मेरठवासियों जानिए, समुद्र की सबसे महंगी मछली और इसके अनोखे रहस्य

मछलियाँ और उभयचर
06-12-2025 09:21 AM
मेरठवासियों जानिए, समुद्र की सबसे महंगी मछली और इसके अनोखे रहस्य

समुद्र की अथाह गहराइयों में कई ऐसे रहस्य छिपे हैं, जिनके बारे में सुनना भी रोमांचक लगता है। इन्हीं में से एक है ब्लैकस्पॉटेड क्रोकर (Blackspotted Croaker), जिसे आमतौर पर घोल मछली कहा जाता है। इसकी कीमत इतनी अधिक होती है कि मछुआरों के लिए इसे “समुद्री सोना” माना जाता है। मेरठवासियो, भले ही हमारा शहर समुद्र से काफी दूर है, लेकिन इस मछली की कहानी उतनी ही दिलचस्प है। क्योंकि इसका महत्व सिर्फ तटीय इलाकों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना चुकी है। 
आज के इस लेख में हम पाँच मुख्य पहलुओं पर चर्चा करेंगे। सबसे पहले हम जानेंगे कि ब्लैकस्पॉटेड क्रोकर वास्तव में कौन-सी प्रजाति है और इसकी वैश्विक मांग क्यों है। इसके बाद हम भारत में हुई इसकी नीलामी और रिकॉर्ड कीमतों पर नज़र डालेंगे। फिर हम समझेंगे कि इस मछली के स्विम ब्लैडर (Swim Bladder) और अन्य अंग क्यों इतने कीमती हैं। इसके अलावा हम देखेंगे कि मछुआरों के लिए यह मछली ‘समुद्री सोना’ कैसे साबित होती है। अंत में, हम इसके पोषण और स्वास्थ्य लाभों पर बात करेंगे, जिससे इसकी वास्तविक अहमियत हमारे सामने आएगी।

ब्लैकस्पॉटेड क्रोकर (घोल मछली) – समुद्री दुनिया की सबसे महंगी प्रजाति
समुद्र की अथाह गहराइयों में अनगिनत रहस्य छिपे हुए हैं, और उन्हीं में से एक है ब्लैकस्पॉटेड क्रोकर, जिसे आम बोलचाल में घोल मछली कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम है प्रोटोनीबिया डायकैंथस (Protonibea diacanthus)। यह मछली मूल रूप से हिंद महासागर और प्रशांत महासागर की निवासी है और विशेष रूप से भारत-प्रशांत क्षेत्र में अधिक पाई जाती है। इसकी पहचान सिर्फ़ स्वाद या आकार से नहीं होती, बल्कि इसकी अद्वितीयता और दुर्लभता ही इसे सबसे खास बनाती है। पूर्वी एशिया के देशों - जापान, हांगकांग, सिंगापुर और मलेशिया - में इस मछली की बेहद अधिक मांग रहती है। वहां इसे औषधीय महत्व से जोड़कर देखा जाता है और माना जाता है कि इसके अंग कई तरह की बीमारियों में उपयोगी हो सकते हैं। भले ही वैज्ञानिक दृष्टि से इन दावों की पूरी पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन इसकी लोकप्रियता और बाजार मूल्य इस बात का प्रमाण है कि यह मछली वास्तव में समुद्री दुनिया की एक नायाब खोज है। इसी वजह से इसे अक्सर दुनिया की सबसे महंगी समुद्री मछलियों की श्रेणी में गिना जाता है।

भारत में घोल मछली की नीलामी और कीमतों के रिकॉर्ड
भारत जैसे विशाल देश, जिसके तट कई हज़ार किलोमीटर तक फैले हुए हैं, में यह मछली नीलामी के समय हमेशा चर्चा का विषय बनी रहती है। मुंबई और पालघर के समुद्र तट पर पकड़ी गई 30 किलो वज़न की एक घोल मछली ने लाखों रुपये की कीमत पाई थी। यह उदाहरण अकेला नहीं है। ओडिशा में भी 2019 और 2020 में मछुआरों ने घोल मछली पकड़कर कंपनियों को बेचा, जहाँ 10 किलो से 20 किलो तक की मछलियों को प्रति किलो 8,000 से 10,000 रुपये तक में खरीदा गया। ऐसे रिकॉर्ड बताते हैं कि यह मछली कितनी मूल्यवान है और कैसे यह तटीय इलाकों के मछुआरों के जीवन को एक झटके में बदल सकती है। दरअसल, इन नीलामियों में हिस्सा लेने वाली कंपनियां ज़्यादातर औषधीय और औद्योगिक क्षेत्रों से जुड़ी होती हैं। उनके लिए घोल मछली सिर्फ़ समुद्री भोजन नहीं, बल्कि एक ऐसा निवेश है जो उन्हें कई गुना लाभ दिला सकता है। यही कारण है कि भारतीय तटीय क्षेत्रों में घोल मछली को लेकर हर बार उम्मीद और उत्साह देखने को मिलता है।

