केल्विन-हेल्महोल्ट्ज़ (Kelvin-Helmholtz) अत्यंत दुर्लभ बादल हैं और जब वे बनते हैं तो वे शायद ही कभी कुछ मिनटों से अधिक समय तक रहते हैं।वे केल्विन-हेल्महोल्ट्ज़ अस्थिरता द्वारा बनते हैं, जो कि तब होती है जब एक गति कर रहे तरल पदार्थ पर अपरूपण वेग, (Velocity shear) देखने को मिलता है।दिलचस्प बात यह है कि यह वही प्रभाव है जो शनि ग्रह के चारों ओर घुमावदार तरंगों का कारण बनता है।इसमें कोई शक नहीं है कि यह सबसे खूबसूरत मेघ संरचनाओं में से एक है।यह तब होता है, जब हमारे वायुमंडल में हवा की दो अलग-अलग परतें अलग-अलग गति से चलती हैं।जब हवा की ऊपरी परत निचले स्तर की हवा की तुलना में अधिक गति से आगे बढ़ती है, तब यह मौजूदा क्लाउड परत के शीर्ष कोइन लहरों की तरह लुढ़कने वाली आकृतियों में बदल देती है।केल्विन हेल्महोल्ट्ज़ अस्थिरता एक वैज्ञानिक घटना है जो विशेष रूप से बादलों से जुड़ी नहीं है। यह तब हो सकती है जब दो तरल पदार्थों के बीच के इंटरफेस (Interface) में वेग का अंतर हो। इसका सबसे स्पष्ट उदाहरण पानी के ऊपर बहने वाली हवा है,तेज गति वाली हवा धीमी गति से चलने वाले पानी में लहरें पैदा कर सकती है।