प्रथम विश्व युद्ध में भारतीय सैनिकों तथा विभन्न डिविजनो का योगदान

औपनिवेशिक काल और विश्व युद्ध : 1780 ई. से 1947 ई.
12-06-2021 09:29 AM
प्रथम विश्व युद्ध में भारतीय सैनिकों तथा विभन्न डिविजनो का योगदान

विश्व युद्ध कि चर्चाएँ हमें अक्सर सुनाई दे जाती हैं, परंतु लगभग हर बार हम युद्ध में भारत के योगदान को समझने से वंचित रह जाते हैं, जिसका प्रमुख कारण है की बहुत कम ऐसी किताबें है, जहाँ विश्व युद्ध में भारतीयों के योगदान को सराहा गया हो। लेख में हम कुछ ऐसी ही दुर्लभ घटनाओं कि चर्चा करेंगे।
भारतीय सेना ने प्रथम विश्व युद्ध में यूरोपीय, भूमध्यसागरीय और मध्य पूर्व के युद्ध क्षेत्रों में अपने अनेक डिविजनों और स्वतन्त्र ब्रिगेडों कि मदद से अहम योगदान दिया था। इस महायुद्ध के दौरान, दस लाख भारतीय सैनिकों ने अलग-अलग देशों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन दस लाख सैनिकों में से लगभग 62,000 सैनिक मारे गए थे, और अन्य 67,000 घायल हो गए। युद्ध के दौरान कुल मिलाकर 74,187 भारतीय सैनिकों (जिसे कभी-कभी 'ब्रिटिश भारतीय सेना' कहा जाता है) की मृत्यु हुई थी। 1903 में किचनर (Kitchener) को भारत का कमांडर-इन-चीफ नियुक्त किया गया, और नियुक्ति के साथ ही इन्होने भारतीय सेना में सुधार करने के उद्द्येश्य से प्रेसीडेंसियों की तीनों सेनाओं को एकीकृत कर एक संयुक्त सैन्य बल बनाया, और उच्च-स्तरीय संरचनाओ तथा दस आर्मी डिविजनों का गठन भी किया।
विश्व युद्ध के दौरान प्रतिवर्ष लगभग 15,000 जवानों की भर्ती हो रही थी, इस दौरान 800,000 से अधिक लोगों ने अपनी इच्छा से सेना में योगदान दिया, और लगभग 400,000 से अधिक लोगों ने सीधे अथवा गैर-युद्धक भूमिका अदा की। युद्ध के दौरान स्थायी डिवीजनों के साथ ही भारतीय सेना ने कई स्वतंत्र ब्रिगेडों का भी गठन किया था, जिन्हें सात अभियान बलों में वर्गीकृत करने के पश्चात् विदेशो के लिए रवाना कर दिया गया।
1. भारतीय अभियान बल (A) भारतीय अभियान बल ए (Indian Expeditionary Force A) जनरल सर जेम्स विलकॉक्स के अंतर्गत चल रहा था, जिसे ब्रिटिश एक्सपेडिशनरी फोर्स से जोड़ा गया था।
2. भारतीय अभियान बल (B) भारतीय अभियान सेना बी में 9वीं (सिकंदराबाद) डिविजन से 27वें (बैंगलोर) ब्रिगेड और एक अग्रणी बटालियन इम्पीरियल सर्विस इन्फैंट्री ब्रिगेड (Battalion Imperial Service Infantry Brigade), एक पहाड़ी तोपखाने की बैटरी और इंजीनियर शामिल थे।
3. भारतीय अभियान बल (C) इस सैन्य बल का इस्तेमाल मुख्य रूप से युगांडा के रेलवे की निगरानी और संचार सुरक्षा कार्यों में, किंग्स अफ्रीकन राइफल्स (King's African Rifles) का समर्थन करने के लिए किया गया। इसमें भारतीय सेना के 29वें पंजाबी बटालियन के साथ- साथ जींद, भरतपुर, कपूरथला और रामपुर के रियासती प्रांतों के बटालियनों, एक स्वयंसेवक 15 पाउंडर तोपखाने की बैटरी, 22वीं (डेराजट) माउंटेन बैटरी (फ्रंटियर फोर्स), एक वोलंटियर मैक्सिम गन बैटरी और एक फील्ड एम्बुलेंस भी शामिल थी।
