उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन: प्राकृतिक वनस्पति का महत्वपूर्ण हिस्सा, इनका संरक्षण है आवश्यक

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29-05-2025 09:29 AM
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उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन: प्राकृतिक वनस्पति का महत्वपूर्ण हिस्सा, इनका संरक्षण है आवश्यक

मेरठ के नागरिकों, उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन भारत की प्राकृतिक वनस्पति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। भारत में ये वन मुख्य रूप से पश्चिमी घाट, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में पाए जाते हैं, जो अरब सागर, प्रायद्वीपीय भारत के समुद्र तट और उत्तर पूर्व में बड़े असम क्षेत्र की सीमा पर स्थित हैं। ये वन अद्वितीय पौधों, जानवरों और पक्षियों का घर हैं, और हमारे पर्यावरण को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लेकिन इन वनों की निरंतर कटाई और प्रदूषण के कारण हमारे जंगल खतरे में हैं। इसलिए बेहतर भविष्य के लिए वनों के संरक्षण में मदद करना हम सभी के लिए महत्वपूर्ण है। तो आइए आज, उष्णकटिबंधीय सदाबहार वनों के बारे में जानते हुए, इन वनों की अनूठी विशेषताओं पर चर्चा करें। इसके साथ ही, हम भारत के उष्णकटिबंधीय सदाबहार जंगलों में पाए जाने वाले विविध वन्य जीवन पर नज़र डालेंगे। अंत में हम भारत में सदाबहार वनों के संरक्षण प्रयासों पर चर्चा करेंगे।

उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन (Tropical evergreen Forest):

उष्णकटिबंधीय सदाबहार वनों को उष्णकटिबंधीय वर्षावन के नाम से भी जाना जाता है। ये वन आर्द्र, गर्म क्षेत्र में बढ़ते हैं और जटिल, विविध पारिस्थितिक तंत्र बनाते हैं। ये वन अपनी लगातार उच्च वर्षा, हरे पौधों की प्रचुरता और पौधों और जानवरों की प्रजातियों की विविधता के लिए उल्लेखनीय हैं। इन वनों में उगने वाले पेड़ बहुत ऊँचे होते हैं जो मिलकर एक घनी छतरी बनाते हैं और सूरज की रोशनी को धरती पर पहुंचने से रोकते हैं, जिससे नीचे एक अद्वितीय सूक्ष्मजलवायु क्षेत्र बनाते हैं। अपने अद्वितीय पारिस्थितिक मूल्य के अलावा, ये वन दुनिया की जलवायु के संतुलन को बनाए रखने, विभिन्न प्रकार की प्रजातियों के लिए आवास प्रदान करने और आस-पास के समुदायों के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक हैं। उष्णकटिबंधीय सदाबहार वनों को व्यापक रूप से पृथ्वी पर सबसे महत्वपूर्ण और लुभावने पारिस्थितिक तंत्रों में से एक माना जाता है।

अरुणाचल प्रदेश, भारत के नमदाफा टाइगर रिजर्व में उष्णकटिबंधीय वर्षावन |  चित्र स्रोत : Wikimedia  

उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन की विशेषताएं:

  • उच्च वर्षा: उष्णकटिबंधीय सदाबहार वनों में हर साल लगभग 2000 मिलीमीटर बारिश होती है, जिससे पेड़ों को लंबा और स्वस्थ होने में मदद मिलती है।
  • घनी वनस्पति: ये जंगल बहुत घने होते हैं, इनमें पेड़ एक-दूसरे से सटे हुए होते हैं, जिससे एक छतरी बनती है, जो सूरज की रोशनी को धरती पर पहुंचने रोकती है और क्षेत्र को आर्द्र और छायादार बनाती है।
  • पौधों और पशु जीवन की विस्तृत विविधता: उष्णकटिबंधीय सदाबहार जंगलों में विविध पौधों और पशुओं की प्रजातियां रहती हैं, जिनमें पेड़, झाड़ियाँ, जड़ी-बूटियाँ, फर्न (Fern), कीड़े, पक्षी, स्तनधारी और सरीसृप शामिल हैं।
  • बहुस्तरीय संरचना: इन वनों में विभिन्न परतें होती हैं। सबसे ऊँचे पेड़ सबसे ऊपरी परत या छत्र बनाते हैं। इसके नीचे छोटे पेड़ और झाड़ियाँ होती हैं, फिर जड़ी-बूटियाँ और फ़र्न, और अंत में पत्तियों और शाखाओं से ढकी ज़मीन की परत होती है।
  • प्रचुर अधिपादप: अधिपादप ऐसे पौधे हैं जो अन्य पौधों से पोषक तत्व लिए बिना उन पर उगते हैं। इन जंगलों में ऑर्किड (orchid), फर्न (Fern) और मॉस (moss) जैसे कई अधिपादप उगते हैं।
  • गर्म और आर्द्र जलवायु: उष्णकटिबंधीय सदाबहार वनों में जलवायु गर्म और आर्द्र होती है, जिसमें पूरे वर्ष तापमान आमतौर पर 25°C और 30°C के बीच रहता है।
उष्णकटिबंधीय डिप्टेरोकार्प वर्षावन |  चित्र स्रोत : Wikimedia  

