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संस्कृति और सभ्यताओं की विविधता के साथ भारत अपने स्वादिष्ट पकवानों के लिए भी जाना जाता है। इन स्वादिष्ट पकवानों में यहां बनने वाली बिरयानी भी प्रसिद्ध है, जो क्षेत्र के हिसाब से विभिन्न तरीकों और सामग्रियों के साथ पकायी जाती है। किंतु क्या आप जानते हैं कि, आखिर बिरयानी बनाने की शुरूआत भारत में हुई कैसे? इस शानदार पकवान की उत्पत्ति के संबंध में विभिन्न सिद्धांत मौजूद हैं। कई इतिहासकारों का मानना है कि, बिरयानी की उत्पत्ति फारस (ईरान - Iran) में हुई थी और इसे मुगलों द्वारा भारत लाया गया था। ‘बिरयानी’, फारसी शब्द ‘बिरियन’ (Birian) से लिया गया है, जिसका अर्थ है, पकाने से पहले फ्राई (Fry) करो और बिरिनज (Birinj) शब्द, चावल के लिए प्रयुक्त किया जाने वाला एक फारसी शब्द है। मुगल शाही रसोई में इस पकवान को और भी अधिक विकसित किया गया। बिरयानी के विकास के साथ कई किंवदंतियाँ जुड़ी हुई हैं। एक किंवदंती, शाह जहाँ (Shah Jahan) की पत्नी मुमताज (Mumtaz) से संबंधित है। ऐसा माना जाता है कि, जब मुमताज सेना की बैरक (Barracks) में गई, तो उन्हें वहां मुगल सैनिक कुपोषित दिखायी दिये। सैनिकों को संतुलित आहार प्रदान करने के लिए, उन्होंने रसोइये से मांस और चावल के साथ पकवान तैयार करने को कहा। पकवान को मसाले और केसर के साथ मिलाया गया और फिर लकड़ी की आग पर पकाया गया। एक अन्य किंवदंती के अनुसार, बिरयानी को तुर्क-मंगोल (Turk-Mongol) विजेता, तैमूर (Taimur) द्वारा वर्ष 1398 में भारत लाया गया था। यहां तक कि, हैदराबाद के निज़ाम और लखनऊ के नवाब भी इस स्वादिष्ट पकवान के विकास के लिए जाने जाते हैं। परंपरागत रूप से, बिरयानी को मिट्टी के बर्तन में लकड़ी के कोयले पर पकाया जाता था। आज भारत में इसके विभिन्न नए रूप देखने को मिलते हैं, जिनमें मुगलई बिरयानी, लखनऊ बिरयानी, कोलकाता बिरयानी, बंबई बिरयानी, हैदराबादी बिरयानी आदि शामिल हैं। पारंपरिक मुगलई बिरयानी को केवड़ा की सुगंध के साथ पूरी तरह से मसाले में लेपित मांस के टुकड़ों के साथ बनाया जाता है। लखनऊ में 'पुक्की' (Pukki) शैली की बिरयानी अत्यधिक पसंद की जाती है। इसमें, मांस और चावल को अलग-अलग पकाकर उसे अनेक परतों के रूप में तांबे के बर्तन में रखा जाता है। यह बिरयानी व्यापक रूप से अवध के नवाबों से प्रभावित थी, जो फारसी मूल के थे। कोलकाता में बनायी जाने वाली बिरयानी नवाब वाजिद अली शाह की देन थी। चूंकि नवाब उस समय मांस का खर्च उठाने में असमर्थ थे, इसलिए स्थानीय रसोइयों ने मांस को पूरी तरह से पके हुए सुनहरे भूरे आलू से बदल दिया। कोलकाता की बिरयानी कम मसालेदार होती है, जिसे दही में मैरिनेड (Marinade) किये हुए मांस और हल्के पीले चावलों से बनाया जाता है। इसी प्रकार से हैदराबाद में बनने वाली बिरयानी तब अस्तित्व में आई, जब बादशाह औरंगज़ेब (Aurangzeb) ने निजा-उल-मुल्क (Niza-Ul-Mulk) को नए शासक के रूप में नियुक्त किया। माना जाता है कि, उनके रसोईयों ने मछली, झींगा, बटेर, हिरण और यहां तक कि खरगोश के मांस का उपयोग करके बिरयानी के लगभग 50 अलग-अलग संस्करण बनाए। 
बिरयानी का एक प्रसिद्ध रूप दम बिरयानी भी है। माना जाता है कि, इसकी उत्पत्ति लखनऊ में ही हुई थी। दम बिरयानी की उत्पत्ति के बारे में कई कहानियां हैं, लेकिन सबसे लोकप्रिय कहानी नवाब आसफ-उद-दौला से जुड़ी हुई है, जो 1700 के दशक के अंत में अवध के वजीर या शासक थे। 1784 में, एक भयंकर अकाल के दौरान, नवाब ने एक धर्मार्थ पहल शुरू की, जिसके अंतर्गत नवाब ने बड़ा इमामबाड़ा की इमारत का निर्माण प्रारंभ करवाया। इस इमारत के निर्माण में लगे लोगों को दिन और रात खाना खिलाने के लिए नवाब के रसोइयों ने ‘दम पुख्त’ विधि का उपयोग किया, जिसमें मांस, सब्जियां, चावल और मसालों को एक साथ मिलाकर बड़े बर्तनों में ढक कर धीमी आंच पर पकाया गया। खाना पकाने की यह प्रणाली बड़ी संख्या में श्रमिकों को भोजन प्रदान करने के लिए सबसे सुविधाजनक विधि साबित हुई। विशेष बात यह थी कि, अत्यधिक मसाले का उपयोग किए बिना ही बड़ी संख्या में श्रमिकों को स्वादिष्ट भोजन प्रदान किया गया। एक बार जब बिरयानी की महक नवाब तक पहुंची तब, नवाब ने इस पकवान को अपनी शाही रसोई में भी बनाने का आदेश दिया।
 शाही रसोईयों ने इस पकवान को बनाने के लिए दम पुख्त की विधि के साथ शाही तरीकों को भी मिश्रित किया और इस प्रकार से पूरी तरह से एक नया पकवान तैयार हुआ। इसके बाद यह पकवान शाही दरबारों और उच्च वर्ग के लोगों के बीच भी लोकप्रिय हुआ। इसे हैदराबाद, कश्मीर, भोपाल 
वर्तमान समय में पूरा विश्व कोरोना महामारी का सामना कर रहा है, किन्तु बिरयानी का जादू कुछ ऐसा है, कि यह लोगों से अलग नहीं हो सकता। खाद्य वितरण प्लेटफार्मों (Platforms) स्विगी (Swiggy) और ज़ोमेटो (Zomato) के अनुसार तालाबंदी के दौरान, भारतीय लोगों को बिरयानी की कमी अत्यधिक महसूस हुई। स्विगी द्वारा जारी एक विस्तृत रिपोर्ट (Report) के अनुसार, बिरयानी को विभिन्न रेस्तरां से 5.5 लाख बार ऑर्डर (Ordered) किया गया था। इसी प्रकार से ज़ोमेटो भी यह दर्शाता है कि, भारतीयों के लिए बिरयानी सबसे पसंदीदा खाद्य पदार्थ है, चाहे कोरोना महामारी मौजूद हो या नहीं। शायद यही कारण है कि, बिरयानी उन पकवानों में शामिल है, जिन्हें भारत में सबसे अधिक पसंद किया जाता है।