लखनऊ की सब्जी मंडी के अलावा, थाई लोगों के दैनिक जीवन का भी हिस्‍सा है हमारी संस्‍कृत भाषा

ध्वनि II - भाषाएँ
05-08-2023 10:25 AM
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लखनऊ की सब्जी मंडी के अलावा, थाई लोगों के दैनिक जीवन का भी हिस्‍सा है हमारी संस्‍कृत भाषा

संस्कृत भाषा भारत के लिए ही नहीं बल्कि विश्‍व के लिए एक अमूल्य उपहार है। प्राचीन काल से ही संस्कृत ने हमारे जीवन और हमारी राष्ट्रीय पहचान को प्रभावित किया है। भारत का समस्त साहित्य एवं संस्कृति पूर्णतः संस्कृत से उत्पन्न हुई है। देववाणी के रूप में प्रतिष्ठित संस्कृत भाषा आज भी भारतीयों के हृदय में श्रद्धा उत्पन्न करती है। यह कहा जा सकता है कि आज भी संस्कृत ग्रीक और लैटिन भाषाओँ से अधिक प्रभावशाली और जीवंत भाषा है। अंग्रेजी भाषा की तुलना में संस्कृत भाषा हमें अधिक प्रभावित करती है। हमारा धार्मिक जीवन इसका निश्चित प्रमाण है। संस्कृत एक ऐसी भाषा है जिसमें सदियों से दर्शन, साहित्य, ललित कला, नीतिशास्त्र, रसायन, पदार्थ विज्ञान, गणित, अंतरिक्ष विज्ञान, कृषि आदि क्षेत्रों में अध्ययन, अध्यापन और चिंतन किया जाता रहा है। संस्कृत का ज्ञान प्राचीन भारत में सामाजिक वर्ग और शैक्षिक उपलब्धि का चिन्‍ह था, और इसे मुख्य रूप से उच्च जातियों (जन्म और रोजगार की स्थिति के आधार पर सामाजिक समूह) के सदस्यों को सिखाया जाता था। मध्ययुगीन युग में, विशेषकर ब्राह्मणों द्वारा विद्वानों के संचार के लिए संस्कृत बोली और लिखी जाती रही। संस्कृत भाषा इंडो-यूरोपीय (Indo-European) अध्ययन के अकादमिक भाषाई क्षेत्र की एक प्रमुख विशेषता है, जो विलुप्त और वर्तमान इंडो-यूरोपीय (Indo-European) भाषाओं, दोनों पर केंद्रित है तथा दुनिया भर के प्रमुख विश्वविद्यालयों में इसका अध्ययन किया जा सकता है। संस्कृत थाईलैंड देश (Thailand) की सबसे पुरानी भाषा भी है, यहां संस्कृत में कई प्राचीन शिलालेख मौजूद हैं और कई थाई शब्द भी संस्कृत से लिए गए हैं।संस्कृत की भाषाई वंशावली को प्रोटो-इंडो-ईरानी (Proto-Indo-Iranian) और अंततः प्रोटो-इंडो-यूरोपीय (Proto-Indo-European) भाषाओं में देखा जा सकता है। ऐतिहासिक रूप से संस्कृत की खोज उन लोगों के बीच की जा सकती है जो इंडो-ईरानी बोलते थे, या इंडो-यूरोपीय भाषा परिवार का हिस्‍सा थे। आज, अनुमानित 46% मनुष्य किसी न किसी रूप में इंडो-यूरोपीय भाषा बोलते हैं। सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली इंडो-यूरोपीय भाषाएँ अंग्रेजी, हिंदी, बंगाली, पंजाबी, स्पेनिश (Spanish), पुर्तगाली और रूसी हैं, जिनमें से प्रत्येक के 100 मिलियन से अधिक वक्ता हैं। इन सभी भाषाओं का मूल संस्‍कृत भाषा ही रही है, जिसके साक्ष्‍य प्राचीन साहित्‍य एवं शिलालेख हैं।
संस्कृत शिलालेख दुनिया में सबसे प्राचीन हैं! रुद्रदामन का (130 ई.) जूनागढ़ (गुजरात) शिलालेख संस्कृत में सबसे पुराने और सबसे लंबे शिलालेखों में से एक है। थाईलैंड में तकरीबन छठी शताब्दी ई.पू. के 40 से अधिक संस्कृत शिलालेख पाए गए हैं।एक स्थान पर एक शब्द का शिलालेख 'लिंगेश्वरम' है। लेकिन थाईलैंड में प्राणचिनबुरी के सबसे लंबे श्लोक में 412 पंक्तियों के साथ 128 छंद हैं। अधिकांश शिलालेख दो छोरों के बीच में हैं। दक्षिणी थाईलैंड (southern thailand) के मलय प्रायद्वीप पर नाखोन सी थम्मारत (Nakhon Si Thammarat) में एक शिलालेख पाया गया था। यह संस्कृत में लिखा गया है और इसकी तिथि 775 ई. अंकित है। इसे “लिगोर” शिलालेख कहा गया है, क्यूंकि 16वीं और 17वीं शताब्दी में इस क्षेत्र को यूरोपीय लोगों द्वारा यह नाम दिया गया था। संस्कृत से उत्पन्न कुछ थाई शब्द काफी हद तक साहित्यिक हो सकते हैं, और कई ऐसे शब्‍द भी हैं जो सामान्‍य जीवन में अधिक उपयोग किए जाते हैं। थाई भाषा में जो संस्कृत शब्द आये हैं उनमें से कुछ के अर्थ थोड़े बदल गये हैं। तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में थाईलैंड में बौद्ध धर्म के प्रसार से थाई भाषा में संस्कृत और पाली शब्दावली के शब्द आए। पाली एक ऐसी भाषा है जिसका संस्कृत से गहरा संबंध है, और यह वह भाषा है जिसमें थेरवाद बौद्ध धर्मग्रंथ लिखे गए हैं। थाई शब्दावली के कुछ शब्द जो संस्कृत से आए हैं, वे शब्द संस्कृत से पाली भाषा और फिर थाई भाषा में आए।यहां संस्कृत से आए थाई शब्दों की एक सूची दी गई है :