4. भारतीय अभियान बल (D) भारतीय अभियान बल डी, देश में सेवारत भारतीय सेना का सबसे बड़ा सैन्य बल था, जिसकी कमान लेफ्टिनेंट-जनरल सर जॉन निक्सन (Sir John Nixon) के हाथों में थी।
5. भारतीय अभियान बल (E) भारतीय अभियान बल ई में, फिलिस्तीन में सेवा के लिए 1918 में फ्रांस से स्थानांतरित दो भारतीय कैवलरी डिविजन शामिल थे।
6. भारतीय अभियान बल (F) भारतीय अभियान बल एफ में 10वीं भारतीय डिवीजन और 11वीं भारतीय डिवीजन को शामिल किया गया था, दोनों डिविजनो का गठन 1914 में मिस्र में स्वेज नहर की सुरक्षा के लिए किया गया था।
7. भारतीय अभियान बल (G) अप्रैल 1915 में भारतीय अभियान बल जी, को गैलीपोली अभियान को मजबूत करने के लिए भेजा गया। इसमें 29वीं ब्रिगेड शामिल थी, जिसने अपने मूल 10वीं डिवीजन से अलग रहकर काम करना था। किचनर ने भारतीय सेना में सुधार करते हुए, 1903 में 8 वीं (लखनऊ) डिवीजन ब्रिटिश भारतीय सेना की उत्तरी सेना का गठन किया। विश्व युद्ध के दौरान यह डिवीज़न आतंरिक सुरक्षा हेतु भारत में ही रही, हालाँकि बाद में इसे फ़्रांस में कैवेलरी ब्रिगेड के साथ स्थानांतरित कर दिया गया, और 22 वीं (लखनऊ) डिवीज़न को मिश्र में 11 वीं भारतीय डिवीज़न के हिस्से के रूप कार्यरत किया गया।
इस ब्रिगेड का प्रमुख कार्य स्वेज नहर की रक्षा करना था। मई 1915 में स्वेज नहर के लिए तैनात ब्रिगेड के साथ विभाजन को भंग कर दिया गया जीससे ब्रिगेड ज्यादा समय तक नहीं टिक पाई। जनवरी 1916 में 22 वीं और 32 वीं ब्रिगेड्स टूट गई, और 31 वें ब्रिगेड में शामिल हो गई। युद्ध के अंत तक 1,100,000 भारतीयों ने विदेशों में अपनी सेवा दी थी। इस विश्व युद्ध में मेरठ की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही, युद्ध में सबसे पहले मेरठ डिविजन जबकि दूसरी लाहौर डिविजन को मोर्चे पर भेजा गया था। युद्ध के दौरान मेरठ डिविजन की भागीदारी और जांबाजी की गाथाएं, कई किताबों, चित्रों और अंग्रेजी अफसरों की आत्मकथाओं में भी पढ़ने को मिल जाएँगी। मेरठ डिविजन को सबसे पहले फ्रांस में ही तैनात किया गया, परंतु बाद में बेल्जियम और जर्मनी में भी इसकी मदद ली गई।

संदर्भ
https://bit.ly/3pAmxF7
https://bit.ly/2rcNcxm
https://bit.ly/2Snvfdt
https://bit.ly/3cvduzY

चित्र संदर्भ
1. बर्मा में भारतीय, सैनिकों का एक चित्रण (wikimedia)
2. फ्रांस में भारतीय सैनिकों का एक चित्रण (wikimedia)
3. एक फ्रांसीसी लड़का भारतीय सैनिकों से अपना परिचय देता है जो अभी-अभी फ्रांस और ब्रिटिश सेना के साथ लड़ने के लिए फ्रांस पहुंचे थे, मार्सिले, ३० सितंबर 1914 का एक चित्रण (wikimedia)