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विश्व बैंक द्वारा हाल ही में प्रकाशित एक चर्चा पत्र में भारत के कोविड -19 (Covid-19) प्रबंधन के कई
पहलुओं की सराहना की गई है, जिसमें कहा गया है कि देश द्वारा "संपूर्ण सरकार" दृष्टिकोण का
उपयोग करते हुए जगह-जगह जांच करके प्रसार को सीमित करने और संसाधनों के इष्टतम आवंटन
को मापने के लिए उपायों को शामिल किया गया। पत्र में यह भी कहा गया है कि आपात स्थिति के
दौरान त्वरित खरीद निर्णय प्राप्त करने के लिए अधिकार प्राप्त अंतर-मंत्रालयी समूहों के निर्माण और
शुरुआती निर्यात प्रतिबंधों ने सरकार को महामारी के प्रबंधन को सशक्त करने में काफी मदद करी।
वहीं यह ध्यान रखने योग्य है कि विश्व बैंक और एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (Asian
Infrastructure Investment Bank) ने संयुक्त रूप से भारत के कोविड -19 आपातकालीन
प्रतिक्रिया और स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने वाली परियोजना को 11,983.5 करोड़ की लागत से
वित्त पोषित किया।
 विशेष रूप से यह भी देखा गया कि कैसे देश महामारी के शुरुआत में कई कोविड
-19 वस्तुओं के लिए आयात निर्भरता से निर्यात अधिशेष करने लगा, साथ ही शोध पत्र में यह भी
बताया गया कि परीक्षण प्रयोगशालाओं को चार महीने की अवधि के भीतर 18 से बढ़ाकर 2,500 कर
दिया गया था। वहीं N95 मास्क की कीमत '250' से घटकर '20’ हो गई। पीपीई किट की'700' से
'150' तक हो गई। आरटी-पीसीआर टेस्ट किट (RT-PCR test kit)'1,207’ से‘72’ तक हो गई।
मौलिक आईसीयू वेंटिलेटर (ICU ventilator) को'2 लाख' से कम पर विकसित किया गया,जिन्हें
पहले लगभग 10 लाख से अधिक पर आयात किया जा रहा था। साथ ही भारत ने मार्च 2020 की
शुरुआत (जब कोविड -19 महामारी अभी भी विकसित हो रही थी) में आपातकालीन खरीद प्रोटोकॉल
(Protocol)को शुरू कर दिया था। महामारी का जवाब देने वाले सभी मंत्रालयों को कोविड -19 खरीद
के लिए अपने मौजूदा बजट आवंटन का उपयोग करने की छूट दी गई थी।
यदि देखा जाएं तो कोविड-19 महामारी हमारे स्वास्थ्य उद्योग में विभिन्न प्रकार के बदलावों को
लाया है। भारतीय अस्पताल अपनी क्षमता को बढ़ाने के लिए विभिन्न उपायों का उपयोग कर रहे
हैं,खासकर टियर II और टियर III शहरों में। हालांकि परिस्थितियों में तेजी से बदलाव के साथ,
स्वास्थ्य उद्योग में बड़े पैमाने पर होने वाले परिवर्तनों के बारे में कुछ भी पुष्टि नहीं की जा सकती
है। लेकिन निम्नलिखित पंक्तियों में कुछ ऐसे बदलाव हैं, जिन्हें भारतीय स्वास्थ्य सेवा में महामारी
के बाद देखा गया है:
# मजबूत चिकित्सा अवसंरचना
अस्पताल अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए पहल कर रहे हैं, खासकर टियर II और टियर III शहरों में।
सुलभता की कमी को दूर करने के लिए सरकार प्रति हजार बिस्तरों की संख्या बढ़ाने के प्रयास भी
कर रही है।
# सरकार की नीतियों को मजबूत करना
सभी के लिए स्वास्थ्य, आयुष्मान भारत और राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन जैसी योजनाओं के
माध्यम से सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्राप्त करने के सरकार के प्रयास जोर पकड़ रहे हैं। इन
