| Post Viewership from Post Date to 06- Jul-2025 (31st) Day | ||||
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| City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Messaging Subscribers | Total | |
| 2594 | 55 | 0 | 2649 | |
| * Please see metrics definition on bottom of this page. | ||||
मेरठ में अब विज्ञापन केवल होर्डिंग या बैनर तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वॉट्सऐप स्टेटस, इंस्टाग्राम रील (Instagram Reel) और यूट्यूब शॉर्ट्स के माध्यम से भी पहुँच बना रहे हैं—जहाँ आम लोग और स्थानीय प्रवृत्तियाँ महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। 2024 में, भारत का विज्ञापन बाज़ार ₹908.6 अरब तक पहुँच गया था। आई एम ए आर सी समूह (IMARC Group) के अनुसार, इस बाज़ार की 2033 तक ₹2,118.8 अरब तक पहुँचने की संभावना है, जिसकी वार्षिक संयुक्त वृद्धि दर (Compound Annual Growth Rate - CAGR) 9.37% है। इस समय, विज्ञापन क्षेत्र में डिजिटल मीडिया (Digital Media) की हिस्सेदारी 49%, टेलीविज़न की 28% और मुद्रित मीडिया (Print Media) की 17% है। प्रमुख विज्ञापन खर्च करने वाले क्षेत्र हैं: तेज़ी से उपभोग होने वाले उत्पाद (Fast Moving Consumer Goods - FMCG), ई-वाणिज्य (E-Commerce), टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुएँ (Consumer Durables), स्वचालित वाहन (Automobile) और सरकारी क्षेत्र (Government Sector)।
डेंटसु इंडिया द्वारा प्रकाशित एक विज्ञापन रिपोर्ट (Dentsu e4m Digital Report 2025 ) के अनुसार, 2025 के अंत तक इसका आकार ₹1.1 खरब तक पहुँचने का अनुमान है! इसमें डिजिटल विज्ञापनों की भूमिका सबसे अहम होगी।
मौजूदा समय में, डिजिटल मीडिया विज्ञापन खर्च के मामले में सबसे आगे निकल चुका है। भारतीय विज्ञापन बाज़ार का लगभग आधा हिस्सा (करीब ₹49,251 करोड़) डिजिटल विज्ञापनों पर खर्च होता है। इसके बाद टीवी का स्थान है, जिसकी हिस्सेदारी 28% (₹28,062 करोड़) है, और फिर 17% (₹17,529 करोड़) हिस्सेदारी के साथ प्रिंट मीडिया (अखबार और पत्रिकाएँ) आता है।
इस वृद्धि को गति प्रदान करने में कई मुख्य कारकों ने अपना योगदान दिया है! इन कारकों में रियलिटी शोज़ की लोकप्रियता, टीवी और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर खेल प्रसारण, और प्रभावशाली बड़े प्रिंट विज्ञापन शामिल हैं। ई-कॉमर्स, ऑटोमोबाइल और खुदरा जैसे प्रमुख सेक्टर डिजिटल और पारंपरिक, दोनों माध्यमों पर सक्रिय रूप से विज्ञापन कर रहे हैं।
आउट-ऑफ़-होम (OOH) विज्ञापन के क्षेत्र में भी नवाचार देखने को मिल रहा है, जिसमें डिजिटल स्क्रीन, एयरपोर्ट मीडिया और डिजिटल ओओएच OOH (DOOH) का बढ़ता उपयोग शामिल है। 2023 में ओ.ओ.एच पर लगभग ₹3,800 करोड़ का खर्च यह दर्शाता है कि विज्ञापनदाता इसे कितना प्रभावी मान रहे हैं।
