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भारत (India) सहित अन्य देशों में भी वहाँ रहने वाले लोगों को वहाँ के नियमों का पालन करना पड़ता है। जिसके अंतर्गत उन्हें विशेष मौलिक, सामाजिक और राजनैतिक अधिकार प्रदान किए जाते हैं। यह स्थिति उन व्यक्तियों के उस देश के नागरिक होने की अवस्था कहलाती है। नागरिकता प्राप्त लोगों को उस देश के संवैधानिक कानून के तहत कुछ विशेष अधिकार दिए जाते हैं साथ ही उन्हें कुछ विशेष कर्तव्यों का पालन भी करना पड़ता है। सरकार संपत्ति, आयकर इत्यादि मामलों पर नज़र रखने के उद्देश्य से देश में रहने वाले और वहाँ धन कमाने वाले व्यक्तियों की नागरिकता पर नियंत्रण रखती है।
दोहरी नागरिकता (Dual Citizenship)
कुछ विशेष परिस्थितियों में किसी एक देश की नागरिकता के साथ-साथ किसी अन्य देश की नागरिकता प्राप्त करना दोहरी नागरिकता कहलाता है। हालाँकि दोहरी नागरिकता प्राप्त करने के लिए किसी जटिल कानूनी कार्यवाही की आवश्यकता नहीं होती फिर भी अमेरिका (America) जैसे कई देश पूर्ण रूप से इसका पक्ष नहीं लेते हैं। इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि कोई राष्ट्र केवल अपने देश के नागरिकों पर ही नियंत्रण रखने में सक्षम होता है। ऐसे भी कई देश हैं जो बहुत से विदेशी नागरिकों को वहां अनिश्चित काल तक रहने और कार्य करने की अनुमति प्रदान करते हैं।
 ऐसी नागरिकता को आंशिक नागरिकता कहा जाता है।भारत दोहरी नागरिकता या दूसरे शब्दों में किसी अन्य देश के पासपोर्ट के अलावा किसी अन्य व्यक्ति के पास भारत का पासपोर्ट रखने की अनुमति नहीं देता है जहां वे काम कर रहे हैं या रह सकते हैं। कुछ अन्य देशों के पासपोर्ट वाले लोगों को एक ओडोर मिल सकता है। पीआईओ - इन 2 विकल्पों में से कोई भी पूर्ण भारतीय नागरिकता अधिकार नहीं देता है और मुख्य रूप से बिना वीजा के बाधाओं के भारत में लंबे समय तक रहने के लिए विदेशी पासपोर्ट के साथ जातीय भारतीयों की मदद करने के लिए प्रदान किया जाता है।
अनिवासी भारतीय (Non-Resident Indians)
भारतीय मूल का वह व्यक्ति जो किसी अन्य देश में निवास करता हो अनिवासी भारतीय या एनआरआई कहलाता है। एक एनआरआई होने की मुख्य शर्त यह है कि वह व्यक्ति किसी वित्तीय वर्ष अर्थात 1st अप्रैल से 31st मार्च की अवधि में कम से कम 183 दिनों के लिए संयुक्त रूप से किसी दूसरे देश में रहा हो।
अनिवासी भारतीय होने के लाभ
अनिवासी भारतीयों को भारत में कई लाभ प्रदान किए गए हैं: 
• अनिवासी भारतीयों द्वारा विदेश में कमाए गए धन या संपत्ति पर भारत सरकार कर वसूल नहीं कर सकती बशर्ते उस व्यक्ति ने उस राष्ट्र को कर का भुगतान किया हो जिस राष्ट्र में व्यक्ति ने धन कमाया है।
• भारतीय विश्वविद्यालयों में एनआरआई विद्यार्थियों के लिए विशेष कोटा सीटें आरक्षित की गई हैं।
• यदि वे चुनाव के समय भारत में उपस्थित हों तो मतदान भी कर सकते हैं।
• वे भारतीय बैंकों में विशेष प्रकार के बैंक खाते के खाताधारक बन सकते हैं।
• विदेश में रहने के बावजूद भी भारत में संपति और भूमी के मालिका बने रह सकते हैं।
अनिवासी भारतीय होने की हानियां
एनआरआई होने की कुछ हानियां भी हैं, जो इस प्रकार हैं:
• एक एनआरआई भारत में कृषि भूमि या कोई फार्म हाउस (Farm House) नहीं खरीद सकता है।
• भारत में निवेश की गई धनराशि को बिना अनुमति प्राप्त किए नहीं निकाल सकता है।
• वह भारत के न किसी सरकारी विभाग में नौकरी नहीं कर सकता है और न ही किसी राजनैतिक पद पर नियुक्त हो सकता है।
आवेदन करने के लिए आवश्यक योग्यता
एनआरआई बनने के लिए किसी आवेदन पत्र की आवश्यक नहीं होती है। एकमात्र आधिकारिक रिकॉर्ड व्यक्ति द्वारा दाखिल किए गए वार्षिक कर पर उपलब्ध होता है। यह नियम हर साल बदल सकता है।
भारतीय मूल का व्यक्ति (Person of Indian Origin)
पीआईओ एक प्रकार का वीज़ा था जिसकी अवधि 15 वर्ष थी। परंतु वर्तमान समय में इसे हटा दिया गया है। भारतीय मूल के व्यक्ति से तात्पर्य उस विदेशी नागरिक (पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, चीन, ईरान, भूटान, श्रीलंका और / या नेपाल को छोड़कर) से है, जो:
• किसी भी समय भारतीय पासपोर्ट के अनुसार, या
• जिसके माता-पिता / दादा-दादी / परदादा-परदादी में से कोई भारत में पैदा हुआ हो और भारत सरकार अधिनियम, 1935 के तहत भारत या अन्य क्षेत्र जो कि भारत का हिस्सा बन गए थे, का स्थायी निवासी हो। और किसी भी समय उपरोक्त देशों में से किसी का नागरिक न रहा हो 
• भारत के नागरिक या भारतीय मूल के व्यक्ति का जीवनसाथी हो।
भारत के प्रवासी नागरिक (Overseas Citizen of India)