स्विम ब्लैडर और अन्य अंगों का महत्व
घोल मछली का सबसे अनमोल हिस्सा है इसका स्विम ब्लैडर। यह अंग मछली के शरीर में हवा भरने और तैरने की क्षमता को नियंत्रित करता है, लेकिन इंसानों के लिए इसकी उपयोगिता इससे कहीं अधिक है। बीयर और शराब उद्योग में इसका इस्तेमाल पेय पदार्थों को शुद्ध करने के लिए किया जाता है। यही कारण है कि इसका सूखा हुआ स्विम ब्लैडर 40,000 से 50,000 रुपये प्रति किलो तक बिकता है। इतनी ऊँची कीमत इसे और भी खास बना देती है। सिर्फ़ स्विम ब्लैडर ही नहीं, बल्कि इस मछली की त्वचा भी अत्यंत उपयोगी है। इसमें पाया जाने वाला उच्च गुणवत्ता का कोलेजन (collagen) भोजन के साथ-साथ कॉस्मेटिक (cosmetic) उद्योग में भी इस्तेमाल होता है। यह कोलेजन चेहरे की झुर्रियों को कम करने और त्वचा की चमक बनाए रखने में मदद करता है। साथ ही, इसे बोवाइन (Bovine) और पोर्सिन जिलेटिन (porcine gelatin) का एक बढ़िया विकल्प माना जाता है, जिससे शाकाहारी और कुछ धार्मिक समूहों के लोग भी इसका लाभ उठा सकते हैं।

मछुआरों के लिए ‘समुद्री सोना’ – घोल मछली का आर्थिक योगदान
मछुआरों की ज़िंदगी अक्सर संघर्ष और जोखिम से भरी होती है। कई बार महीनों तक मेहनत करने के बाद भी उन्हें अपने परिवार के लिए पर्याप्त आय नहीं मिल पाती। ऐसे में घोल मछली उनके लिए किसी खजाने से कम नहीं होती। जब एक मछुआरे के जाल में यह मछली फँसती है, तो उसकी किस्मत सचमुच चमक उठती है। यही कारण है कि मछुआरे इसे ‘समुद्री सोना’ कहते हैं। हालाँकि, इसे पकड़ना आसान काम नहीं है। इसके लिए बड़े और मज़बूत जालों की ज़रूरत पड़ती है। कई बार पेलाजिक ज़ोन की अन्य मछलियाँ जाल से निकल जाती हैं, और पूरी मेहनत व्यर्थ चली जाती है। फिर भी, मछुआरे अपनी किस्मत आज़माने से पीछे नहीं हटते, क्योंकि यदि एक बार यह मछली हाथ लग जाए तो लाखों रुपये मिल सकते हैं। यह मछली मछुआरों को न सिर्फ़ आर्थिक सहारा देती है, बल्कि उनके लिए उम्मीद और संघर्ष का प्रतीक भी बन चुकी है।

पोषण और स्वास्थ्य लाभ
घोल मछली की पहचान केवल महंगी कीमत और दुर्लभता तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पोषण संबंधी गुण भी इसे बेहद खास बनाते हैं। इसमें प्रचुर मात्रा में ओमेगा-3 (Omega-3) फैटी एसिड (Fatty Acid) पाया जाता है, जो बच्चों के मस्तिष्क के विकास के लिए बहुत ज़रूरी है। यही कारण है कि इसे खाने से बच्चों की बुद्धिलब्धि बढ़ाने में मदद मिलती है। इसके अलावा, इसमें मौजूद विटामिन और खनिज आंखों की रोशनी को लंबे समय तक बनाए रखने में सहायक होते हैं। जो लोग बढ़ती उम्र के साथ त्वचा संबंधी समस्याओं से जूझते हैं, उनके लिए यह मछली वरदान है। इसमें मौजूद प्रोटीन और खनिज त्वचा को स्वस्थ रखते हैं और झुर्रियों की समस्या को कम करते हैं। यही नहीं, यह शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को भी मज़बूत बनाती है। इसलिए इसे खाने के फायदे उतने ही बड़े हैं, जितनी बड़ी इसकी कीमत है।

संदर्भ- 
https://bit.ly/3B8VuF1 
https://bit.ly/3EgDlap 
https://bit.ly/3Cbskq8 
https://bit.ly/3CaaS5t 
https://bit.ly/3mbjnaD 
https://tinyurl.com/297txazx 



Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Readerships (FB + App) - This is the total number of city-based unique readers who reached this specific post from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Messaging Subscribers - This is the total viewership from City Portal subscribers who opted for hyperlocal daily messaging and received this post.

D. Total Viewership - This is the Sum of all our readers through FB+App, Website (Google+Direct), Email, WhatsApp, and Instagram who reached this Prarang post/page.

E. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.