अपनी पीठ पर पृथ्वी को सहारा दिए कछुए के अन्य सांस्कृतिक चित्रण व धार्मिक प्रतीकवाद

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अपनी पीठ पर पृथ्वी को सहारा दिए कछुए के अन्य सांस्कृतिक चित्रण व धार्मिक प्रतीकवाद

कछुओं को अक्सर सांस्कृतिक रूप से सहज‚ धैर्यवान और बुद्धिमान प्राणियों के रूप में जाना जाता है। उनके लंबे जीवनकाल‚ धीमी गति और मजबूती के कारण वे दुनिया भर की कई संस्कृतियों में दीर्घायु तथा स्थिरता का प्रतीक हैं। कछुओं के बारे में एक अभिव्यक्ति है; “टर्टल ऑल द वे डाउन” (“Turtles all the way down”)‚ जो एक विशाल कछुए की पीठ पर ले जाई जा रही दुनिया की छवि से अवगत कराता है। यह कहावत एक विश्व कछुए (World Turtle) के पौराणिक विचार को इंगित करती है‚ जो अपनी पीठ पर पृथ्वी को सहारा देता है। यह बताता है‚ कि यह कछुआ और भी बड़े कछुए की पीठ पर टिका हुआ है‚ जो स्वयं विस्तार से बढ़ते बड़े कछुओं के एक स्तंभ का हिस्सा है तथा अनिश्चित काल तक जारी रहेगा।
कछुए हमेशा से ही नियमित रूप से मानव संस्कृति में शामिल रहे हैं‚ जिसमें चित्रकारों‚ फोटोग्राफरों‚ कवियों‚ गीतकारों तथा मूर्तिकारों द्वारा उन्हें विषयों के रूप में उपयोग किया जाता रहा है। दुनिया भर में धर्म‚ पौराणिक कथाओं‚ लोककथाओं और मिथकों में उनकी एक महत्वपूर्ण भूमिका रही है‚ जिसमें स्थिरता और शांति भी शामिल है तथा उन्हें अक्सर पृथ्वी की उत्पत्ति के सृजन के मिथकों के रूप में भी शामिल किया जाता है। समुद्री कछुए एक करिश्माई मेगाफौना (charismatic megafauna) हैं‚ जो समुद्री वातावरण और पर्यावरणवाद के प्रतीक के रूप में भी एक प्रमुख स्थान रखते है। कछुओं को उनकी धीमी गति और शांतिपूर्ण प्राणी होने की भूमिका के कारण‚ एक गतिहीन जानवर के रूप में गलत समझा जा सकता है‚ जबकि कई प्रकार के कछुए‚ विशेष रूप से समुद्री कछुए‚ अक्सर महासागरों में बड़ी दूरी पर प्रवास करते हैं। एक कछुए की लंबी उम्र‚ उसके लंबे जीवनकाल और उसके खोल द्वारा सुझाई जाती है‚ जो कुछ लोगों के लिए शत्रु से सुरक्षा का प्रतीक भी है। कछुए को ज्ञान के प्रतीक के रूप में देखा जा सकता है‚ जो अपने दम पर अपनी रक्षा करने में सक्षम है। इसे जल‚ चंद्रमा‚ पृथ्वी‚ समय‚ अमरता और उर्वरता का आदर्शरूप भी माना जा सकता है। 20 वीं सदी के मानवविज्ञानी एडवर्ड बर्नेट टायलर (Edward Burnett Tylor)‚ अपनी पुस्तक ‘रिसर्च इनटू द अर्ली हिस्ट्री ऑफ मैनकाइंड एंड द डेवलपमेंट ऑफ सिविलाइजेशन’ (Researches Into the Early History of Mankind and the Development of Civilization) में लिखते हैं‚ कि विश्व कछुए की अवधारणा संभवतः पहली बार हिंदू पौराणिक कथाओं में दिखाई दी थी। एक वैदिक कहानी में‚ भगवान विष्णु के दूसरे अवतार‚ जिसे कूर्म (Kurma) या कच्छप (Kachhap) अवतार कहा जाता है‚ एक महान कछुए का रूप है‚ जो एक खगोलीय आधार प्रदान करता है‚ जिस पर एक पर्वत संतुलित होता है। कूर्म अवतार में भगवान विष्णु ने क्षीरसागर के समुद्रमंथन के समय मंदार पर्वत को अपने कवच पर संभाला था। इस प्रकार भगवान विष्णु‚ मंदार पर्वत और वासुकी नामक नाग की सहायता से देवों एंव असुरों ने समुद्र मंथन करके चौदह रत्नों की प्राप्ति की थी। आंध्र प्रदेश‚ भारत में श्री कुर्मम (Sri Kurmam) मंदिर‚ कुर्म अवतार को समर्पित है। हिंदू पौराणिक कथाओं में यह भी माना जाता है‚ कि दुनिया चार हाथियों की पीठ पर टिकी है‚ जो एक कछुए के खोल पर खड़े होते हैं‚ जिसमें हाथी मर्दाना और कछुआ स्त्री का प्रतीक है। हिंदू धर्म में अकुपारा (Akupara) एक कछुआ है‚ जो पृथ्वी और समुद्र को थामे हुए दुनिया को अपनी पीठ पर ढोता है। चीन की पारंपरिक पौराणिक कथाओं में एओ (Ao) नामक एक विशाल कछुआ शामिल है‚ जिसने दुनिया बनाने में मदद करी। किंवदंती के अनुसार‚ निर्माता देवी नुवा (Nuwa) या नुगुआ (Nugua) ने लौकिक कछुए के पैरों को काट दिया और उनका