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                                            विश्व भर में जल का एक विशेष महत्व है। ये जल नदियों, नहरों इत्यादि स्रोतों से मनुष्य द्वारा प्राप्त किया जाता है और प्रत्येक देश के आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास में प्राचीनकाल से ही महत्वपूर्ण योगदान देता आ रहा है। ऐसे ही भारत की नदियां प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से संपूर्ण भारत को पोषित कर रही हैं। जिन क्षेत्रों में नदियां बहकर नहीं जाती हैं, वहां नहरों के माध्यम से इनका पानी पहुंचाया जाता है। कुछ इसी तरह उत्तर भारत की गंगा नहर प्रणाली का प्रयोग गंगा नदी और यमुना नदी के बीच के दोआब क्षेत्र की सिंचाई के लिए किया जाता है। यह नहर मुख्य रूप से एक सिंचाई नहर है, हालांकि इसके कुछ हिस्सों को नौचालन के लिए भी इस्तेमाल किया जाता था।
गंगा नहर को प्रशासकीय रूप से ऊपरी गंगा नहर (हरिद्वार से अलीगढ़ तक कुछ उपखंडों के साथ) और निचली गंगा नहर (अलीगढ़ से नीचे के उपखंडों के साथ) में विभाजित किया गया है। जब 1837-38 में आगरा के अकाल (जिसमें करीब 8,00,000 लोग मारे गये थे) में राहत दिलाने हेतु लगभग एक करोड़ का खर्चा हो गया तथा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी (British East India Company) को भारी राजस्व घाटा हुआ, तब ब्रिटिश सरकार ने एक सुचारू सिंचाई प्रणाली विकसित करने का निर्णय लिया था। इसे पूरा करने में कर्नल प्रोबी कॉटली (Colonel Proby Cautley) का विशेष योगदान रहा। इनके अटल विश्वास से ही लगभग 500 किलोमीटर लंबी इस नहर का निर्माण संभव हो पाया।
नहर की खुदाई का काम अप्रैल 1842 में शुरू हुआ था तथा इसमें प्रयोग होने वाली ईंटों के निर्माण हेतु कॉटली ने ईंटों के भट्टे भी बनवाये थे। केवल इतना ही नहीं, हरिद्वार के हिंदू पुजारियों द्वारा उनका विरोध भी किया गया, क्योंकि उनका मानना था कि गंगा नदी को कैद करना अनुचित होगा। कॉटली ने गंगा नदी की धारा को निर्बाध रूप से प्रवाहित करने के लिए, बांध में एक अंतराल छोड़ने का आश्वासन दिया और साथ ही इन्होंने पुजारियों को खुश करने के लिए नदी किनारे स्थित स्नान घाटों की मरम्मत कराने का भी वादा किया। कॉटली ने नहर निर्माण कार्य का उद्घाटन भी भगवान गणेश की वंदना से करवाया था।

बरसात के मौसम में गंगा नहर प्रणाली में पानी का स्तर और उसकी गति काफी बढ़ जाती है। इस विषय में एंथोनी अकियावात्ती (Anthony Acciavatti) ने अपनी पुस्तक ‘गेंजेस वाटर मशीन’ (Ganges Water Machine) में लिखा है, कि नहर पर खर्च किए गए धन का एक पूरा चौथाई हिस्सा उन जलमार्गों के निर्माण पर लगाया गया था जो भारी जल की मात्रा को एक के ऊपर एक मार्ग में ले जाते हैं। उनके द्वारा यह भी कहा गया था कि ऐसा अभियांत्रिकी का चमत्कार विश्व भर में अद्वितीय था। जहां इस गंगा नहर प्रणाली से उत्तर प्रदेश के कई जिले काफी लाभान्वित होते हैं, वहीं मेरठ भी इससे अछूता नहीं है। लेकिन वार्षिक रूप से होने वाली ऊपरी गंगा की सफाई की अवधि के दौरान निवासियों को हर साल पानी की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वहीं इस सफाई की अवधि के दौरान प्रभावित जिलों में अलीगढ़, बुलंदशहर, एटा, फिरोज़ाबाद, गाजिज़ाबाद, हाथरस, मेरठ और मुज़फ्फरनगर शामिल हैं। जिसको देखते हुए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे अपने खेतों की सिंचाई के लिए निजी जल स्रोतों जैसे नलकूपों और पंपों (Pumps) का उपयोग करें।
संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Ganges_Canal
2. https://bit.ly/2Wrqf7i
3. https://bit.ly/2wdBYvF
4. https://bit.ly/2QkbuPY
चित्र सन्दर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Ganges_Canal#/media/File:Ganges_canal_oldEIC_bridge1854.jpg
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Ganges_Canal#/media/File:Ganges_canal_roorkee1860.jpg