आइए जानें, मेरठ में अत्यंत लोकप्रिय रूबी के रत्नों का खनन, भारत में कहाँ और कैसे होता है

खदानें
26-05-2025 09:22 AM
Post Viewership from Post Date to 26- Jun-2025 (31st) Day
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Messaging Subscribers Total
2787 73 0 2860
* Please see metrics definition on bottom of this page.
आइए जानें, मेरठ में अत्यंत लोकप्रिय रूबी के रत्नों का खनन, भारत में कहाँ और कैसे होता है

मेरठ के नागरिकों, रूबी एक खूबसूरत लाल रत्न है, जिसे उसकी चमकदार रंगत और ठोस बनावट के लिए जाना जाता है। यह रत्न लाखों सालों तक धरती के भीतर गर्मी और दबाव के कारण बनते हैं। रूबी ज़्यादातर धरती से खुले गड्ढे या भूमिगत खनन विधियों से निकाले जाते हैं। भारत में, रूबी मुख्य रूप से कर्नाटका, उड़ीसा और राजस्थान के कुछ हिस्सों में पाए जाते हैं। एक बार खनन करने के बाद, इन्हें सावधानी से काटा और पॉलिश किया जाता है, ताकि उनका  गहरा  लाल रंग सामने आ सके। रूबी का उपयोग अक्सर गहनों में किया जाता है और यह अपनी सुंदरता और दुर्लभता के कारण प्रेम, शक्ति और जुनून का प्रतीक मानी जाती है।

आज, हम रूबी रत्न के बारे में चर्चा करेंगे। हम यह देखेंगे कि रूबी कैसे निकाला जाता है, इसके खनन क्षेत्रों और खनन विधियों पर ध्यान देंगे। फिर, हम यह जानेंगे कि कैसे रूबी अत्यधिक दबाव और गर्मी के कारण धरती की सतह के नीचे स्वाभाविक रूप से बनते हैं। अंत में, हम भारत की भूमिका को देखेंगे, जो रूबी के निर्यात में है।

तंजानिया से एक रूबी क्रिस्टल | चित्र स्रोत : wikimedia 

रूबी - विशेषताएं, खनन स्थान, और इसकी उत्पत्ति की प्रक्रिया

1. रूबी - रूबी, जिसे हिंदी में माणिक कहते हैं, एक ऐसा रत्न है जो जुनून, शक्ति और जीवनशक्ति का प्रतीक है। इसका गहरा लाल रंग, जिसकी अक्सर कबूतर के खून से तुलना  की जाती   है, सदियों से लोगों के दिलों को आकर्षित करता आया है। भारतीय संस्कृति में, रूबी को रत्नों का राजा माना जाता है, जो साहस, प्रेम और साहस का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि यह ऊर्जा को बढ़ाता है, अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है, और प्रयासों में सफलता लाता है।

भारत का रूबी खनन का इतिहास बहुत पुराना और प्रसिद्ध है, और कर्नाटका (मैसूर) और उड़ीसा में इसके बड़े भंडार पाए जाते हैं। मैसूर की खदानें, खासकर होल-नरसिपुर क्षेत्र में, पारदर्शिता और रंग के लिए प्रसिद्ध रूबी देती हैं, जबकि चन्नापट्ना क्षेत्र अपने स्टार रूबी के लिए मशहूर है। हालांकि बड़े कैरेट वज़न और उच्च गुणवत्ता  वाले रूबी के पत्थर दुर्लभ होती हैं । भारत छोटे आकार की कई रूबी भी उत्पन्न करता है, जो नक्काशी और आभूषणों जैसे अंगूठी और कड़ा बनाने में इस्तेमाल होती हैं।

2. रूबी खनन - हीरे के अलावा, रूबी दुनिया का दूसरा सबसे मूल्यवान कीमती रत्न है। यह पृथ्वी से प्राप्त होने वाले सबसे खूबसूरत खनिजों में से एक है। यह प्रेम का प्रतीक है और इसके गहरे लाल रंग के लिए प्रसिद्ध है। रूबी की चमक और आभा बेहतरीन होती है। ये रूबी प्राकृतिक रूप से दुनिया में  पाए जाते  हैं और यह हीरे के अलावा सबसे कठिन खनिज है।

रूबी को कोरुंडम (Corundum) परिवार से संबंधित माना जाता है और इसमें क्रोमियम (chromium) के अंश होते हैं। यह कोरुंडम रूपांतरित चट्टानों में बनता है। ऐसे बड़े पत्थरों से इन रत्नों को खनन करना महंगा ही नहीं, बल्कि जोखिमपूर्ण भी है, क्योंकि खनन के दौरान रत्न टूटने का ख़तरा होता है। कोरुंडम के कठोर होने के कारण इसे खनन और निकालने में तुलनात्मक रूप से आसानी होती है। इन रत्नों को प्राप्त करने के लिए स्ट्रीम सिंडिमेंट (Stream sediment) की तकनीक का उपयोग किया जाता है।