उपयोग आकाश को ऊपर उठाने के लिए किया‚ जिसे किसी अन्य देवता ने क्षतिग्रस्त कर दिया था। यह पूरी तरह से दुनिया को अपनी पीठ पर नहीं ले जा रहा है‚ लेकिन यह अभी भी ब्रह्मांड के केंद्र में एक भू-भाग रखता है तथा यह सुनिश्चित करता है कि आकाश नीचे ना गिरे। चीनियों के लिए कछुआ बहुत पवित्र है तथा चीन के सबसे प्रमुख “चार शानदार जानवरों” (“Four Fabulous Animals”) में से एक है। ये जानवर दिशा सूचक यंत्र के चार बिंदुओं को नियंत्रित करते हैं‚ जिसमें उत्तर का शासक काला कछुआ है‚ जो धीरज‚ शक्ति‚ तप तथा दीर्घायु का प्रतीक है। अफ्रीका के जातीय समूहों की कहानियों में‚ कछुआ सबसे चतुर जानवर माना जाता है। इजापा (Ijapa) या अलबाहुन (Alabahun) एक चालबाज कछुआ है‚ जो वीर कर्मों को पूरा करता है तथा नाइजीरिया (Nigeria) और बेनिन (Benin) के योरूबा (Yoruba) द्वारा बताई गई कहानियों के एक चक्र में‚ मुसीबत में पड़ जाता है। नाइजीरिया के इग्बो (Igbo) लोगों के बीच की लोककथाओं में “एमबी नवा अनीगा” (“Mbe Nwa Aniga”) अर्थात “एनीगा का कछुआ पुत्र” (“Tortoise son of Aniga”) के रूप में‚ उन्हें एक धीमें लेकिन चालाक आपरेटर के रूप में दर्शाया गया है‚ जो हर मुश्किल स्थिति से बाहर निकलने में सक्षम है। प्राचीन मेसोपोटामिया (Mesopotamia) में‚ कछुआ भगवान एनकी (Enki) के साथ जुड़ा हुआ था और कुदुरस (kudurrus) पर एन्की के प्रतीकों में से एक के रूप में इस्तेमाल किया गया था। कुदुरस एक प्रकार का पत्थर का दस्तावेज था‚ जिसका उपयोग सीमा पत्थर के रूप में किया जाता था। ‘निनुर्टा और कछुआ’ (Ninurta and the Turtle) मिथक में‚ एनकी ने एक विशाल कछुआ बनाया और उसे निनुर्टा के पीछे छोड़ कर‚ भगवान निनुर्टा द्वारा पूर्ण शक्ति को जब्त करने के प्रयास को विफल कर दिया। संघर्ष के दौरान‚ कछुआ अपने पंजों से एक गड्ढा खोदता है‚ जिसमें वे दोनों गिर जाते हैं। ईसप (Aesop’s) की दंतकथाओं में से एक ‘कछुआ और खरगोश’ (The Tortoise and the Hare) है। ईसप एक ग्रीक (Greek) मिथ्यावादी और कहानीकार थे जिन्हें कई दंतकथाओं का श्रेय दिया जाता है। कछुआ उसी नाम से द्वीप पर प्राचीन यूनानी (Greek) शहर एजिना (Aegina) का प्रतीक था‚ तथा शहर की मुहर और सिक्कों पर भी कछुओं की छवियां पाई जाती थी। चेलोनियन (Chelonian) शब्द ग्रीक चेलोन (Chelone) से आया है‚ जो एक कछुआ देवता है। कछुआ ग्रीक और रोमन (Roman) काल में उर्वरता का प्रतीक था तथा एफ़्रोडाइट/वीनस (Aphrodite/Venus) का एक गुण था। कहा जाता है कि नाटककार एशिलस (Aeschylus) एक पक्षी द्वारा गिराए गए कछुए द्वारा मारा गया था। मलेशिया (Malaysia) में नारियल के पत्ते से कछुए की तरह दिखने के लिए‚ केतुपत पेन्यु (Ketupat penyu) बनाया जाता है‚ जिसे केतुपत कछुआ (Ketupat turtle) भी कहते हैं। इसका उपयोग मलय पारंपरिक चिकित्सा में भूतों को भगाने की रस्म में किया जाता है। पारंपरिक जापानी (Japanese) मान्यताओं के अनुसार‚ कछुआ अमर और विश्व पर्वत के लिए एक आश्रय स्थल है‚ तथा दीर्घायु‚ सौभाग्य और समर्थन का प्रतीक है। यह समुद्री यात्रा करने वाले लोगों के देवता कोम्पिरा (Kompira) का प्रतीक है। कछुए को पारंपरिक जापानी विवाह समारोहों में भी चित्रित किया जाता है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3HEFwaj
https://bit.ly/3x6asLL
https://bit.ly/3cinmMP

चित्र संदर्भ
1. अपनी पीठ पर चार हाथियों और धरती को टिकाए कछुए को दर्शाता एक चित्रण (reddit)
2. कछुए की विविधताओं को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. कुर्मम (Sri Kurmam) मंदिर‚ को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. श्री यन्त्र को दर्शाता एक चित्रण (amazon)
5. मलेशिया (Malaysia) में नारियल के पत्ते से कछुए की तरह दिखने के लिए‚ केतुपत पेन्यु (Ketupat penyu) बनाया जाता है‚ जिसको दर्शाता एक चित्रण ( VideoHive)