भारत में उष्णकटिबंधीय सदाबहार वनों में पाई जाने वाली वनस्पतियां:

इन वनों में पाई जाने वाली कुछ महत्वपूर्ण वनस्पतियों में शीशम, महोगनी, ऐनी, आबनूस आदि शामिल हैं। केरल के वनों में पाई जाने वाली एक महत्वपूर्ण प्रजाति मेसा है, जिनमें सफ़ेद देवदार, जामुन और बेंत आदि के पेड़ शामिल हैं। असम के जंगलों में गुर्जन, जामुन, अगर, बांस, आदि की बहुत ही सामान्य प्रजाति पाई जाती है।

उष्णकटिबंधीय सदाबहार वनों में पाई जाने वाली पशु प्रजातियां:

उष्णकटिबंधीय सदाबहार वनों में कई अलग-अलग प्रकार स्तनधारी जैसे हाथी, बाघ, तेंदुआ, बंदर, वानर, गैंडा, हिरण, जंगली सूअर, चमगादड़, पक्षी जैसे टौकेन, तोते, मकोय, हॉर्नबिल, हमिंगबर्ड, तीतर, सरीसृप जैसे साँप, छिपकली, मगरमच्छ और कछुए, उभयचर जैसे मेंढक, टोड और विभिन्न कीट जैसे तितलियाँ, भृंग, चींटियाँ, दीमक आदि पाए जाते हैं।

2015 तक भारतीय वन क्षेत्र का मानचित्र  |  चित्र स्रोत : Wikimedia 

भारत में सदाबहार वनों के संरक्षण के प्रयास:

भारत में सदाबहार वनों की रक्षा के लिए कई संगठन कार्य कर रहे हैं। उनका लक्ष्य वनों की कटाई को कम करना, जलवायु परिवर्तन से लड़ना और अवैध शिकार और भूमि पर आक्रमण को रोकना है। भारत में सदाबहार वनों के संरक्षण के लिए कुछ महत्वपूर्ण प्रयास इस प्रकार हैं:

  • संरक्षित क्षेत्र: भारत सरकार द्वारा सदाबहार वनों की रक्षा के लिए राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य और जैवमंडल रिजर्व स्थापित किए गए हैं। ये क्षेत्र वन्यजीवों को सुरक्षा प्रदान करते हैं और वनों की कटाई को रोकने में मदद करते हैं।
  • संयुक्त वन प्रबंधन: संयुक्त वन प्रबंधन (Joint forest management (JFM) के तहत वनों की देखभाल में स्थानीय समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित की जाती है। इस कार्यक्रम के तहत वनों की कटाई को कम करने और स्थानीय लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में मदद मिली है।
  • वनीकरण और पुनर्वनीकरण: सरकार द्वारा वन आवरण बढ़ाने के लिए क्षतिग्रस्त जंगलों और बंजर भूमि पर वृक्षारोपण किया जा रहा है।
  • सतत वन प्रबंधन: सरकार द्वारा चयनात्मक कटाई और गैर-लकड़ी उत्पादों की कटाई जैसी स्थायी प्रथाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि भविष्य के लाभों के लिए वनों का बुद्धिमानी से उपयोग किया जाए।
  • जलवायु परिवर्तन अनुकूलन: सरकार सूखा प्रतिरोधी पेड़ लगाकर और क्षतिग्रस्त क्षेत्रों को बहाल करके जंगलों को जलवायु परिवर्तन के साथ तालमेल बिठाने में भी मदद कर रही है।


संदर्भ 

https://tinyurl.com/5d4ee27v

https://tinyurl.com/mtk2fyv7

https://tinyurl.com/4htbmapt

https://tinyurl.com/mtk2fyv7

मुख्य चित्र स्रोत : Pexels