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बड़ा इमामबाड़ा, भूल भुलैय्या, रूमी दरवाज़ा, दौलत खाना, बिबियापुर कोठी और चुन्हट कोठी आदि लखनऊ के खुबसूरत और उत्कृष्ट वास्तुकला के नमूने हैं। ये इमारतें वास्तुविद्या के शास्त्रीय हुनर का भी अप्रतिम नमूने हैं। अवध के चौथे नवाब असफ-उद- दौला गद्दी पर आने के बाद 1775 में उन्होंने अवध की राजधानी को फैजाबाद से बदलकर लखनऊ शहर को बनाया। नवाब असफ-उद- दौला के मुख्य वास्तुकार थे जनाब किफायतुल्ला। उन्होंने बड़ा इमामबाड़ा, रूमी दरवाज़ा और भूल भुलैय्या जैसे वास्तुकला के अद्भुत नमूनों की रचना की। इस वास्तुकला की एक महत्वपूर्ण पहलू ये भी है की इसमे यूरोपीय तत्त्व और लोहे का बिलकुल भी इस्तेमाल नहीं किया है। लखनऊ की ये सभी इमारतें पर्यावरण की दृष्टि से भी काफी पर्याप्त हैं। इमामबाड़ा और रूमी दरवाज़ा नवाब असफ-उद-दौला ने 1784 में लोगों को अकाल से राहत दिलाने के बनाया था। एक किंवदंती है की इमामबाड़े का निर्माण केन्येसियन तरीके से किया गया था जिसमे सुबह तक जो काम पूरा होता था उसे रात में तोड़ दिया जाता था जिससे अकाल से बाधित लोगों को काम मिलता रहे। सर डेविड स्कॉट डॉडसन इस कलाकार ने बड़े इमामबाड़े को स्थापत्यकला का अनमोल रत्न कहा है। इमामबाड़ा में असाफ़ी मस्जिद, भूलभुलैया और एक बावड़ी है। छत पर जाने के लिए 1024 मार्ग हैं लेकिन वापस आने के लिए एक ही रास्ता है। मस्जिद और बाकि की वास्तुकला मुग़ल कला की परिपक्वता का उत्तम नमूना है। मुख्य इमामबाड़े में विशाल मेहराबी मध्य कक्ष में असफ-उद-दौला की कबर है। इमामबाड़े की धनुषाकार छत एक भी स्तंभ का सहारा ना होते हुए आज तक़रीबन 230 सालों के बाद भी खड़ी है तथा इस प्रकार की दुनिया की सबसे बड़ी छत है। छत का वजन कम करने के लिए उसे अन्दर से खोकला बनाया गया और उसे भरने के लिए चावल भूसी का इस्तेमाल किया गया। भूलभुलैय्या यह एक अनोखा भंवरजाल जटिल छज्जों एवं 489 बिलकूल एकसे दरवाज़ों से बना है जिससे ऐसा लगता है की आप खो गए हो। भूलभुलैय्या छत का वजन सँभालने के जो छज्जे आदि बनाए गएँ उसका नतीजा है। पर्यावरण की दृष्टि से भी इमामबाड़ा महत्वपूर्ण है क्यूंकि इसमें पहली बार युग्मित या दोहरी दिवार का इस्तेमाल किया गया है तथा वायुसंचार की भी पूर्ण व्यवस्था है जिससे अन्दर का माहौल ठंडा बना रहे। यहीं बाहर पश्चिमी प्रवेशद्वार रूमी दरवाजे के नाम से जाना जाता है। असफ-उद-दौला के कार्यकाल में तुर्क और ईरान से कला, धार्मिक आदि चीजों एवं विचारधाराओं का काफी अदान-प्रदान होता था। रूमी दरवाज़े के नाम के पीछे दो मान्यताएं हैं, एक यह की शायद इसका नाम मशहूर सूफी लेखक रूमी के ऊपर रखा गया है या फिर रोम से उद्भवित रूम यह शब्द इस साम्राज्य के वास्तुकला से प्रेरित हो इस दरवाज़े को दिया गया। रूमी दरवाज़े की ऊंचाई तक़रीबन 18 मीटर है। वास्तु बनाने के लिए इस्तेमाल किये गए तरीके अनोखे तो हैं ही साथ ही पर्यावरण का भी पूरा ख्याल रखा गया है। ऊपर बताये गए युग्मित दीवारों के इस्तेमाल के साथ-साथ इन इमारतों को बनाने के लिए प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल किया गया है। लखौरी ईंटों के साथ मसाले के लिए सुर्खी,चूना, उरद दाल, शीरा, और चुने का पानी अथवा वृक्षों से मिलता गोंद जिसे फरेज़ कहते हैं इस्तेमाल किया गया था। यह मिश्रण गर्मी को सोख कर अंदरूनी वातावरण ठंडा रखता है और प्राकृतिक होने की वजह से पर्यावरण को हानि भी नहीं पोहोंचाता। लखनऊ का छोटा इमामबाड़ा जिसे हुसैनाबाद इमामबाड़ा तथा पैलेस ऑफ़ लाइट्स” (रौशनी महल) इस नाम से भी जाना जाता है नवाब मुहम्मद अली शाह ने 1837 और 1842 के बीच अकाल में लोगों को काम और राहत दिलाने हेतु बनवाया था और यहाँ पर उनकी और उनके मा की कब्र है। यहाँ पर दो महाकक्ष हैं और शेह्नाशीन है जिसपर इमाम हुसैन की कर्बला कब्र पर रखे ज़रिह की प्रतिकृति है। यहाँ पर मुहम्मद अली शाह की बेटी और जमाई की कब्रें ताज महाल की प्रतिकृति जैसी बनवाई हैं। आज इमामबाड़े में नवाब असफ उद दौला के साथ ही इस अप्रतिम स्थापत्य के रचनाकार हाफिज किफायतुल्ला की भी कब्र है। दुनिया के सबसे अनोखे और अप्रतिम स्थापत्य में से एक लखनऊ वास्तुकला के प्रायोजक और रचनाकार की कब्र एक ही जगह पर स्थित होने की यह अनूठी मिसाल है शायद। 1.रेयर बुक सोसाइटी ऑफ़ इंडिया लखनऊ http://www.rarebooksocietyofindia.org/postDetail.php?id=196174216674_10151968247006675 2. व्हाट मेक़स इमामबाड़ा अ ग्रीन बिल्डिंग https://timesofindia.indiatimes.com/city/lucknow/What-makes-Imambara-a-green-building/articleshow/47089758.cms 3. रेयर बुक सोसाइटी ऑफ़ इंडिया लखनऊ http://www.rarebooksocietyofindia.org/postDetail.php?id=196174216674_10151968235526675 4. http://lucknow.nic.in/history1/asaf.html 5. उत्तर प्रदेश डिस्ट्रिक्ट गज़ेटियर वॉल्यूमxxxvii 1959 6. बड़ा इमामबाड़ा https://en.wikipedia.org/wiki/Bara_Imambara 7. छोटा इमामबाड़ा https://en.wikipedia.org/wiki/Chota_Imambara