मेरठ की आर्द्रभूमि प्रवासी पक्षियों के स्वागत के लिए कितनी तैयार है?

पक्षी
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मेरठ की आर्द्रभूमि प्रवासी पक्षियों के स्वागत के लिए कितनी तैयार है?

सर्दियाँ शुरू होते ही हमारे मेरठ के नज़दीक स्थित हस्तिनापुर वन्यजीव अभयारण्य, बिजनौर में गंगा बैराज के पास स्थित हैदरपुर आर्द्रभूमि (Haiderpur Wetland) में प्रवासी पक्षियों का आगमन होने लगा है। हर साल, यह आर्द्रभूमि हज़ारों प्रवासी पक्षियों की मेज़बानी करती है। ये पक्षी मध्य एशिया और यूरोप की यात्रा करके यहां प्रजनन करने के लिए पहुंचते हैं और मार्च की शुरुआत में वापस उड़ जाते हैं। हैदरपुर वेटलैंड या आर्द्रभूमि एक यूनेस्को रामसर साइट (UNESCO Ramsar Site) है, जो देश के सबसे बड़े मानव निर्मित आर्द्रभूमियों में से एक है। इसका निर्माण 1984 में मध्य गंगा बैराज के निर्माण के बाद हुआ था। यह आर्द्रभूमि 6,908 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली हुई है, और यहाँ पर पानी, गंगा और उसकी सहायक नदी सोलानी से पहुँचता है। हैदरपुर वेटलैंड को दर्जनों वनस्पतियों और जीवों की समृद्ध विविधता का केंद्र माना जाता है। यहां पर पक्षियों की 300 से अधिक प्रजातियाँ, मछलियों की 40 से अधिक और 10 से अधिक स्तनधारी प्रजातियाँ देखी जा सकती हैं। जिनमें से कई विश्व स्तर पर खतरे का सामना कर रही हैं। यहां पर आमतौर पर देखी जाने वाली पक्षी प्रजातियों में तीतर, बटेर, मोर, कबूतर, बाज़, सारस, चील, उल्लू, सफेद गिद्ध, कोयल और बुलबुल शामिल हैं। आर्द्रभूमि में बहुतायत में पाई जाने वाली अन्य पक्षी प्रजातियों में किंगफिशर (Kingfisher), मैना, रेड-वेंटेड बुलबुल (Red-vented Bulbul), गौरैया और बया बुनकर (Baya Weaver) भी शामिल हैं। आर्द्रभूमि और आसपास के अभयारण्य क्षेत्र में तेंदुए, जंगली बिल्लियाँ, बंदर, लोमड़ी, भेड़िये, नीलगाय, सियार, नेवले, हनी बेजर, बारासिंघा, जंगली सूअर, खरगोश, कस्तूरी और चमगादड़ जैसे स्तनधारी भी देखे जा सकते हैं। मॉनिटर छिपकली, अजगर, भारतीय कोबरा, क्रेट और वाइपर जैसे सरीसृप भी यहां पर बड़ी संख्या में पाए जाते हैं। इसके अलावा हैदरपुर वेटलैंड गंभीर रूप से लुप्तप्राय घड़ियाल (गेवियलिस गैंगेटिकस (Gavialis Gangeticus) और कई संकटग्रस्त उभयचर प्रजातियों की एक महत्वपूर्ण आबादी का भी घर है।
यह विविध आवास विश्व स्तर पर 15 से अधिक संकटग्रस्त प्रजातियों को संरक्षण देता है, जिनमें गंभीर रूप से लुप्तप्राय घड़ियाल, लुप्तप्राय हॉग हिरण (Endangered Hog Deer), ब्लैक-बेलीड टर्न (Black-Bellied tern), स्टेपी ईगल (Steppe Eagle), इंडियन स्कीमर और गोल्डन महासीर (Indian Skimmer And Golden Mahseer) जैसी प्रजातियाँ भी शामिल हैं। यह आर्द्रभूमि 25,000 से अधिक जलपक्षियों को भी आश्रय देती है। ग्रेलैग और बार-हेडेड गीज़ (greylag and bar-headed geese) की 1% से अधिक आबादी यही पर पाई जाती है। हैदरपुर वेटलैंड में आनेवाले प्रवासी पक्षी मध्य एशिया और यूरोप जैसे सुदूर स्थानों से आते हैं और मार्च की शुरुआत तक प्रजनन के लिए यहां रहते हैं। हालाँकि, यहां पर पक्षियों की संख्या अभी भी कम ही है, क्योंकि वे आमतौर पर साल के अंत तक बड़ी संख्या में आते हैं। वन विभाग के अधिकारी उन जल निकायों पर नज़र रख रहे हैं, जहां पक्षी घोंसला बनाते हैं और भोजन करते हैं।
