समय - सीमा 261
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प्रत्येक वर्ष में बारह महीने होते हैं और हर धर्म में महीनों को अलग–अलग नामों से जाना जाता हैं। भारत कई सभ्यताओं और संस्कृतियों का देश है यहाँ पर सभी धर्मों के लोग निवास करते हैं। प्रत्येक धर्मों व भाषाओं में महीनों को निम्नलिखित रूप से जानते हैं- अंग्रेजी में (जनवरी, फरवरी, मार्च, अप्रेल, मई, जून, जुलाई, अगस्त, सितम्बर, अक्तूबर, नवम्बर, दिसम्बर), हिंदी में ( चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ, श्रावण, भाद्रपक्ष, आश्विन, कार्तिक, अगहन, पौष, माघ, फाल्गुन) और अरबी में ( मुहर्रम, सफर, रबी अव्वल, रबी –उ-सानी,जमादी अव्वल, जमादीस्सानी, रजब, शाबान, रमज़ान, शवाल, ज़ुल्कादा, ज़ुल्हिज्जा ) कहा जाता हैं। पूरे वर्ष को प्रमुख छः मौसमों (वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमन्त, शिशिर) आदि हैं। इन सब मौसमों में वसंत को कहा सभी मौसमों का ताज़ कहा जाता हैं। इस समय वसंत का मौसम शुरू हो गया हैं वसन्त के शुरू होते ही हर तरफ हरियाली नजर आने लगती हैं मौसम सुहाना हो जाता हैं। ऑक्सफोर्ड की लाइब्रेरी बोडलियन में एक ग्रन्थ किताब –अल- बुल्हान में इस्लामिक एस्ट्रोलोजी के बारे लिखा गया हैं और विभिन्न मौसमों के बारे में लिखा गया है। वसंत के मौसम में हर धर्म में कोई न कोई त्योहार मनाया जाता हैं जैसे हिन्दू धर्म में बसंत पंचमी और ईरान में नौरोज़ त्योहार मनाया जाता हैं जिसे ईरानियों का नया साल भी कहते हैं। 1544 इ.वी में पारसी राजा शाह तहमस्प और मुग़ल राजा हुमायूँ ने भी बसंत के त्योहार नौरोज़ को इस्फहन ईरान में मनाया। यह तस्वीर इस्फ्हन के चालीस सुतून के दीवालों पर बनी हैं और इस जगह से प्रेरित होकर इलाहबाद के किले में बनाई गयी थी परन्तु दुर्भाग्य से ईस्ट इंडिया सेना ने जो इलाहबाद किले में रहते थे चालीस सुतून को तोड़ दिया और बर्बाद कर दिया। आज भी यह असली जगह इस्फहन देखी जा सकती हैं। 1. बारहमासा, वी.पी. द्विवेदी, अगम कला प्रकाशन