विश्व भर में माइक्रोप्लास्टिक, पारिस्थितिक तंत्र के हर हिस्से को प्रभावित कर रहा है

शहरीकरण - नगर/ऊर्जा
16-09-2022 10:05 AM
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विश्व भर में माइक्रोप्लास्टिक, पारिस्थितिक तंत्र के हर हिस्से को प्रभावित कर रहा है

सिंगल यूज प्लास्टिक (Single use plastics) की समस्या को दूर करने के लिए, राज्य सरकार ने 29 जून को लखनऊ में रेस (RACE) नाम से पांच दिवसीय जन जागरूकता अभियान शुरू किया। यहां पर रेस से तात्पर्य रिडक्शन (Reduction), अवेयरनेस (Awareness), सर्कुलर सॉल्यूशंस (Circular Solutions) और मास एंगेजमेंट (Mass (Engagement) से है। जैसे-जैसे प्लास्टिक का कचरा दुनिया भर में फैलता जा रहा है, वैसे-वैसे एक प्रश्न हमारे सामने उभर रहा है, कि इससे क्या नुकसान होगा, तथा अगर कोई नुकसान होगा तो वह मानव को कैसे प्रभावित करेगा? जब से मछली और शेलफिश (Shellfish) की आंतों में माइक्रोप्लास्टिक्स (Microplastics) पाया गया है, तब से समुद्री भोजन की सुरक्षा भी चिंता का विषय बन गया है। तो चलिए आज जानते हैं कि माइक्रोप्लास्टिक कैसे उत्पन्न हो रहा है, तथा यह मानव को कैसे प्रभावित कर रहा है। माइक्रोप्लास्टिक जैसा कि उसके नाम से ही पता चलता है,मानव निर्मित छोटे संदूषक कण हैं, जो कि आकार में 5 मिलीमीटर से भी छोटे होते हैं। सामान्य तौर पर इनकी उत्पत्ति तब होती है, जब प्लास्टिक टूटता है, तथा टूट-टूट कर छोटे कणों में बदल जाता है।हालांकि दुर्भाग्य से, माइक्रोप्लास्टिक्स का उत्पादन जानबूझकर भी किया जाता रहा है। इनका उपयोग आमतौर पर सौंदर्य उद्योग में एक्सफ़ोलीएटिंग (Exfoliating) उत्पादों के रूप में किया जाता था, किंतु 2018 के बाद से इसके उपयोग में रोक लगा दी गई।
वर्तमान समय में देंखे तो माइक्रोप्लास्टिक हर जगह मौजूद है, तथा हम हर समय माइक्रोप्लास्टिक से घिरे हुए हैं। हवा, पानी,महासागर, पर्वत और दुनिया के हर उस स्थान में माइक्रोप्लास्टिक है, जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। सीधे शब्दों में कहें, तो अपने आकार के कारण यह हर जगह पहुंचने में सक्षम है। वैज्ञानिक अब इस बात की पुष्टि कर चुके हैं कि माइक्रोप्लास्टिक गहरे समुद्री जल सहित दुनिया के सबसे दूरस्थ क्षेत्रों में फैल चुका है। इसका आकार इतना छोटा है, कि इसका उपचार बहुत मुश्किल है, जिसके कारण यह उर्वरकों और सिंचाई प्रणालियों के माध्यम से कृषि प्रणालियों में आसानी से प्रवेश कर रहा है। इसका मतलब है, कि कृषि के माध्यम से हम जो कुछ भी ग्रहण कर रहे हैं, उसमें माइक्रोप्लास्टिक की उपस्थिति है। इस प्रकार माइक्रोप्लास्टिक पारिस्थितिक तंत्र के हर हिस्से जिसमें जानवर, मनुष्य, पौधे और अन्य जीवित जीव शामिल हैं, को प्रभावित कर रहा है। माइक्रोप्लास्टिक में ऐसे हानिकारक रसायन मौजूद होते हैं, जिनको कभी खत्म नहीं किया जा सकता। प्लास्टिक को रसायनों के एक जटिल संयोजन से बनाया जाता है, जिसमें एडिटिव्स (Additives) शामिल होते हैं जो उन्हें मजबूती और लचीलापन देते हैं। प्लास्टिक और रासायनिक योजक दोनों जहरीले हो सकते हैं। एक हालिया विश्लेषण के अनुसार प्लास्टिक में 10,000 से भी अधिक रसायन होते हैं,जिनमें से 2,400 से अधिक अत्यंत हानिकारक हैं और चिंता का विषय बने हुए हैं।
यह अनुमान लगाया गया है कि 2025 तक पर्यावरण में 11 अरब मीट्रिक टन प्लास्टिक जमा हो जाएगा।माइक्रोप्लास्टिक की व्यापकता इतनी हो गई है कि इन्हें गहरे समुद्र में भी पाया जा सकता है, जहां निवास करने वाले जलीय जीव इन्हें निगलने लगे हैं। जलीय तंत्र में रहने वाले ऐसे अनेकों जीव हैं, जिनमें माइक्रोप्लास्टिक की उपस्थिति पाई गई है, तथा इन जलीय जीवों का हम सेवन करते हैं। इसका मतलब है कि अप्रत्यक्ष रूप से माइक्रोप्लास्टिक हमारे शरीर में प्रवेश कर रहा है।जिन देशों में समुद्री भोजन अत्यधिक पसंद किया जाता है, वहां के लोगों के लिए समस्या और भी गंभीर है, क्यों कि अनजाने में लोग माइक्रोप्लास्टिक का अत्यधिक उपभोग कर रहे हैं, जो उनके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। एक शोध में जीवित मनुष्यों में प्लास्टिक के छोटे कण उन स्थानों पर पाए गए, जहां वे पहले कभी नहीं पाए गए थे, जैसे फेफड़ों के अंदर और खून में। माइक्रोप्लास्टिक में ट्रेस (Trace) धातु और कुछ संभावित हानिकारक कार्बनिक रसायन होते हैं, जो शरीर में पहुंचकर अपना जहरीला प्रभाव दिखाते हैं। इसमें कार्सिनोजेनिक (Carcinogenic) गुण हो सकते हैं, जिसका अर्थ है कि वे संभावित रूप से कैंसर का कारण बन सकते हैं।माइक्रोप्लास्टिक शरीर में उत्परिवर्तन का कारण बनता है, जिससे डीएनए (DNA) को नुकसान पहुंचता है।
माइक्रोप्लास्टिक के प्रभाव को कम करने के लिए सरकारों और संस्थानों के हस्तक्षेप की अत्यधिक आवश्यकता है। हालाँकि, ऐसे तरीके भी हैं जिनकी मदद से हम भी माइक्रोप्लास्टिक की उपस्थिति को कम कर सकते हैं, जैसे प्लास्टिक की खपत कम से कम करके। प्लास्टिक के बजाय स्वयं के बर्तनों का उपयोग करके और पुन: उपयोग किए जा सकने वाले उत्पादों का उपयोग करके आदि। इसके अलावा दूसरों को माइक्रोप्लास्टिक के प्रति जागरूक करके भी इसे कम किया जा सकता है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3emdl5E
https://bit.ly/3RCCmrt
https://on.natgeo.com/3Rl5h3L

चित्र संदर्भ
1. पारिस्थितिकी में माइक्रोप्लास्टिक को दर्शाता एक चित्रण (pixlar)
2. माइक्रोप्लास्टिक्स के समुद्री जीवन पर जोखिम भरे प्रभाव को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. प्लास्टिक की बोतल से दूध पीते नवजात शिशु को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. माइक्रोप्लास्टिक के नमूने को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)