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हालाँकि अवधी शैली की पाक
कला मुग़ल व्यंजनों से काफी आकर्षित हुई है, लेकिन दोनों के बीच महत्वपूर्ण अंतर हैं। अवधी
व्यंजन तैयार करने की प्रक्रिया बहुत धीमी होती है, जो इसमें परत दर परत स्वाद चढ़ाती है।
मसालों की अत्यधिक उपयोगिता के कारण मुगलई भोजन वसा से भरपूर होता है जबकि अवधी
व्यंजन बहुत नाज़ुक ज़ायके और सीमित मसाले के उपयोग के लिए जाना जाता है। रामपुर और
लखनऊ भौगोलिक रूप से बहुत दूर नहीं हैं लेकिन उनकी पाक शैली बहुत अलग है। रामपुर के
व्यंजन अफगानी संस्कृति से प्रभावित थे और वे मोटे तौर पर ज्यादा मसालों का उपयोग करते हैं
जबकि अवधी व्यंजन लगभग 20 मसालों का उपयोग करते हैं लेकिन वे प्रत्येक सामग्री का स्वाद देते
हैं। इसके अलावा धीमी खाना पकाने की प्रक्रिया भोजन से रस को भलि भांति अवशोषित करती है,
जिससे सभी पोषक तत्व बरकरार रहते हैं।
कवाब वास्तम में एक दांतरहित नवाब के लिए बनाया गया था, आज लखनऊ
के विश्व प्रसिद्ध ब्रांड टुंडे के कबाब ने आज इसकी दर्जनों किस्म तैयार कर दी हैं।100 से अधिक
साल पुराने इस प्रतिष्ठान और इसके रसीले कबाब की इतनी प्रतिष्ठा है कि इसे आज एक खाद्य
तीर्थयात्री माना जाता है।