अंग्रेजीथाई संस्‍कृत
Happiness सुखी सुख
Snow हिमा हिम
Life चिविट जीवित
Man बुरुस पुरुष
King राचन राजन्
Compassion गरुण करुणा
Angry कोर्थ क्रोध
Sensuality राखा राग
Animal सत्‍व सत्त्व
Victory चाय जय
Cloud मेख मेघ
Affection सेन्हा स्नेह
Woman नारी नारी
Cause हेतु हेतु
Envy रिस्या ईर्ष्या
Greed लोफ लोभ
Sin बाप पाप
Noble अराय आर्य
Lion सिंह सिंह
Metal लोहा लोह
Flavour रुपये रस
All सर्फ़ सर्व
Logic तरका तर्क
Feeling वेथाना वेदना
Trust श्रथ्था श्रद्धा
Junction सन्थी सन्धि
Chief प्रमुख प्रमुख
Worship बुचा पूजा
Country प्रथेस प्रदेश
आज भी भारतीय उपमहाद्वीप में संस्कृत का प्रयोग किया जाता है। भारत की स्‍वतंत्रता के बाद 3,000 से अधिक संस्कृत रचनाएँ लिखी गईं, जबकि 90 से अधिक साप्ताहिक, द्विसाप्ताहिक और त्रैमासिक प्रकाशन संस्कृत में प्रकाशित हुए हैं। सुधर्मा , संस्कृत में लिखा जाने वाला एक दैनिक समाचार पत्र है, जो 1970 से भारत में प्रकाशित हो रहा है। संस्कृत का उपयोग शास्त्रीय संगीत की कर्नाटक और हिंदुस्तानी शाखाओं में बड़े पैमाने पर किया जाता है, और इसका उपयोग हिंदू मंदिरों के साथ-साथ बौद्ध और जैन धार्मिक कार्यक्रमों में भी किया जाता है।
हमारा लखनऊ शहर भी इसमें पीछे नहीं रहा है।लखनऊ की निशातगंज सब्जी मंडी ने सभी बिक्री हेतु सब्जियों के आगे संस्कृत नामों की तख्तियां लगाकर अपने ग्राहकों को प्राचीन भाषा संस्कृत में कुछ बुनियादी बातें सीखने की एक अनूठी चुनौती ली है। क्या आप रात के खाने में कुछ आलूकम और रक्तफलम लेना चाहेंगे? चिंता न करें, ये और कुछ नहीं बल्कि आलू और टमाटर के संस्कृत नाम हैं!

संदर्भ:

http://surl.li/jtcjo
http://surl.li/jtcjs
http://surl.li/jtcjv
http://surl.li/jtcjy
http://surl.li/jtckc
http://surl.li/jtcke

चित्र संदर्भ
1. थाईलैंड और संस्कृत भाषा में पांडुलिपियों को दर्शाता चित्रण (Pixabay, wikimedia)
2. संस्कृत व्यंजनों को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. “लिगोर” शिलालेख को दर्शाता चित्रण (youtube)



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