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मेरठ के नागरिकों, क्या आप इस तथ्य से अवगत हैं कि, बरोक (Baroque) वास्तुकला, संगीत, नृत्य, पेंटिंग, मूर्तिकला, कविता और अन्य कलाओं की एक पश्चिमी शैली है। यह सत्रहवीं शताब्दी से 1750 के दशक तक प्रमुखता में थी। यह रकोको (Rococo) और निओक्लासिकल शैलियों (Neoclassical styles) से पहले एवं पुनर्जागरण कला (Renaissance art) और मैनरइज़म (Mannerism) के बाद प्रचलन में थी। बरोक कला में इसकी नाटकीय शैली, सजावटी अलंकार और गतिशील रचना की विशेषता है। यह आज भी अपनी विस्तृतता, विस्तार पर ध्यान देने और अपने दर्शकों को आमंत्रित करने वाले भावनात्मक प्रभाव के लिए लोकप्रिय है। तो चलिए आज, उन विशेषताओं का पता लगाते हैं, जिन्होंने बरोक कला को इतना अनोखा बनाया। उसके बाद, हम यूरोप से परे बरोक कला के प्रभाव पर कुछ प्रकाश डालेंगे। इसके अलावा, हम बरोक वास्तुकला के कुछ प्रसिद्ध उदाहरणों के बारे में बात करेंगे। अंत में, हम इस अवधि के कुछ सबसे महत्वपूर्ण चित्रों के बारे में बात करेंगे।
कौन सी विशेषताओं ने बरोक कला को अनोखा बनाया ?
1. नाटकीय यथार्थवाद:
बरोक कला की सबसे प्रमुख विशेषताओं में से एक नाटकीय यथार्थवाद के लिए इसका झुकाव है। इस अवधि के कलाकारों ने, गतिशीलता से भरे ज्वलंत दृश्यों में, विषयों को चित्रित करके दर्शकों में मज़बूत भावनात्मक प्रतिक्रियाओं को विकसित करने का लक्ष्य रखा।
2. गतिशील रंग और छाया:
बरोक कलाकारों ने आमतौर पर अपने चित्रों में नाटक की भावना को बढ़ाने के लिए, एक जीवंत रंग पैलेट का उपयोग किया। इन कलाकारों ने गहरे लाल रंग, मखमली नीले, सुंदर हरे और शानदार सुनहरे रंगों का इस्तेमाल किया, जो भावनाओं को उकसाने और शक्ति एवं विस्मय की भावना पैदा करते थे।
3. अलंकृत विवरण:
इस समय के चित्रों में अलंकृत विवरण और अस्पष्टता के साथ, बरोक अवधि को चिह्नित किया। कलाकारों और कारीगरों ने संगमरमर, लाख, सोने और कांच जैसी महंगी सामग्रियों का उपयोग किया, एवं अपने कार्यों को अलंकृत करने के लिए इसमें विस्तृत सजावट और जटिल पैटर्न जोड़े।
4. धार्मिक विषय:
प्रोटेस्टेंट सुधार (Protestant Reformation) के बाद, कैथोलिक चर्च ने अपने अनुयायियों के आध्यात्मिक उत्साह को फिर से जागृत करने हेतु, बरोक कला की ओर रुख किया। चर्चों और कैथेड्रल में विस्तृत धार्मिक चित्रों, मूर्तियों और अलंकृत सजावट के उपयोग के कारण, उपासकों से एक गहरी भक्ति भावनात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई।
यूरोप से परे बरोक कला का प्रभाव:
बरोक कला का प्रभाव, यूरोप से परे भी था। इसने अमेरिका, एशिया और अफ़्रीका में भी कलाकरों को प्रेरणा दी। लैटिन अमेरिका (Latin America) में बरोक वास्तुशास्त्र एवं कला को “अमेरिकन बरोक” के रूप में जाना जाता है। यहां स्वदेशी तत्वों के साथ यूरोपीय बरोक शैली के संलयन ने, एक अद्वितीय सौंदर्यशास्त्र बनाया, जो आज भी मेक्सिको (Mexico), पेरू (Peru) और ब्राज़ील (Brazil) जैसे देशों में मनाया जाता है। एशिया में, बरोक कला ने चीनी और जापानी कलाकारों को प्रभावित किया, तथा अपनी भव्यता के साथ शाही महलों में एक नई जगह पाई। अफ़्रीका में, बरोक शैली को स्थानीय संदर्भों के लिए अनुकूलित किया गया था। इसका उदाहरण, इथियोपिया (Ethiopia) के बरोक कला से प्रेरित चर्च हैं।
बरोक वास्तुकला के कुछ प्रसिद्ध उदाहरण:
इतालवी बरोक वास्तुकला (Italian Baroque architecture) का एक प्रसिद्ध उदाहरण, रोम (Rome) में जियान लोरेन्ज़ो बनीनी (Gian Lorenzo Bernini) द्वारा निर्मित सेंट पीटर्स स्क्वैर (St. Peter’s Square) है। एक अन्य प्रसिद्ध इतालवी उदाहरण, वेटिकन शहर(Vatican city) में सेंट पीटर्स बेसिलिका (St. Peter’s Basilica) है, जिसमें कई बरोक मूर्तियां शामिल हैं। इसमें बर्निनी द्वारा निर्मित सुंदर बाल्दाकिन वेदी (Baldachin altar) भी शामिल है।
