हज़ारों करोड़ रुपए खर्च करके, मेरठ जैसे शहरों के लोगों को आकर्षित कर रही हैं, बड़ी कंपनियां

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हज़ारों करोड़ रुपए खर्च करके, मेरठ जैसे शहरों के लोगों को आकर्षित कर रही हैं, बड़ी कंपनियां

मेरठ में अब विज्ञापन केवल होर्डिंग या बैनर तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वॉट्सऐप स्टेटस, इंस्टाग्राम रील (Instagram Reel) और यूट्यूब शॉर्ट्स के माध्यम से भी पहुँच बना रहे हैं—जहाँ आम लोग और स्थानीय प्रवृत्तियाँ महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।  2024 में, भारत का विज्ञापन बाज़ार ₹908.6 अरब तक पहुँच गया था। आई एम ए आर सी समूह (IMARC Group) के अनुसार, इस बाज़ार की 2033 तक ₹2,118.8 अरब तक पहुँचने की संभावना है, जिसकी वार्षिक संयुक्त वृद्धि दर (Compound Annual Growth Rate - CAGR) 9.37% है। इस समय, विज्ञापन क्षेत्र में  डिजिटल मीडिया (Digital Media) की हिस्सेदारी 49%, टेलीविज़न की 28% और मुद्रित मीडिया (Print Media) की 17% है। प्रमुख विज्ञापन खर्च करने वाले क्षेत्र हैं: तेज़ी से उपभोग होने वाले उत्पाद (Fast Moving Consumer Goods - FMCG), ई-वाणिज्य (E-Commerce), टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुएँ (Consumer Durables), स्वचालित वाहन (Automobile) और सरकारी क्षेत्र (Government Sector)।
डेंटसु इंडिया द्वारा प्रकाशित एक विज्ञापन रिपोर्ट (Dentsu e4m Digital Report 2025 )   के अनुसार, 2025 के अंत तक इसका आकार ₹1.1 खरब तक पहुँचने का अनुमान है! इसमें डिजिटल विज्ञापनों की भूमिका सबसे अहम होगी।

मौजूदा समय में, डिजिटल मीडिया विज्ञापन खर्च के मामले में सबसे आगे निकल चुका है। भारतीय विज्ञापन बाज़ार का लगभग आधा हिस्सा (करीब ₹49,251 करोड़) डिजिटल विज्ञापनों पर खर्च होता है। इसके बाद टीवी का स्थान है, जिसकी हिस्सेदारी 28% (₹28,062 करोड़) है, और फिर 17% (₹17,529 करोड़) हिस्सेदारी के साथ प्रिंट मीडिया (अखबार और पत्रिकाएँ) आता है।

एक विज्ञापन एजेंसी | चित्र स्रोत : Pexels 

इस वृद्धि को गति प्रदान करने में कई मुख्य कारकों ने अपना योगदान दिया है! इन कारकों में रियलिटी  शोज़ की लोकप्रियता, टीवी और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर खेल प्रसारण, और प्रभावशाली बड़े प्रिंट विज्ञापन शामिल हैं। ई-कॉमर्स, ऑटोमोबाइल और  खुदरा जैसे प्रमुख सेक्टर डिजिटल और पारंपरिक, दोनों माध्यमों पर सक्रिय रूप से विज्ञापन कर रहे हैं।

आउट-ऑफ़-होम (OOH) विज्ञापन के क्षेत्र में भी नवाचार देखने को मिल रहा है, जिसमें डिजिटल स्क्रीन, एयरपोर्ट मीडिया और डिजिटल ओओएच OOH (DOOH) का बढ़ता उपयोग शामिल है। 2023 में ओ.ओ.एच पर लगभग ₹3,800 करोड़ का खर्च यह दर्शाता है कि विज्ञापनदाता इसे कितना प्रभावी मान रहे हैं।

हालाँकि, पारंपरिक मीडिया की हिस्सेदारी घट रही है। 2025 में टीवी का शेयर 2024 के 28% से कम होकर 24% होने की संभावना है। इसी तरह, प्रिंट मीडिया का शेयर भी 17% से घटकर 15% तक जा सकता है। रेडियो की हिस्सेदारी भी 2% से 1% तक कम होने का अनुमान है। ये रुझान विज्ञापन परिदृश्य में हो रहे महत्वपूर्ण बदलावों को स्पष्ट रूप से हमारे सामने रख रहे हैं।

आज के दौर में हर बिज़नेस, चाहे छोटा हो या बड़ा, अपने ग्राहकों तक अपनी आवाज़ और अपने उत्पादों को पहुँचाना चाहता है। इसके लिए वे कई अलग-अलग रास्ते अपनाते हैं, जिन्हें हम आम भाषा में 'विज्ञापन' कहते हैं। भारत में विज्ञापन के कई तरीके लोकप्रिय हैं। 

