समय - सीमा 261
मानव और उनकी इंद्रियाँ 1055
मानव और उनके आविष्कार 830
भूगोल 241
जीव-जंतु 305
| Post Viewership from Post Date to 02- Jan-2022 (5th Day) | ||||
|---|---|---|---|---|
| City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Messaging Subscribers | Total | |
| 1060 | 78 | 0 | 1138 | |
| * Please see metrics definition on bottom of this page. | ||||
कैलेंडर अथवा पंचांग वास्तव में मनुष्य द्वारा खोजे गए सबसे आश्चर्जनक लेकिन सबसे जरूरी अविष्कार
माने जाते हैं। तिथियों और समय का सटीक आंकलन करने में प्राचीन काल से ही भारत का एक समृद्धइतिहास रहा है, विक्रम संवत या विक्रमी नामक हिंदू पंचांग इस बात का साक्षात प्रमाण है!
प्राचीन काल लगभग 57 ईसा पूर्व से ही भारतीय उपमहाद्वीप में तिथियों एवं समय का आंकलन करने के
लिए विक्रम संवत, बिक्रम संवत अथवा विक्रमी कैलेंडर का प्रयोग किया जा रहा है। यह हिन्दू कैलेंडर नेपाल
का आधिकारिक कैलेंडर है, साथ ही भारत के कई राज्यों विशेष तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में आमतौर पर इसका
प्रयोग आज भी किया जाता है। भारत में प्रचलित पारंपरिक विक्रम संवत पंचांग चंद्र महीनों और सौर
नाक्षत्र वर्षों को प्रदर्शित करता है। 1901 ईस्वी में शुरू किया गया नेपाली बिक्रम संबत, एक सौर साइडरल
वर्ष का भी उपयोग करता है। विक्रम संवत का प्रयोग कई प्राचीन और मध्यकालीन अभिलेखों में किया गया
है।
माना जाता है की इसका नाम कथित तौर पर राजा विक्रमादित्य के नाम पर रखा गया था, जहाँ संस्कृत
शब्द 'संवत' का प्रयोग "वर्ष" को दर्शाने के लिए किया गया है। मान्यता है की 57 ईसा पूर्व में उज्जैन के
राजा विक्रमादित्य की शक (Shak “शक संवत जिसे शालिवाहन शक के नाम से भी जाना जाता है एक भारतीय
आधिकारिक कैलेंडर है”) पर विजय का अनुसरण करते विक्रम संवत की शुरुआत की थी। संस्कृत के
ज्योतिष ग्रन्थों में शक संवत् से भिन्नता प्रदर्शित करने के लिए सामान्यतः केवल 'संवत्' नाम का प्रयोग
किया गया है ('विक्रमी संवत्' नहीं)।
विक्रम संवत् या विक्रमी भारतीय उपमहाद्वीप में प्रचलित हिन्दू पंचांग है। विक्रमादित्य का जन्म 102
ईसा पूर्व और उनकी मृत्यु 15 ईस्वी को हुई थी। इस युग का सबसे पहला उल्लेख राजा जयकदेव के
शिलालेख से मिलता है, जिन्होंने काठियावाड़ राज्य (अब गुजरात) में ओखामंडल के पास शासन किया था।
शिलालेख में इसकी स्थापना की तिथि के रूप में ईस्वी सन् 737 के अनुरूप 794 विक्रम संवत का उल्लेख
है। माना जाता है की विक्रमादित्य ने जैन भिक्षु और शक राजा कलाकाचार्य को हराकर विक्रम संवत युग
की स्थापना की। हालांकि 'विक्रम संवत' के उद्भव एवं प्रयोग के विषय में विद्वानों में मतभेद भी देखा गया
है।
मान्यता है कि सम्राट विक्रमादित्य ने 57 ईसा पूर्व में इसका प्रचलन आरम्भ कराया था। कुछ लोग सन 78
ईसवी और कुछ लोग सन 544 ईसवी में भी इसका प्रारम्भ मानते हैं। विद्वानों ने सामान्यतः 'कृत संवत'
को 'विक्रम संवत' का पूर्ववर्ती माना है। गुजरात में इस संवत् का आरम्भ कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से और
उत्तरी भारत में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से माना जाता है।
सूर्य और चन्द्रमा की गति के आधार पर एक वर्ष में बारह महीने और एक सप्ताह में सात दिन रखने का
प्रचलन विक्रम संवत कैलेंडर से ही शुरू हुआ, जहां बारह सौर राशियों (नक्षत्रों) को भी बारह सौर महीनों के
