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शाह नजफ़ इमामबाड़ा राणा प्रताप रोड पर शहर के बीचों-बीच स्थित है। यहाँ की सफेद सुंदरता इमामबाड़े का मुख्य आकर्षण है। जिसे निहारने के लिए देश भर से लोगों का जमावड़ा यहां लगा रहता है। हालांकि कोरोना महामारी ने धार्मिक स्थलों पर जुटने वाली भीड़ को बड़े स्तर पर प्रभावित किया है, लेकिन दूसरी ओर ऐसे कई सर्वेक्षण भी हुए हैं, जहाँ यह स्पष्ट हुआ की महामारी के बीच लोगों में ईश्वर के प्रति आस्था और गहरी हुई है। पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, चंडीगढ़, एम्स-ऋषिकेश और 15 अन्य प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थानों ने एक संयुक्त अध्ययन किया, जहाँ विशेषज्ञों ने लगभग 21.2% प्रतिशत लोगों में ईश्वर के प्रति विश्वास में अभूतपूर्व वृद्धि देखी। साथ ही 18.3% प्रतिशत ने विश्वास में मामूली वृद्धि महसूस की। वही 50.1% प्रतिशत लोगों ने ईश्वर के प्रति अपनी आस्था में कोई बदलाव महसूस नहीं किया। 4.4% प्रतिशत लोगों ने माना की उनकी आस्था में कुछ कमी आयी है। और 4% प्रतिशत लोगों ने स्पष्ट रूप से यह स्वीकार किया की उनका बड़े स्तर पर ईश्वर में विश्वास कम हुआ है। सर्वेक्षण में भाग लेने वाले एक तिहाई लोगों ने यह महसूस किया की लॉक डाउन के दौरान उनमे व्यायाम, ईश्वर में विश्वास, फिल्में देखना, इंटरनेट गेमिंग, इनडोर गेम खेलना, यौन गतिविधि, किताबें पढ़ना, पेंटिंग, खाना बनाना, और सफाई जैसी गतिविधियों को लेकर रुचि बड़ी है। सर्वेक्षण के दौरान, यह भी पाया गया कि 61.8 प्रतिशत लोगों ने अपने पड़ोसियों और 59.6 ने अपने सहकर्मियों के साथ अपने संबंधों में सुधार किया। लॉकडाउन में 47.4% लोगो ने अपने निजी पारिवारिक संबंधों में सुधार को महसूस किया। इस सर्वेक्षण से यह भी स्पष्ट हुआ की प्रत्येक पांच में से दो प्रतिभागी खुद को मानसिक स्तर पर कमजोर महसूस कर रहे हैं । वें किसी न किसी प्रकार के मानसिक विकार का सामना कर रहे हैं।
लॉकडाउन के दौरान काम पर जाने के सन्दर्भ में जब सर्वेक्षण किया गया तो पाया गया की 21.1 प्रतिशत लोग किसी भी तरह के काम से संलग्न नहीं हैं। शेष बचे हुए लोग घर से ही काम कर रहे थे, अथवा केवल सीमित समय अवधि के लिए ही काम पर जा रहे थे। यह सर्वे विभिन्न ऑनलाइन माध्यम जैसे (What’s App) की मदद से पूरे देश भर में किया गया। जहाँ से बेहद चौकाने वाले आंकड़े सामने आये। यह सर्वे मुख्यतः नौजवान पुरुष और महिलाओं पर किये गए। इससे यह तो स्पष्ट है की चूँकि लॉकडाउन की वजह से हमारे परिवार जनों, पड़ोसियों, सहकर्मियों और ईश्वर के साथ संबंध पहले की तुलना में और अधिक मजबूत हुए हैं, परन्तु मानसिक स्तर पर यह नौजवानो के लिए बेहद घातक साबित हुआ है। बड़ी संख्या में युवाओं में अवसाद और तनाव की वृद्धि देखी गयी। जिसका कारण निश्चित रूप से उनकी नौकरी का छूट जाना अथवा मासिक वेतन में कटौती है। उनके सामने अपने परिवार के भरण-पोषण की अहम् ज़िम्मेदारी भी हैं।