मेरठ के पास स्थित – परीक्षित-गढ़ स्थान बना था, सांपों की धार्मिक कहानी का प्रतीक

सरीसृप
13-07-2024 09:27 AM
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मेरठ के पास स्थित – परीक्षित-गढ़ स्थान बना था, सांपों की धार्मिक कहानी का प्रतीक

आइए, आज हमारे देश भारत में मौजूद सांपों की पौराणिक कथाओं को समझें। साथ ही, हमारे शहर मेरठ से सिर्फ 25 किलोमीटर दूर, परीक्षित-गढ़ नामक स्थान स्थित है, जो एक सांप दंतकथा का गवाह है। सांप मुख्य रूप से पुनर्जन्म, मृत्यु और मृत्यु दर का प्रतिनिधित्व करते हैं। कई हिंदू देवता सांप का आकार लेते हैं, या सांपों से जुड़े होते हैं। भगवान शिव को अक्सर ही, उनके गले में लिपटे हुए सांप के साथ चित्रित किया जाता है। इसी तरह, भगवान विष्णु को भी, शेष नामक एक हजार सिर वाले सांप के साथ चित्रित किया गया है, जिस पर वह लेटे हुए हैं। भगवान विष्णु को सांप की पीठ पर योग करते हुए भी दर्शाया जाता है। हिंदू प्रतीकात्मकता में, सांपों को अक्सर सुरक्षात्मक, शक्तिशाली और सर्वव्यापी प्राणियों के रूप में चित्रित किया जाता है।


हिंदू पौराणिक कथाओं में, सांपों को देवता, अर्ध-देवता और यहां तक कि राक्षसों जैसे विभिन्न रूपों में चित्रित किया गया है। हिंदू धर्म में सांपों को शक्ति, सुरक्षा और प्रजनन क्षमता का प्रतीक माना जाता है। उन्हें पृथ्वी के खजाने का संरक्षक भी माना जाता है, और कुछ मामलों में, उन्हें पाताल लोक का भी संरक्षक माना जाता है। कई हिंदु लोगों का मानना है कि, सांपों की पूजा करने से, नुकसान से बचा जा सकता है, और सौभाग्य प्राप्त हो सकता है। हालांकि, हिंदू धर्म में सांपों का एक बुरा पक्ष भी है, जो प्रलोभन, धोखे और अराजकता का प्रतिनिधित्व करता है।


हिंदू संस्कृति में सांपों की महत्वपूर्ण भूमिका है, और वे मानव जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं। भारत के कुछ क्षेत्रों में, लोग ‘नाग पंचमी’ नामक त्योहार मनाते हैं। तब वे अपनी सुरक्षा और आशीर्वाद पाने के लिए सांपों की पूजा करते हैं। हिंदू धर्म में माना जाता है कि, सांप को नुकसान पहुंचाना या मारना एक गंभीर पाप है, और जो लोग ऐसा करते हैं, उन्हें दुर्भाग्य का सामना करना पड़ सकता है। यह भी माना जाता है कि, सांपों में प्रजनन क्षमता प्रदान करने और बच्चों की रक्षा करने की शक्ति होती है। साथ ही, कई हिंदू लोग बुरी आत्माओं से बचने के लिए, अपने घरों में सांप की मूर्तियां रखते हैं।


चलिए, अब सांपों के बारे में एक दिलचस्प कहानी पढ़ते हैं। महाभारत के दौरान, परीक्षित राजा प्रसिद्ध थे। वह अभिमन्यु के पुत्र और अर्जुन के पोते थे। परीक्षित एक दिन जंगल में शिकार करने  जाते है। तब वह पानी और भोजन के लिए, एक ऋषि के पास पहुंचे। परंतु, ध्यानमग्न ऋषि ने परीक्षित को कोई उत्तर नहीं दिया। तब, परीक्षित ने क्रोधित होकर एक मरा हुआ सांप उठाया, और ऋषि के गले में डाल दिया। इस कारण, ऋषि के पुत्र ने परीक्षित को श्राप दिया और कहा कि, उनकी मृत्यु तक्षक सांप के काटने से होगी। जीने के लिए, केवल एक सप्ताह का समय होने के कारण, परीक्षित ने ऋषि शुक से कृष्ण के कारनामों का वर्णन करने के लिए कहा, और इस प्रकार ‘श्रीमद्भागवत’ का जन्म हुआ। सप्ताह के अंत में, तक्षक ने उन्हें डस लिया और परीक्षित की मृत्यु हो गई।


दरअसल, तक्षक सांपों के राजा थे। परिक्षित को मारने हेतु, उन्होंने एक कीट का रूप धारण कर लिया और एक फल में प्रवेश किया। वह फल कश्यप नामक ऋषि द्वारा, परीक्षित को दिया गया था, जो वास्तव में तक्षक द्वारा नियुक्त एक धोखेबाज ऋषि था। परीक्षित ने बिना जांचे वह फल खा लिया। तब, फल से कीड़ा रूपी तक्षक निकला, और उसने परीक्षित को काट लिया, जिससे उनके शरीर में घातक जहर फैल गया। परीक्षित गिर गये और श्राप पूरा करते हुए मर गये।


बाद में, उनके पुत्र जनमेजय ने, इसे भाग्य के रूप में स्वीकार किया और अपने पिता के उत्तराधिकारी के रूप में अपने कर्तव्यों का पालन किया। लेकिन बाद में, जनमेजय को पता चला कि, तक्षक चालाक था। जब तक्षक परीक्षित को काटने जा रहा था, तो उसकी मुलाकात कश्यप नामक एक ब्राह्मण से हुई थी, जो गरुड़ मंत्र का पाठ करके, सांप के काटने से मरने वाले, किसी भी व्यक्ति को पुनर्जीवित कर सकता था। तक्षक एक डरावने सांप के रूप में अपनी प्रतिष्ठा बरकरार रखना चाहता था। इसलिए, उसने ब्राह्मण को बड़ा इनाम देकर, परीक्षित को अपनी जान बचाने के अवसर से वंचित कर दिया। जब जनमेजय को यह पता चला, तो उन्होंने सांपों को जलाने के लिए सर्प यज्ञ किया। कद्रू के श्राप से, सर्प यज्ञ की अग्नि में गिर गये।

इसी कहानी का गवाह – परीक्षित-गढ़, हमारे शहर मेरठ के पास, लगभग 25 किलोमीटर दूर स्थित है। इस, स्थान का विकास राजा परीक्षित द्वारा किया गया था। और यह स्थान, राजा परीक्षित की राजधानी और किला था।

  

संदर्भ

https://tinyurl.com/5n75mfe7

https://tinyurl.com/5n7d6jah

https://tinyurl.com/yc53xdx9

https://tinyurl.com/23yhjhrv

https://tinyurl.com/yc3zpzwd


 चित्र संदर्भ

1. परीक्षितगढ़ में एक मंदिर और परीक्षित द्वारा शमीक मुनि के गले में मृत सर्प को डालने के दृश्य को दर्शाता चित्रण (GetArchive)

2. शेषनाग पर विराजमान भगवान् विष्णु को संदर्भित करता एक चित्रण (PICRYL)

3. राजा परीक्षित द्वारा शमीक मुनि के गले में मृत सर्प को डालने के दृश्य को दर्शाता चित्रण (GetArchive)

4. परीक्षित की मृत्यु को संदर्भित करता एक चित्रण (worldhistory)

5. परीक्षितगढ़ के मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)