 चित्र स्रोत : wikimedia 

3.  धारा तलछट  (Stream sediment)- ये रत्न जिन पत्थरों में होते हैं, उन्हें अन्य पत्थरों के साथ वृष्टि (erosion) के कारण एक स्थान पर ले जाया जाता है, जहाँ अन्य खनिज भी मौजूद होते हैं। फिर इन पत्थरों को मौसम के प्रभाव से नष्ट किया जाता है। एक उच्च दबाव वाली जलधारा इन पत्थरों से कंकरों को बहाकर ले जाती है। क्योंकि जो पत्थर रूबी के साथ होते हैं, वे भारी होते हैं, इसलिए वे वहीं रहते हैं, जबकि छोटे खनिज बहकर हट जाते हैं। इन रत्नों को इन अवशेषों से हाथों से निकाला जाता है, क्योंकि ये छोटे और असममित आकार के होते हैं।

चूंकि इन रूबी में कई प्रकार की अवशेष (inclusion) होते हैं, इसलिए इन्हें वाणिज्यिक रूप से स्वीकार्य बनाने के लिए उपचारित करना पड़ता है। इस उपचार से इनके चमक और आभा में सुधार होता है, जो अवशेषों के कारण प्रभावित हो सकती है। रूबी का रंग और स्पष्टता ही है जो इसे  बाज़ारों में अत्यधिक आकर्षक और मूल्यवान बनाती है।

बैंगनी माणिक |  चित्र स्रोत : wikimedia 

रूबी कैसे  बनता है?

रूबी अन्य रत्नों की तरह अत्यधिक गर्मी और दबाव के कारण धरती के नीचे  बनता है। जब ऑक्सीजन और ऐल्यूमीनियम के परमाणु संकुचित होते हैं, तो वे कोरुंडम में बदल जाते हैं। इस खनिज के साथ क्रोमियम की उपस्थिति से रूबी  बनता है और उसका विशेष लाल रंग उत्पन्न होता है। यदि फ़ेरिक आयरन (ferric iron) भी मौजूद हो, तो रूबी नारंगी या गुलाबी रंग  का हो  सकता   है।

रूबी दुनिया में कहां  पाया जाता  है?

रूबी के सबसे अच्छे रत्न बर्मा (म्यांमार) से आते हैं। इसके अलावा, ये अफगानिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, कंबोडिया, भारत, मेडागास्कर, मलावी,  मोज़ाम्बिक  , पाकिस्तान, श्रीलंका,  तंज़ानिया, थाईलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका और वियतनाम में भी खनन किए जाते हैं।

मेसोपोटामिया से रूबी आई एमुलेट |  चित्र स्रोत : wikimedia 

भारत द्वारा रूबी का निर्यात 

भारत ने मार्च 2023 से फ़रवरी 2024 (TTM) तक 5,446 शिपमेंट्स रूबी स्टोन का निर्यात किया। इन निर्यातों को 782 भारतीय निर्यातकों ने 1,335 खरीदारों को भेजा, जो पिछले बारह महीनों की तुलना में -29% की वृद्धि दर दर्शाता है।

इस अवधि में, केवल फ़रवरी 2024 में ही भारत से 437 रूबी स्टोन शिपमेंट्स (Ruby Stone Shipments) का निर्यात किया गया। यह फ़रवरी 2023 की तुलना में 0% की वार्षिक वृद्धि और जनवरी 2024 से 0% की वृद्धि दर्शाता है।

भारत से अधिकांश रूबी  के पत्थर निर्यात हांगकांग, संयुक्त राज्य अमेरिका और थाईलैंड को किए जाते हैं।

वैश्विक स्तर पर, रूबी  के प्रमुख निर्यातक देश भारत, थाईलैंड और हांगकांग हैं। भारत 26,624 शिपमेंट्स के साथ दुनिया में सबसे बड़ा रूबी निर्यातक है।, इसके बाद थाईलैंड और हांगकांग 13,877 और 7,350 शिपमेंट्स शिपमेंट्स के साथ,   दूसरे और तीसरे स्थान पर आते हैं।
 

संदर्भ 

https://tinyurl.com/4ajp3dfa 

https://tinyurl.com/xx7c2bjn 

https://tinyurl.com/4nxw26pf 

https://tinyurl.com/yc2pudn4

मुख्य चित्र में रूबी का स्रोत : Pexels