पुरातात्विक धरोहरों का संरक्षण और लखनऊ की धरोहरें

शहरीकरण - नगर/ऊर्जा
19-02-2018 07:43 PM
पुरातात्विक धरोहरों का संरक्षण और लखनऊ की धरोहरें

भारत देश संस्कृतियों की जननी रहा है। यहाँ पर कई संस्कृतियों ने जन्म लिया और यहाँ की जमीन पर अपनी अमिट छाप छोड़ी। पुरापाषाण काल से लेकर वर्तमान तक यहाँ पर कई भवनों व स्थानों का निर्माण हुआ है जिन्हें आज भी देखा जा सकता है। इन स्थानों में प्रमुख हैं- भीमबेटका, ताजमहल, लालकिला, माण्डू, साँची, अजंता, एलोरा, महाबलीपुरम आदि। उपरोक्त दिये गये नामों के अलावा भी पूरे भारत में हजारों धरोहर स्थान हैं जिनका रख-रखाव भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग, प्रादेशिक पुरातत्व विभाग, जिला पुरातत्व विभाग आदि करते हैं। धरोहर किसी भी देश के उत्थान के लिये अत्यन्त महत्वूर्ण हैं। ये सिर्फ इतिहास ही नहीं प्रदर्शित करती अपितु विज्ञान, समाज व समझ को भी प्रदर्शित करने का कार्य करती हैं। धरोहरों का संरक्षण तथा उनके प्रति समझ व सोच रखना मात्र तंत्रों का ही कार्य नहीं है अपितु इसका संरक्षण करना वहाँ पर रहने वालों की भी ज़िम्मेदारी है। भारत के पुरातत्व व यहाँ के धरोहरों के संरक्षण का कार्य भारतीय पुरातत्व विभाग का है जिसके अन्तर्गत पूरे भारत में कुल 3,650 पुरातात्विक धरोहर तथा 46 संग्रहालय हैं। भारत भर के सम्पूर्ण धरोहरों के संरक्षण और रख-रखाव के लिये सरकार द्वारा बजट निर्धारित किया जाता है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत आता है तथा यहीं से बजट का निर्धारण किया जाता है। पूरे भारत का बजट 7 लाख करोड़ है तथा संस्कृति मंत्रालय का बजट है 2,500 करोड़ जो कि पूरे बजट का 1 प्रतिशत भी नहीं है। अब पुरातत्व के लिये आवांटित बजट है 924.37 करोड़ रूपया तथा संग्रहालयों के लिये आवंटित बजट है 400 करोड़। दिये गये पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के 924.37 करोड़ के बजट में देशभर के 3,650 धरोहरों व 46 संग्रहालयों का संरक्षण, रख-रखाव, कर्मचारियों का वेतन, खुदाईयाँ, अन्वेशण, साहित्य छपाई, प्रचार, पुरातन वस्तुओं आदि का संरक्षण किया जाता है। यह बजट इतना कम है कि भारत के अमूल्य धरोहरों का संरक्षण हो पाना असम्भव-सा प्रतीत हो रहा है। यही कारण है कि भारत भर के कितने ही पुरातात्विक धरोहर आज वर्तमान काल में काल के गाल में समा गये हैं। यदि वैश्विक स्तर पर देखा जाये तो जर्मनी द्वारा बनाया जाने वाला हमबोल्ट संग्रहालय बनाने के लिये पूरे 600 मिलियन यूरो अर्थात 24 हजार करोड़ का खर्च किया जा रहा है जो कि भारत के सम्पूर्ण संस्कृति मंत्रालय के बजट से 20 गुना ज्यादा है। पुरातत्व सर्वेक्षण के अंतर्गत लखनऊ में कुल 59 धरोहरें आती हैं जिनका रख-रखाव भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग करती है इसके अलावां 14 धरोहरें उत्तर प्रदेश पुरातत्व विभाग के अंतर्गत आती हैं। 1. बजट 2017-18 2. https://goo.gl/bS1aVN 3. https://goo.gl/TNZqhu