हालाँकि, पारंपरिक मीडिया की हिस्सेदारी घट रही है। 2025 में टीवी का शेयर 2024 के 28% से कम होकर 24% होने की संभावना है। इसी तरह, प्रिंट मीडिया का शेयर भी 17% से घटकर 15% तक जा सकता है। रेडियो की हिस्सेदारी भी 2% से 1% तक कम होने का अनुमान है। ये रुझान विज्ञापन परिदृश्य में हो रहे महत्वपूर्ण बदलावों को स्पष्ट रूप से हमारे सामने रख रहे हैं।
आज के दौर में हर बिज़नेस, चाहे छोटा हो या बड़ा, अपने ग्राहकों तक अपनी आवाज़ और अपने उत्पादों को पहुँचाना चाहता है। इसके लिए वे कई अलग-अलग रास्ते अपनाते हैं, जिन्हें हम आम भाषा में 'विज्ञापन' कहते हैं। भारत में विज्ञापन के कई तरीके लोकप्रिय हैं।
आइए, इन पर एक नज़र डालते हैं।
भारत में डिजिटल विज्ञापन की दुनिया ने बड़ी ही तेज़ी के साथ करवट बदली है। आज के समय में लगभग हर किसी के हाथ में मोबाइल है, इसलिए मोबाइल पर दिखने वाले विज्ञापनों की बाढ़ सी आ गई है। कंपनियाँ भी अब खास तौर पर ऐसे विज्ञापन तैयार कर रही हैं जो मोबाइल स्क्रीन पर न सिर्फ़ अच्छे लगें, बल्कि तुरंत लोड हों और लोगों का ध्यान खींचें।
फ़ेसबुक , इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म आज लोगों की ज़िंदगी का अहम हिस्सा बन चुके हैं। यही वजह है कि कंपनियाँ इन मंचों का भरपूर इस्तेमाल करके सीधे ग्राहकों तक अपनी बात पहुँचा रही हैं। 'इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग'', इसी कड़ी में एक नया तरीका है। इसमें, सोशल मीडिया पर लोकप्रिय चेहरे अपने फॉलोअर्स को कंपनियों के उत्पादों या सेवाओं से रूबरू कराते हैं। यह तरीका इसलिए सफल है क्योंकि लोग इन जाने-पहचाने चेहरों की बातों पर अक्सर भरोसा करते हैं।
साथ ही, अब लोग पारंपरिक टी वी के बजाय इंटरनेट पर फिल्में और शो देखना ज़्यादा पसंद कर रहे हैं। नेटफ़्लिक्स, अमेज़न प्राइम वीडियो और हॉटस्टार जैसे प्लेटफ़ॉर्म घर-घर में लोकप्रिय हो चुके हैं। इसलिए, यह स्वाभाविक ही है कि विज्ञापन भी अब इन 'ओवर-द-टॉप' (ओ टी टी) और 'कनेक्टेड टी वी' (सी टी वी) पर नज़र आने लगे हैं।
आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (ए आई), यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता भी डिजिटल विज्ञापन के क्षेत्र में एक और बड़ा बदलाव ला रही है। एआई की मदद से कंपनियाँ न केवल अपने विज्ञापन खरीदने की प्रक्रिया को स्वचालित कर सकती हैं, बल्कि यह भी बेहतर ढंग से समझ सकती हैं कि कौन सा विज्ञापन सबसे ज़्यादा असरदार साबित होगा। मशीन लर्निंग जैसी तकनीकें भारी मात्रा में डेटा का विश्लेषण करके यह पता लगा लेती हैं कि लोगों को किस तरह के विज्ञापन पसंद आते हैं। इससे कंपनियों को पहले से कहीं ज़्यादा समझदारी और सटीकता के साथ विज्ञापन करने में मदद मिल रही है।
क्या आप जानना चाहते हैं कि भारत में कौन सी कंपनियाँ विज्ञापनों पर सबसे ज़्यादा खर्च करती हैं?
आइए, मिलते हैं इन टॉप 5 खिलाड़ियों से:
संदर्भ
मुख्य चित्र में कोका कोला के विज्ञापन का स्रोत : Wikimedia ; Attribution: cnnri