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                                            एक बुलेटप्रूफ जैकेट (bulletproof jacket)‚ जिसे बैलिस्टिक जैकेट या बुलेट-
प्रतिरोधी जैकेट के रूप में भी जाना जाता है‚ शरीर के लिए एक कवच है‚ जो
संघात को अवशोषित करने और आग्नेयास्त्र से चलने वाले प्रक्षेप्य तथा विस्फोटों
के विखंडन से धड़ में प्रवेश को कम करने या रोकने में मदद करता है। सुरक्षा
जैकेट नरम रूप में भी आती है‚ जो कई पुलिस अधिकारियों‚ जेल प्रहरियों‚ सुरक्षा
गार्डों और कुछ निजी नागरिकों द्वारा पहनी जाती है। जेल प्रहरी और पुलिस‚ छुरा
घोंपने जैसे हमलों का विरोध करने के लिए‚ धातु या पैरा-आर्मीड घटकों का
उपयोग करके बनाए गए सुरक्षा जैकेट पहन सकते हैं। कुछ बंधक बचाव दल तथा
विशेष मिशन यूनिट्स‚ कठोर कवच पहनते हैं‚ या तो नरम कवच के साथ या फिर
अकेले। यह राइफल गोला बारूद या विखंडन के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है।
बैलिस्टिक जैकेट को पहनने योग्य बनाने के लिए‚ एक विशेष वाहक के अंदर
बैलिस्टिक पट्टिका और हार्ड राइफल-प्रतिरोधी प्लेट लगाए जाते हैं। वाहक‚
बैलिस्टिक जैकेट का दृश्य भाग है। सबसे बुनियादी वाहक में जेब शामिल हैं‚
जिसमें उपयोगकर्ता पर वाहक को घुमाने के लिए बैलिस्टिक पट्टिका और फीता
रखा जाता हैं। वाहक दो प्रमुख प्रकार के होते हैं: सैन्य या सामरिक वाहक जो शर्ट
के ऊपर पहने जाते हैं‚ और गुप्त कानून प्रवर्तन प्रकार के वाहक जो शर्ट के नीचे
पहने जाते हैं।
एक भारतीय सेना प्रमुख‚ मेजर अनूप मिश्रा द्वारा स्वदेशी रूप में दुनिया की
पहली बुलेटप्रूफ जैकेट विकसित की गई है। जिसका उपयोग पुरुष और महिला
दोनों लड़ाकों द्वारा किया जा सकता है। ‘शक्ति’ नामक यह बैलिस्टिक वेस्ट‚
दुनिया का सबसे लचीला शरीर कवच भी है। ‘शक्ति’ कवच यूनिसेक्स और
सार्वभौमिक है‚ जिसका अर्थ है कि इसे सशस्त्र बलों के किसी भी रैंक में कहीं भी
पुरुष और महिला दोनों लड़ाकों द्वारा पहना जा सकता है‚ जो सैनिकों के लिए
राइफल गोला बारूद या विस्फोट छर्रों के खिलाफ अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करेगा।
 
भारत के लिए रक्षा संबंधी स्वदेशी तकनीक के लिए यह एक सबसे अच्छा
आविष्कार रहा है। केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने शपथ ली थी कि केंद्र
सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि सैनिकों को “सर्वश्रेष्ठ हथियार और सुरक्षात्मक
कवच” प्रदान किया जाए। मंत्रीजी ने कहा था कि ये बुलेटप्रूफ जैकेट ‘मेक इन
इंडिया’ (Make in India) पहल के तहत निर्मित एक स्वदेशी उत्पाद हैं और भारत
जल्द ही इस तरह की रक्षा वस्तुओं की आपूर्ति के लिए एक वैश्विक केंद्र बनने के
लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि बुलेटप्रूफ जैकेटों की भारतीय सैनिकों द्वारा
