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विषैले सांपों को जंगली जीवों में सबसे घातक और खतरनाक जानलेवा जानवरों में से एक माना जाता है, खासकर जब उनके विषैले दांतों की बात आती है। लेकिन यही घातक ज़हर जो इन सांपों को खतरनाक बनाता है वर्तमान समय में चिकित्सा अनुसंधान समुदाय के लिए मूल्यवान बन गया है। वैज्ञानिकों और चिकित्सा शोधकर्ताओं ने पाया है कि वही यौगिक जो विष को ज़हरीला बनाते हैं, कई मानव रोगों के उपचार में उपयोगी सिद्ध हुए हैं।
साँप का ज़हर एक उच्च संशोधित विषयुक्त लार है, जो साँप को शिकार के स्थिरीकरण और पाचन की सुविधा प्रदान करता है और उन्हें विभिन्न अन्य खतरों से बचाव करने में मदद करता है। यह साँप द्वारा किसी को डसने के दौरान विषैले दांतों द्वारा डाला जाता है और वहीं साँप की कुछ प्रजातियां अपने इस विष को थूकने में भी सक्षम होती हैं। विश्व में सांपों की लगभग 3000 अलग-अलग प्रजातियाँ हैं जिनमें से लगभग 600 विषैले होते हैं। साँप का ज़हर सैकड़ों विभिन्न प्रकार के पेप्टाइड (Peptides), एंज़ाइम (Enzymes) और विषाक्त पदार्थों से बने होते हैं।
सांपों की प्रजाति में दो मुख्य प्रकार के ज़हर पाए जाते हैं, हेमोटॉक्सिन (Hemotoxins) और न्यूरोटॉक्सिन (Neurotoxins)। हेमोटॉक्सिन संचलन प्रणाली को लक्षित करता है और स्कंदन के प्रांगणों को सही ढंग से काम करने से रोकता है, जो अधिक रक्तस्राव का कारण बनता है। वहीं न्यूरोटॉक्सिन केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को लक्षित करता है जो मांसपेशियों को काम करने से रोकता है, अंततः सांस की रुकावट का कारण बनता है। न्यूरोटॉक्सिन से बना ज़हर बहुत घातक होता है।
हेमोटॉक्सिन से प्राप्त दवाओं का उपयोग दिल के दौरे और रक्त विकारों के उपचार में किया जाता है। हेमोटॉक्सिन से प्राप्त अन्य दवाओं में एप्टिफिबाटाइड (Eptifibatide) शामिल है, जिसमें एक संशोधित रैटलस्नेक विष प्रोटीन और टिरोफिबैन (Tirofiban) शामिल हैं। इन दवाओं का उपयोग मामूली दिल के दौरे के उपचार में किया जाता है। वहीं न्यूरोटॉक्सिन से बनाई गई दवाओं का उपयोग मस्तिष्क की चोटों, स्ट्रोक (Strokes) और अल्ज़ाइमर (Alzheimer's) और पार्किंसंस (Parkinson's) जैसी बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। यह देखते हुए कि संचार प्रणाली विकारों के उपचार में ये ज़हर कितने प्रभावी हैं,  शोधकर्ता कैंसर (Cancer) के उपचार के लिए साँप के ज़हर के प्रोटीन की क्षमता का अध्ययन कर रहे हैं।