्विक है, और चूंकि यह लगभग उसी समय हुआ था जब मिलेनिअल्स ने इस पीढी को अपना नाम दिया, इसलिए इस लेबल में कुछ योग्यता है। भारत में, विशेष रूप से, यह मोबाइल फोन है, जिसने मिलेनिअल्स को एक अलग चरित्र या गुण दिया। अतीत में किसी भी अन्य पीढ़ी की तुलना में, मिलेनिअल्स में व्यक्तिगत रूप में खुद की गहरी अंतर्निहित भावना या समझ होती है। यह भावना उस तरीके का एक परिणाम है, जिसमें वे दुनिया का अनुभव करते हैं। मोबाइल फोन, अपने स्वभाव से, अपने उपयोगकर्ता को न केवल एक व्यक्तिगत इकाई होने के बारे में जागरूक करता है, बल्कि उसे दुनिया के केंद्र में रखता है। मोबाईल फोन पर हर छोटा इशारा जैसे – स्वाइप (Swipe), पिंच (Pinch), स्क्रॉल (Scroll), लाइक (Liking), शेयरिंग (Sharing), रिप्लाई (Replying), डिसलाइकिंग (Disliking), रिजेक्टिंग (Rejecting) जैसी हर क्रिया इस बात की पुष्टि करते हैं कि हर व्यक्ति का उसके या उसके डिजिटल माहौल पर नियंत्रण है।
अपने साथियों से सीखने की क्षमता और स्वयं को बनाए रखने की क्षमता इस पीढ़ी की एक विशिष्ट विशेषता है। यह पहली पीढ़ी है जो कई समान विकल्पों के बीच चयन करने की क्षमता रखती है और यह एहसास उन्हें चीजों को आज़माने, एक अनुभव से दूसरे अनुभव को सीखने की अनुमति प्रदान करता है। चाहे वह शिक्षा का क्षेत्र हो, व्यक्तिगत संबंध, उपभोग या व्यक्तिगत पहचान, मिलेनिअल्स सभी चीजों को खुला रखने के इक्छुक होते हैं। मिलेनिअल्स अपने व्यक्तित्व और स्वतंत्रता को तरसते हैं, लेकिन जो भी संसाधन उपलब्ध हैं उसका उपयोग करने में खुश रहते हैं। सभी प्रकार की सहायता (वित्तीय, भौतिक और भावनात्मक) के लिए परिवार पर मिलेनिअल्स के झुकाव को ढूंढना असामान्य नहीं है। स्वतंत्रता की इच्छा और परिवार पर एक अटूट निर्भरता के बीच कोई विरोधाभास नहीं देखा जाता है। कुल मिलाकर, यह पीढ़ी एक अंतर बनाने के लिए अपनी स्वयं की शक्ति में विश्वास करती है, और खुद को व्यक्त करने में बहुत अधिक सक्रिय भूमिका निभाती है। व्यक्तित्व की एक मजबूत भावना का संयोजन, विकल्पों की एक सीमा तक पहुंच, पहचान की एक अधिक बहुविध और प्रवाही भावना, और प्राथमिकताओं का एक अधिक विविध समूह मिलेनिअल्स को पुरानी पीढ़ियों के लिए कुछ असुविधा का स्रोत बनाता है। इनकी सोच व्यापक और सामाजिक रूप से समावेशी दोनों हैं, हालांकि यह पीढ़ी अक्सर अत्यधिक आत्म-अवशोषित रूप में सामने आती है। 
प्यू रिसर्च (Pew Research) का मानना है कि जिससे पहले हम मिलेनिअल्स के अमेरिकी निर्माण को विश्लेषण के लिए एक प्रासंगिक उपकरण के रूप में अपनाएं, उससे पहले हमें यह परखने की जरूरत है कि क्या हमें ऐसा करना चाहिए? जिन बातों या तथ्यों के आधार पर ये लेबल विभिन्न आयु वर्ग के लोगों को दिये गये हैं वे बातें या तथ्य हमारे यहां लागू नहीं होते। उदारीकरण, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक घटनाओं से परिभाषित होता है तथा भारतीयों के लिए एक केंद्रीय घटना है। इसलिए भारत के मामले में यह निश्चित रूप से उपभोग के किसी भी विश्लेषण के लिए सबसे अधिक प्रभावशाली है। 1981 और 1996 के बीच पैदा हुआ आयु वर्ग भारत की पहली गैर-समाजवादी पीढ़ी है, जिन्हें उपभोग के लिए प्रोत्साहित किया गया। यह वह अवधि है जब भारत का रूपांतरण एक बंद अर्थव्यवस्था से एक खुली अर्थव्यवस्था में हुआ। 1996 के बाद जन्मे लोगों को पीढ़ी Z कहा जाता है लेकिन भारत में उनके लिए उपयुक्त लेबल डिजीजेंस (Digizens) है। प्यू रिसर्च का कहना है कि बेबी बूमर्स (Baby Boomers), पीढी X तथा मिलेनिअल्स क्रमशः टेलीविजन विस्फोट, कंप्यूटर क्रांति, इंटरनेट (Internet) क्रांति के साथ उभरे जबकि भारतीय मिलेनिअल्स यानि उदारीकरण के समय का बच्चा टेलीविजन और कंप्यूटर क्रांतियों के साथ बड़ा हुआ। 
चित्र सन्दर्भ :
मुख्य चित्र में भारतीय मिलेनियल्स (Millennials) की पीढ़ी को दिखाया गया है। (Pinterest)
दूसरे चित्र में अपनी ही मस्ती में सरावोर मिलेनियल युवतियों के समूह को दिखाया गया है। (Unsplash)
अंतिम चित्र में कार्यालय में काम करते हुए मिलेनियल युवाओं को दिखाया गया है। (Freepik)