अनुसार क्रमित किया गया है। पूर्णिमा के दिन, चन्द्रमा जिस नक्षत्र में होता है, उसी आधार पर महीनों का
नामकरण भी किया गया है। चंद्र वर्ष, सौर वर्ष से 11 दिन 3 घंटे 48 पल छोटा है, इसीलिए प्रत्येक 3 वर्ष में
इसमें 1 महीना जोड़ दिया जाता है।
विक्रम संवत का उपयोग हिंदुओं और सिखों द्वारा किया जाता रहा है। भारतीय उपमहाद्वीप में उपयोग में
आने वाले इन हिंदू कैलेंडरों में चंद्र वर्ष की शुरुआत चैत्र मास की अमावस्या से होती है। इस दिन, चैत्र
सुखलादी के रूप में जाना जाता है, जो भारत में एक प्रतिबंधित अवकाश है। कैलेंडर नेपाल और उत्तर,
पश्चिम और मध्य भारत के हिंदुओं द्वारा प्रयोग किया जाता है। विशेषतौर पर दक्षिण, पूर्व और पश्चिम
भारत के कुछ हिस्सों (जैसे असम, पश्चिम बंगाल और गुजरात) में, भारतीय राष्ट्रीय कैलेंडर का व्यापक रूप
से उपयोग किया जाता रहा है। हालांकि इस्लामी शासन के विस्तार के साथ हिजरी कैलेंडर और भारतीय
उपमहाद्वीप के ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान, ग्रेगोरियन कैलेंडर भारतीय सल्तनत और मुगल
साम्राज्य का आधिकारिक कैलेंडर बन गया। और आज आमतौर पर भारत के शहरी क्षेत्रों में इसका उपयोग
किया जाता है। वही पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे मुस्लिम बहुल देशों में 1947 से इस्लामिक कैलेंडर का
प्रयोग किया जाता है, लेकिन सभी प्राचीन ग्रंथों में विक्रम संवत और ग्रेगोरियन कैलेंडर ही शामिल हैं।
हिब्रू और चीनी कैलेंडर की भांति विक्रम संवत भी चंद्र-सौर आधारित है। जहां आमतौर पर एक वर्ष 354
दिन लंबा होता है, जबकि एक लीप माह (अधिक मास) को मेटोनिक चक्र के अनुसार हर तीन साल में एक
बार (या 19 साल के चक्र में 7 बार) जोड़ा जाता है। चंद्र सौर विक्रम संवत कैलेंडर सौर ग्रेगोरियन कैलेंडर से
56.7 वर्ष आगे है। वर्ष 2078 बीएस अप्रैल 2021 सीई के मध्य से शुरू होता है, और अप्रैल 2022 सीई के
मध्य में समाप्त होता है।
नेपाल के राणा वंश द्वारा 1901 ई. में बिक्रम संबत को आधिकारिक हिंदू कैलेंडर बनाया, जो 1958 ई.पू. से
शुरू हुआ। नेपाल में नया साल बैशाख महीने (ग्रेगोरियन कैलेंडर में 13-15 अप्रैल) के पहले दिन से शुरू होता
है, और चैत्र महीने के आखिरी दिन के साथ समाप्त होता है।
नए साल के पहले दिन नेपाल में सार्वजनिक अवकाश होता है। पारंपरिक त्योहारों की तारीखों की गणना को
छोड़कर भारत में भी आधिकारिक तौर पर संशोधित शक कैलेंडर का उपयोग किया जाता है। हालांकि
विक्रम संवत को भारत का आधिकारिक कैलेंडर तौर पर शक कैलेंडर से में बदलने के लिए एक आह्वान
किया गया है।
सौर विक्रम संवत कैलेंडर के अनुसार वैसाखी ( वैशाख महीने के पहले दिन को ) आमतौर पर हर साल 13
या 14 अप्रैल को पंजाब, उत्तरी और मध्य भारत में हिंदू सौर नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है।
यह दिन हिंदू धर्म में एक ऐतिहासिक और धार्मिक त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
विक्रम संवत में मांस अथवा महीनों के नाम निम्नवत दिए गए हैं:
संदर्भ
https://bit.ly/3EpZu5u
https://en.wikipedia.org/wiki/Vikram_Samvat
चित्र संदर्भ
1. चंद्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य सिक्के को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. महाराजा विक्रमादित्य को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. शिवलिंग, नेपाल, 18वीं शताब्दी ई., शिलालेख दिनांक विक्रम संवत 1888 को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)