सराहना की गई है जो उनका उपयोग सीमाओं पर और उग्रवाद का मुकाबला करने
में कर रहे हैं।
भारतीय सेना ने अपने अग्रिम पंक्ति के सैनिकों के लिए 50‚000 नए बुलेटप्रूफ
जैकेट की आवश्यकता का अनुमान लगाया है‚ जिसके लिए खरीद प्रक्रिया अगले
कुछ महीनों में शुरू होने की उम्मीद है। रक्षा मंत्रालय द्वारा‚ विक्रेताओं को प्रस्ताव
के लिए एक अनुरोध जारी किया जाएगा तथा सभी तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने
और उपयोगकर्ता परीक्षण समाप्त होने के बाद‚ खरीद 12 से 24 महीने की अवधि
में चरणों में की जाएगी। सेना द्वारा सूचीबद्ध विनिर्देशों में कहा गया है कि
बुलेटप्रूफ जैकेट 7.62 मिमी कवच भेदी राइफल गोला बारूद के साथ-साथ 10
मीटर की दूरी से दागी गई हार्ड स्टील कोर गोलियों के खिलाफ एक सैनिक की
रक्षा करने में सक्षम होनी चाहिए। कवच भेदी गोला बारूद‚ जिसका वेग अन्य
गोलियों की तुलना में अधिक है‚ के खिलाफ सुरक्षा के लिए आवश्यक बुलेटप्रूफ
जैकेट का वजन 10 किलोग्राम से कम होना चाहिए‚ जबकि स्टील कोर राउंड के
खिलाफ उपयोग किए जाने वाले बुलेटप्रूफ जैकेट का वजन 8 किलोग्राम से अधिक
नहीं होना चाहिए। जैकेट के बाहरी भाग में‚ नई शामिल की गई SIG 716
राइफल तथा प्रस्तावित AK-203 असॉल्ट राइफल के साथ-साथ हैंड ग्रेनेड (hand
grenades)‚ हैंड-हेल्ड रेडियो सेट (hand-held radio sets)‚ टूल्स या अतिरिक्त
पाउच संलग्न करने की क्षमता होनी चाहिए। बुलेटप्रूफ जैकेटों की कमी‚ अतीत में
तथा कई वर्षों से सेना को चकमा दे रही है। खरीद प्रक्रिया के साथ-साथ परीक्षणों
ने‚ स्रोत के साथ-साथ गुणवत्ता से संबंधित विवाद भी उत्पन्न किये हैं। 2009 में‚
3‚53‚755 बुलेटप्रूफ जैकेट की कमी थी और लंबे समय तक खरीद नहीं की गई
थी। अप्रैल‚ 2018 में पूंजी मार्ग के माध्यम से 1‚86‚138 बुलेटप्रूफ जैकेट की
खरीद के लिए एक निजी फर्म के साथ एक अनुबंध संपन्न किया गया था। फरवरी
2021 में‚ रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने संसद को सूचित किया कि उपरोक्त
आदेश में से‚ अब तक 1‚00‚000 बुलेटप्रूफ जैकेट प्राप्त हो चुके हैं। कुछ भारतीय
कंपनियां सशस्त्र बलों के साथ-साथ पुलिस के लिए भी बुलेटप्रूफ जैकेट का उत्पादन
कर रही हैं। पिछले महीने‚ रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने एक हल्का
बुलेटप्रूफ जैकेट विकसित करने का दावा किया था‚ जिसका वजन लगभग 9
किलोग्राम था‚ और भारतीय सेना की गुणात्मक आवश्यकताओं को पूरा करता था।
बुलेट-प्रूफ जैकेट या विस्फोट-प्रूफ कंबल में उपयोग की जाने वाली अधिकांश एंटी-
बैलिस्टिक सामग्री‚ केवलर (Kevlar)‚ ट्वारोन (Twaron) या डायनेमा
(Dyneema) फाइबर से बनी होती है‚ जो बुलेट के बल के प्रभाव को फैलाने और