मिशनों का उद्देश्य पूरे देश में स्वास्थ्य देखभाल को अधिक किफायती और सुलभ बनाना है।
# स्वास्थ्य बीमा के बारे में जागरूकता
स्वास्थ्य बीमा के प्रति जागरूकता काफी बढ़ गई है और भविष्य में इसके और बढ़ने की उम्मीद है।
बीमा में निवेश करने वाले लोगों की संख्या हर गुजरते साल के साथ बढ़ती है और बढ़ती जागरूकता
के कारण यह प्रवृत्ति जारी रहने की उम्मीद है।
# प्रौद्योगिकी का बढ़ता उपयोग
ऑनलाइन (Online) परामर्श और चिकित्सा मंच की लोकप्रियता में बढ़ोतरी देखी गई है। इससे दूरदराज
के इलाकों में चिकित्सा पहुंच में वृद्धि हुई है और आपात स्थिति में यह बहुत उपयोगी हो सकता है।
यह संभावना है कि इस तरह की सेवाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा, जैसे दूरस्थ निगरानी और बड़ी
संख्या में रोगियों का प्रबंधन, साथ ही कोविड-19 के बाद टेलीहेल्थ (Telehealth)-आधारित रहेगा, क्योंकि
यह अधिक सुविधा और बेहतर रोगी-केंद्रित देखभाल प्रदान करता है, जिससे स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली
प्रवाह दर और क्षमता चुनौतियों का आंशिक रूप से समाधान होता है।
# चिकित्सा पर्यटन
पश्चिमी देशों की तुलना में बहुत कम कीमतों पर उच्च गुणवत्ता वाली सेवाओं की उपलब्धता के
कारण विदेशी रोगी भारत के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की ओर आकर्षित होते हैं।
# सोशल मीडिया का उपयोग और सार्वजनिक स्वास्थ्य साक्षरता में सुधार
स्वास्थ्य संवर्धन, शिक्षा और जनसंचार के लिए सोशल मीडिया और व्यवहार विज्ञान पर बातचीत का
व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है। हालाँकि, महामारी ने सामान्य आबादी के बीच खराब
साक्षरता को भी उजागर किया है।सार्वजनिक स्वास्थ्य साक्षरता में सुधार अब लोगों को सिफारिशों के
पीछे के कारणों को समझने और उनके विभिन्न संभावित कार्यों के परिणामों पर प्रतिबिंबित करने में
मदद करने के लिए आवश्यक है, खासकर संसाधन-प्रतिबंधित व्यवस्था के संदर्भ में।
लोगों ने अपने स्वास्थ्य को अधिक गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है और अब जाँच और रोकथाम
पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं जो शीघ्र पहचान और उपचार को बढ़ावा देने में मदद करते हैं।
इस महामारी ने स्वास्थ्य संबंधी तैयारियों में सुधार की नींव रखी है। और यह अहसास दिलाया है कि
तकनीकी रूप से सशक्त समाधान लागू किए जा सकते हैं, जो अच्छी तरह से काम करते हैं, तथा
नियमित स्वास्थ्य देखभाल योजना और प्रावधान के हिस्से के रूप में ऐसी प्रौद्योगिकियों के अधिक
एकीकरण के लिए मानदंड का गठन करने की आवश्यकता है। साथ ही इष्टतम परिणाम तब प्राप्त
किए जा सकते हैं जब रोगी और स्वास्थ्य सेवा प्रदाता दोनों इस प्रक्रिया में सक्रिय भागीदार बन जाते
हैं।
संदर्भ :-
https://bit.ly/3KXklCf
https://bit.ly/3KZyLBJ
चित्र संदर्भ
1. कोरोना के लक्षणों की जांच करती स्वास्थ टीम को दर्शाता एक चित्रण (
WRI India)
2. कोरोना स्वास्थ कर्मियों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. कोरोना मरीज के इलाज को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)