बिजनौर जिले में गंगा और उसकी सहायक नदियों के साथ-साथ झीलों, तालाबों और दलदली आर्द्रभूमि सहित कई नदियाँ हैं, जो इसे विभिन्न प्रकार के पक्षियों के लिए एक आदर्श निवास स्थान बनाती हैं। बिजनौर के जिलाधिकारी रहे उमेश मिश्रा ने नदियों और झीलों के किनारे रहने वाले ग्रामीणों से अपने खेतों में कीटनाशकों का उपयोग करने से बचने और पक्षियों के लिए एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करने का आग्रह किया था। वन अधिकारियों ने किसी भी अवैध शिकार गतिविधियों को रोकने के लिए तटीय क्षेत्रों में मुखबिर भी तैनात किए हैं। यहां पर हजारों प्रवासी पक्षियों का आना शुरू भी हो गया है, लेकिन उनके आगमन से पहले ही यहां पर मौजूद अधिकांश दलदल सूख गए हैं, जिसके कारण डर है कि ये पक्षी किसी वैकल्पिक निवास स्थान की ओर भी उड़ सकते हैं। पक्षी पर्यवेक्षकों के अनुसार स्थानीय किसानों द्वारा कृषि गतिविधियों के कारण दलदल और आर्द्रभूमि सूख गई है। "पिछले साल यहां पर लगभग 20,000 पक्षी दर्ज किये गए थे। हालांकि इस साल पानी न मिलने पर यही मेहमान पक्षी निश्चित रूप से वैकल्पिक आवास की तलाश कर सकते हैं।" हालांकि यदि आर्द्रभूमि में पानी कम हो गया है, तो प्रवासी पक्षियों के आने से पहले इसे प्रबंधकों द्वारा मैन्युअल (Manual) रूप से भरा जा सकता है। हमारे मेरठ के निकट हस्तिनापुर में भी वेटलैंड का लगभग 99.9% हिस्सा निजी किसानों का है। उस क्षेत्र के किसानों को भूमि पर खेती करने का अधिकार है। आर्द्रभूमि की बेहतर सुरक्षा और संरक्षण के लिए, सरकार को किसानों से निजी भूमि का अधिग्रहण करने की आवश्यकता है। पूरा भारत पहले से ही पक्षियों की संख्या में उल्लेखनीय गिरावट का सामना कर रहा है, जिससे इनकी जनसंख्या की गतिशीलता में क्रमिक बदलाव का पता चलता है।
अगस्त 2023 में स्टेट ऑफ इंडियन बर्ड्स (State of Indian Birds) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 60% पक्षी प्रजातियों की संख्या में दीर्घकालिक गिरावट दर्ज की जा रही है, जबकि उनमें से 40% की संख्या में हाल के वर्षों से गिरावट आ रही है। भारत में अब 178 पक्षी प्रजातियों को "उच्च संरक्षण प्राथमिकता" के रूप में वर्गीकृत किया गया है। संख्या में सबसे तेज़ गिरावट तथाकथित खुले पारिस्थितिक तंत्र या आवासों में पाई जाने वाली प्रजातियों में हुई है, जिन्हें आमतौर पर कोई सुरक्षा नहीं मिलती है। बड़ी चिंता की बात यह है कि लंबी दूरी के प्रवासियों की संख्या में 50% की गिरावट आई है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/3j5sze7x
https://tinyurl.com/2fw4m727
https://tinyurl.com/27m489ey
https://tinyurl.com/bde5y57y

चित्र संदर्भ

1. आर्द्रभूमि को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. हैदरपुर आर्द्रभूमि को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
3. हैदरपुर आर्द्रभूमि में एक प्रवासी पक्षी संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
4. धूप सेकते घड़ियाल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. हैदरपुर आर्द्रभूमि में रूडी शेल्डक को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
6. आर्द्रभूमि के निकट हो रही खेती को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)