अवशोषित करके गोलियों को सतह में घुसने से रोकती है। ये उत्पाद एक
महत्वपूर्ण कदम आगे थे‚ लेकिन अक्सर इसका परिणाम कुंद बल आघात‚ गंभीर
चोट या महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान से पीड़ित लक्ष्य में होता है। इसका कारण
यह है कि गोली का बल‚ गोली के रुकने पर भी पहनने वाले तक पहुँचता है।
राइस यूनिवर्सिटी (Rice University) के शोधकर्ताओं ने प्रदर्शित किया है‚ कि
बहुपरत ग्राफीन शीट पर सूक्ष्म प्रक्षेप्य‚ फायरिंग नैनोस्केल पर ग्राफीन के प्रवेश के
लिए कठिनाई का एक उपाय प्रदान करता है। हाई-स्पीड कैमरों का उपयोग करके‚
टीम प्रक्षेप्य को भेदने वाली चादरों की विस्तृत छवियों को कैमरे में कैद करने में
सक्षम थी और यह निर्धारित करती थी कि ग्रैफेन एक बड़े क्षेत्र में गोलियों की
ऊर्जा को वितरित करते हुए एक लचीली झिल्ली की तरह कार्य करता है।
वोलोगॉन्ग विश्वविद्यालय (University of Wollogong) के शोधकर्ताओं की एक
टीम ने‚ एक नई ग्रेफीन मिश्रित सामग्री विकसित करने में सफलता प्राप्त की है‚
जो स्पाइडर सिल्क और केवलर से अधिक मजबूत है। बुलेटप्रूफ मिश्रण के विकास
में कार्बन नैनोट्यूब के लिए ग्राफीन का इष्टतम अनुपात खोजना एक महत्वपूर्ण
कारक है। बुलेटप्रूफ कवच और सुदृढीकरण सामग्री में संभावित अनुप्रयोगों के साथ
फाइबर का उत्पादन करते हुए‚ गीली-कताई विधि का उपयोग करके‚ नए ग्रैफेन
मिश्रण को आसानी से गढ़ा जा सकता है। 
नैनो-बुलेटप्रूफ सामग्री की खोज में
कार्बन नैनोट्यूब का भी बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। छत्ते के आकार की
संरचना और बेलनाकार प्रकृति के साथ‚ इन नैनोट्यूब में अविश्वसनीय ताकत होती
है। वे प्रत्येक छोर पर कैप्ड होते हैं और स्टील की तुलना में सैकड़ों गुना अधिक
मजबूत नैनोफाइबर का उत्पादन करने के लिए सहसंयोजक बंधों के साथ जुड़े होते
हैं। परिणामी कार्बन नैनोट्यूब हल्के‚ लचीले‚ मजबूत और ऊष्मीय रूप से स्थिर
होते हैं। बुलेटप्रूफ जैकेट में‚ ये लाखों नैनोट्यूब कार्बन नैनोफाइबर बनाने के लिए
एक साथ आते हैं जो हल्के पदार्थ बनाने के लिए एक साथ बुने जाते हैं। परिणामी
कार्बन नैनोफाइबर ऊर्जा को अवशोषित करने में बेहद कुशल हैं‚ जो उन्हें बुलेटप्रूफ
कवच के लिए आदर्श बनाते हैं।
संदर्भ:
https://bit.ly/3BqbAuE
https://bit.ly/2YfYjq2
https://bit.ly/3Fn3kxW
https://bit.ly/3muesAw
चित्र संदर्भ
1. शक्ति नामक बुलेटप्रूफ जैकेट का एक चित्रण (youtube)
2. बुलेटप्रूफ जैकेट (bulletproof jacket) पहने यौद्धाभ्यास करते सैनिकों का एक चित्रण (wikimedia)
4. बाई ओर अभेद्य शक्ति नामक बुलेटप्रूफ जैकेट पहने भारतीय सैनिक का एक चित्रण (youtube)
5. बुलेटप्रूफ जैकेट पहने भारतीय सैनिक का एक चित्रण (defenceview)
6. घूर्णन एकल-दीवार वाले ज़िगज़ैग कार्बन नैनोट्यूब का एक चित्रण (wikimedia)