चित्र स्रोत : Pexels 

आइए, इन पर एक नज़र डालते हैं।

  1. टेलीविज़न : टेलीविज़न विज्ञापन, प्रचार प्रसार के सबसे जाने-पहचाने तरीकों में से एक है। टी वी पर दिखाई और सुनाई देने वाले ये विज्ञापन, खासकर जब कहानियों या दिलचस्प नज़ारों के साथ पेश किए जाते हैं, तो लोगों के दिमाग में आसानी से बस जाते हैं और ब्रांड को एक नई पहचान देते हैं।
  2. रेडियो : रेडियो विज्ञापन, उन लोगों तक पहुँचने का बेहतरीन ज़रिया है जो गाड़ी चलाते या काम करते हुए रेडियो सुनते हैं। आवाज़ के ज़रिए जानकारी आसानी से मिल जाती है, और यह ख़ास इलाकों या पसंद वाले लोगों तक पहुँचने का एक किफ़ायती तरीका भी है।
चित्र स्रोत : pxhere
  1. प्रिंट विज्ञापन: अखबारों, मैगज़ीन और पर्चों में छपे विज्ञापन, जाने पहचाने और भरोसेमंद माध्यम होते हैं। ये विज्ञापन पढ़ने के शौकीन लोगों के बिलकुल आदर्श होते हैं।
  2.  बाह्य विज्ञापन: आउटडोर विज्ञापन आज की दुनिया में भी अपनी जगह बनाए हुए हैं। सड़कों पर लगे बड़े-बड़े होर्डिंग्स या बसों-ट्रेनों पर चिपके विज्ञापन भी इसी श्रेणी में आते हैं। जब लोग घर से बाहर निकलते हैं, तो इनकी नज़र इन पर पड़ती है, जिससे ये बड़ी संख्या में अलग-अलग तरह के लोगों तक पहुँच पाते हैं।
  3. डायरेक्ट मेल: डायरेक्ट मेल में पोस्टकार्ड, कैटलॉग या चिट्ठियाँ ,सीधे लोगों के पते पर भेजी जाती हैं। यह उन संभावित ग्राहकों से सीधे और व्यक्तिगत रूप से जुड़ने का एक माध्यम है, जिनकी किसी ख़ास उत्पाद या सेवा में रुचि हो सकती है। इस तरह, भारत में विज्ञापन के ये विविध तरीके कंपनियों को अपने ग्राहकों से जुड़ने में मदद करते हैं। हर माध्यम की अपनी खूबी है, और कंपनियां अपनी ज़रूरत और बजट को ध्यान में रखकर इनका चुनाव करती हैं।
  4. डिजिटल विज्ञापन: आज के डिजिटल युग में डिजिटल विज्ञापन का ही बोलबाला है। इंटरनेट के ज़रिए, सोशल मीडिया (जैसे  फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम), गूगल सर्च, वेबसाइट, ईमेल और मोबाइल ऐप्स पर दिखने वाले ये विज्ञापन बेहद ख़ास होते हैं। आम लोगों तक सीधे पहुच, इनकी सबसे बड़ी ताकत है! यानी आप उन्हीं को विज्ञापन दिखा सकते हैं जो शायद आपकी चीज़ों में दिलचस्पी रखते हों। ये दुनिया भर में लोगों से जुड़ने का एक शक्तिशाली ज़रिया है।

भारत में डिजिटल विज्ञापन की दुनिया ने बड़ी ही तेज़ी के साथ करवट बदली है। आज के समय में लगभग हर किसी के हाथ में मोबाइल है, इसलिए मोबाइल पर दिखने वाले विज्ञापनों की बाढ़ सी आ गई है। कंपनियाँ भी अब खास तौर पर ऐसे विज्ञापन तैयार कर रही हैं जो मोबाइल स्क्रीन पर न सिर्फ़ अच्छे लगें, बल्कि तुरंत लोड हों और लोगों का ध्यान खींचें।

चित्र स्रोत : Pexels 

 फ़ेसबुक , इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म आज लोगों की ज़िंदगी का अहम हिस्सा बन चुके हैं। यही वजह है कि कंपनियाँ इन मंचों का भरपूर इस्तेमाल करके सीधे ग्राहकों तक अपनी बात पहुँचा रही हैं। 'इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग'', इसी कड़ी में एक नया तरीका है। इसमें, सोशल मीडिया पर लोकप्रिय चेहरे अपने फॉलोअर्स को कंपनियों के उत्पादों या सेवाओं से रूबरू कराते हैं। यह तरीका इसलिए सफल है क्योंकि लोग इन जाने-पहचाने चेहरों की बातों पर अक्सर भरोसा करते हैं।

साथ ही, अब लोग पारंपरिक टी वी के बजाय इंटरनेट पर फिल्में और शो देखना ज़्यादा पसंद कर रहे हैं।  नेटफ़्लिक्स, अमेज़न प्राइम वीडियो और हॉटस्टार जैसे प्लेटफ़ॉर्म घर-घर में लोकप्रिय हो चुके हैं। इसलिए, यह स्वाभाविक ही है कि विज्ञापन भी अब इन 'ओवर-द-टॉप' (ओ टी टी) और 'कनेक्टेड टी वी' (सी टी वी) पर नज़र आने लगे हैं।

 आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (ए आई), यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता भी डिजिटल विज्ञापन के क्षेत्र में एक और बड़ा बदलाव ला रही है। एआई की मदद से कंपनियाँ न केवल अपने विज्ञापन खरीदने की प्रक्रिया को स्वचालित कर सकती हैं, बल्कि यह भी बेहतर ढंग से समझ सकती हैं कि कौन सा विज्ञापन सबसे ज़्यादा असरदार साबित होगा। मशीन लर्निंग जैसी तकनीकें भारी मात्रा में डेटा का विश्लेषण करके यह पता लगा लेती हैं कि लोगों को किस तरह के विज्ञापन पसंद आते हैं। इससे कंपनियों को पहले से कहीं ज़्यादा समझदारी और सटीकता के साथ विज्ञापन करने में मदद मिल रही है।

क्या आप जानना चाहते हैं कि भारत में कौन सी कंपनियाँ विज्ञापनों पर सबसे ज़्यादा खर्च करती हैं? 

आइए, मिलते हैं इन टॉप 5 खिलाड़ियों से:

  1. हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड ( Hindustan Unilever Limited): रोज़मर्रा के इस्तेमाल की चीज़ें बनाने वाली ये दिग्गज कंपनी, विज्ञापनों पर खर्च करने में सबसे आगे है। साल 2019 के आँकड़ों के अनुसार, एच यू एल ने विज्ञापनों पर करीब 3200 से 3500 करोड़ रुपये लगाए! आप इनके विज्ञापन पॉन्ड्स, लैक्मे, क्लिनिक प्लस,  क्लोज़अप , ताज महल चाय, 3 रोजेज चाय, किसान, डव, लक्स, रिन,  सर्फ़  एक्सेल और सनसिल्क जैसे अनगिनत जाने-माने ब्रांड्स के लिए देखते हैं।
चित्र स्रोत : Pexels 
  1. अमेज़न ऑनलाइन इंडिया (Amazon Online India): इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर है अमेज़न, जिसने 2019 में विज्ञापनों पर लगभग 900 से 1000 करोड़ रुपये खर्च किए। अमेज़न केवल अखबार या टी वी ही नहीं, बल्कि तमाम वेबसाइटों पर भी अपने विज्ञापन दिखाता है। माना जाता है कि इन्हीं विज्ञापनों को देखकर बड़ी संख्या में ग्राहक उनकी वेबसाइट तक पहुँचते हैं, जिससे उनकी बिक्री और ग्राहकों की संख्या में ज़बरदस्त इज़ाफ़ा हुआ है।
  2. ड्रीम 11 फ़ैंटसी: लिस्ट में यह एक नया नाम है, जिसने कई पुरानी कंपनियों को पीछे छोड़ दिया है। ड्रीम 11 एक ऑनलाइन फ़ैंटसी स्पोर्ट्स प्लेटफ़ॉर्म है जहाँ आप अपनी टीम बनाकर पैसे जीत सकते हैं। इन्होंने अपने विज्ञापनों के लिए मशहूर क्रिकेटर एम.एस. धोनी को चेहरा बनाया और   ऐसा करके 2019 में करीब 700 से 800 करोड़ रुपये खर्च किए।
चित्र स्रोत : wikimedia
  1. रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (Reliance Industries LImited) : चौथे स्थान पर रिलायंस इंडस्ट्रीज ने टॉप 5 में अपनी जगह पक्की की है। रिलायंस अपने कई अलग-अलग ब्रांड्स और बिज़नेस, जैसे रिलायंस स्मार्ट, रिलायंस  फ़्रेश, रिलायंस डिजिटल, जियो, अजियो ( फ़ैशन), टीमस्पिरिट (स्पोर्ट्सवियर), ट्रेंड्स  फ़ुटवेयर, डी एन एम एक्स, परफॉर्मैक्स और एल वाई   मोबाइल्स के विज्ञापनों पर सालाना 700 से 800 करोड़ रुपये करता है  
  2. मारुति सुजुकी इंडिया (Maruti Suzuki India) : भारत की यह सबसे बड़ी कार कंपनी लगभग हर साल बाज़ार में नई गाड़ियाँ उतारती है, और उनके विज्ञापन लोगों को कार खरीदने के लिए आकर्षित करते हैं। मारुति सुजुकी ने भी विज्ञापनों पर करीब 700 से 800 करोड़ रुपये खर्च किए, जिनमें विटारा ब्रेज़ा और अर्टिगा जैसी गाड़ियों के विज्ञापनों पर खासा ज़ोर रहा।

 

संदर्भ 

https://tinyurl.com/2456rebs 

https://tinyurl.com/2yzbtzpp 

https://tinyurl.com/2dcygu7g 

https://tinyurl.com/2aj2we2g

मुख्य चित्र में कोका कोला के विज्ञापन का स्रोत : Wikimedia ; Attribution: cnnri