बरोक अवधि की प्रसिद्ध मूर्ति:
सबसे प्रसिद्ध बरोक मूर्ति, शायद बर्निनी द्वारा – द एक्स्टेसी ऑफ़ सेंट टेरेसा (The Ecstasy of Saint Teresa) है। इसमें एक परी को, अविला की टेरेसा (Teresa of Ávila) के शरीर में प्रवेश करते हुए दर्शाया गया है।
बरोक अवधि के सबसे महत्वपूर्ण चित्र:
1.) कारवाजयो (Caravaggio) द्वारा द डेथ ऑफ़ वर्जिन (The Death of Virgin):
कैथोलिक चर्च का मानना है कि, वर्जिन मेरी (Virgin Mary) की मृत्यु नहीं हुई, और वह स्वर्ग में जीवित है। कारवाजो इस विश्वास के खिलाफ़ गया, तथा उसने मेरी के शव को चित्रित किया। इसके अलावा, उन्होंने जानबूझकर पवित्रता के सभी तत्वों को दृश्य से छीन लिया।
2.) रेम्ब्रांट वैन रेन (Rembrandt van Rijn) द्वारा द अनैटमी लेसन ऑफ़ डॉक्टर निकलस टल्प (The Anatomy Lesson of Doctor Nicolaes Tulp):
अभिलेखागार ने इस पेंटिंग में प्रत्येक व्यक्ति के नामों को संरक्षित किया। यहां तक कि एक मृत अपराधी को डॉक्टर टल्प द्वारा विच्छेदित किया जा रहा है। मृतक अपराधियों के शवों को मेडिकल छात्रों को सौंपने का अभ्यास तब आम था।
3.) डोमिने, क्वो वाडिस ? (Domine, quo vadis?) द्वारा एन्नि बले कराची (Annibale Carracci):
अनीबाले कर्राची को सत्रहवीं शताब्दी में अग्रणी बरोक चित्रकारों में से एक माना जाता था। उनकी शैली पुनर्जागरण और मैनरइज़म शैलियों के कुछ आदर्शवाद से मिलती-जुलती थी। लेकिन, उन्होंने स्मारकीय चित्रांकनों और गतिशील रचनाओं के माध्यम से बरोक जैसी कृतियां बनाई। डोमिने,, क्वो वाडिस?, निर्भीक इशारों के माध्यम से कहानी को बयान करने वाले दो उज्ज्वल रंगीन चित्रांकनों के साथ, कर्राची के दृष्टिकोण का उदाहरण देता है।
4.) आर्टेमीज़िया जेंटिलेस्की (Artemisia Gentileschi) द्वारा जूडिथ स्लेयिंग होलोफ़र्नीज़ (Judith Slaying Holofernes):
पुरुषों के वर्चस्व वाले कला की दुनिया में, आर्टेमीज़िया जेंटिलेस्की ने एक प्रमुख महिला चित्रकार के रूप में जगह बनाई। उनकी पेंटिंग, महिला विषयों पर ज़ोर देने के साथ, उनकी कृति में विशेष है। इसमें से सबसे प्रसिद्ध कृति, जुडिथ स्लेयिंग होलोफ़र्नीज़ है। यह चित्र एक पुराने नियम की कहानी को चित्रित करता है, जिसमें एक विधवा और उसकी नौकरानी एक कामातुर आदमी को मार देती है। आर्टेमीज़िया ऐसी रचना इसलिए करती है, ताकि सबसे बड़ा प्रभाव बनाने के लिए हिंसा, दृश्य में सबसे आगे हो।
5.) रेप ऑफ़ द डॉटर्स ऑफ़ लूसिपस (Rape of the Daughters of Leucippus):
पीटर पॉल रूबेन्स (Peter Paul Rubens) बरोक अवधि में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति थे। उन्होंने चित्र में नाटकीय आयाम जोड़ने हेतु, जीवंत रंगों और गतिशीलता को नियोजित किया। उपरोक्त चित्र में अराजकता और हिंसा की भावना को दर्शाया गया है।
संदर्भ:
मुख्य चित्र: सेंट जॉन्स को-कैथेड्रल (St John’s Co-Cathedral) माल्टा के वैलेत्ता (Valletta) शहर में स्थित एक प्रभावशाली रोमन कैथोलिक गिरजाघर है, जिसे संत जॉन द बैपटिस्ट (Saint John the Baptist) को समर्पित किया गया है। इसका निर्माण, 1573 से 1577 के बीच ग्रैंड मास्टर ला कासिएरे (Grand Master La Cassiere) द्वारा करवाया गया था। इस गिरजाघर का आंतरिक भाग मुख्य रूप से मतिया प्रेती (Mattia Preti) — जो कि कालाब्रिया के एक प्रसिद्ध कलाकार और शूरवीर थे — द्वारा बारोक काल की ऊँचाई पर सजाया गया था। (Wikimedia)