प्रवासी भारतीय वह व्यक्ति होता है जो या तो स्वयं भारत का नागरिक रहा हो या उसके माता-पिता, दादा-दादी, परदादा-परदादी में से कोई भी एक भारत का नागरिक हो या भूतकाल में कभी भारत का नागरिक रहा हो या किसी भरतीय नागरिक या मौजूदा प्रवासी भारतीय से कम से कम लगातार दो वर्षों तक शादी के बंधन में बंधा हो। 
ऐसे व्यक्ति जो कभी भी बांग्लादेश या पाकिस्तान का नागरिक रहा हो या जिसके माता-पिता, दादा-दादी, परदादा-परदादी में से कोई भी कभी चीन, श्रीलंका, अफगानिस्तान, पाकिस्तान या बांग्लादेश के नागरिक रहे हों और जिसने कभी भी विदेशी सेना या विदेशी रक्षा विभाग में कार्य किया हो, भारत के प्रवासी नागरिक नहीं बन सकते।
प्रवासी नागरिक होने के लाभ
भारत के प्रवासी नागरिकों को भी सरकार द्वारा कुछ लाभ प्रदान किए गए हैं:
• प्रवासी भरतीय आजीवन बिना किसी विशेष औपचारिकता के कभी भी और कितने भी समय के लिए भारत में निवास कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें एफआरआरओ (FRRO) या विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण अधिकारी को अपने रहने की अवधि की जानकारी देने की भी आवश्यकता नहीं है।
• वे गैर-कृषि संपत्ति के मालिक बन सकते हैं।
• भारत में शिक्षा प्राप्त करने के लिए उन्हें किसी स्टूडेंट वीज़ा (Student Visa) और नौकरी के लिए रोजगार वीज़ा की भी आवश्यकता नहीं होती है।
• यदि कोई व्यक्ति लगातार पाँच वर्षों तक प्रवासी भारतीय बना रहे और कम से कम 1 वर्ष के लिए भारत में ही रहे तो वह भारत की नागरिकता प्राप्त करने के लिए योग्य माना जाता है।
• वे ड्राइविंग लाइसेंस (Driving License), पैन कार्ड (PAN Card) के लिए आवेदन करने और बैंक में खाता खुलवाने के लिए केवल अपने ओसीआई कार्ड का उपयोग कर सकते हैं।
• प्रवासी भारतीयों को एनआरआई के समान शिक्षा, आर्थिक, वित्तीय लाभ भी प्रदान किए गए हैं।
प्रवासी नागरिक होने की हानियां
लाभों के साथ-साथ कुछ हानियां भी हैं जिसका सामना एक प्रवासी भारतीय को करना पड़ता है।
• वे बिना अनुमति के किसी भी प्रतिबंधित क्षेत्रों की यात्रा नहीं कर सकते हैं।
• वे भारत में सरकारी नौकरी नहीं कर सकते और न ही किसी राजनैतिक पद पर कार्य कार सकते हैं।
• वे कृषि भूमि या फार्म हाउस नहीं खरीद सकते हैं।
• मतदान करने का अधिकार भी प्रवासी भारतीयों को नहीं है।
आवेदन करने के लिए आवश्यक योग्यता
प्रवासी भारतीय बनने के लिए स्थानीय विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण अधिकारी को अपने देश में या भारत के भीतर भारतीय दूतावास के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं।
प्रवासी भारतीयों के संदर्भ में भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 में धारा 7बी के तहत निम्नलिखित अधिकारों का वर्णन किया गया है:
(1) तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में अंतर्विष्ट किसी भी बात के होते हुए भारत का एक अन्य देशीय नागरिक [उप-धारा (2) के तहत निर्दिष्ट अधिकारों के अलावा] ऐसे अधिकारों का हक़दार होगा जिन्हें केंद्रीय सरकार आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना द्वारा इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे।
(2) भारत का एक विदेशी नागरिक भारत के नागरिकों को प्राप्त अधिकारों का हकदार नहीं होगा-
(a) सार्वजनिक रोजगार के मामलों में अवसर की समानता के संबंध में संविधान के अनुच्छेद 16 के तहत;
(b) राष्ट्रपति के रूप में चुनाव के लिए संविधान के अनुच्छेद 58 के तहत:
(c) उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए संविधान के अनुच्छेद 66 के तहत;
(d) सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए संविधान के अनुच्छेद 124 के तहत;
(e) उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए संविधान के अनुच्छेद 217 के तहत;
(f) जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 (1950 के 43) की धारा 16 के तहत मतदाता के रूप में पंजीकरण के संबंध में;
(g) जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (1951 के 43) की धारा 3 और 4 के तहत, जैसा मामला हो, लोक सभा या राज्य 
परिषद के सदस्य होने की पात्रता के संबंध में;
(h) जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (1951 के 43) की धारा 5A और 6 के तहत, जैसा मामला हो, विधान सभा या विधान परिषद के सदस्य होने के लिए पात्रता के संबंध में;
(i) ऐसी सेवाओं और पदों जो केंद्र सरकार उस निमित्त विशेष आदेश द्वारा निर्दिष्ट की गई हो, में नियुक्ति को छोड़कर संघ के या किसी भी राज्य के मामलों के संबंध में सार्वजनिक सेवाओं और पदों पर नियुक्ति के लिए।
(3) उप-धारा (1) के तहत जारी प्रत्येक अधिसूचना संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी।