हर मौसम और हालात में, पनप जाते हैं पौधे, आखिर कैसे ?

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हर मौसम और हालात में, पनप जाते हैं पौधे, आखिर कैसे ?

इंसानों की तरह, पौधों को भी अत्यधिक गर्मी और लंबे समय तक चलने वाले सूखे के कारण, कई तरह की परेशानियाँ झेलनी पड़ती हैं। हालाँकि इन कठिनाइयों से निपटने के लिए, पौधों ने अपनी अनूठी रणनीतियाँ विकसित की हैं। उदाहरण के तौर पर, पानी खोजने के लिए, पौधों की जड़ें, मिट्टी में गहराई तक पहुंचती हैं। इनकी विशेष पत्तियाँ, नमी को संरक्षित करने में मदद करती हैं। पौधे कठिन वातावरण में पोषक तत्व प्राप्त करने और अत्यधिक तापमान सहने में भी सक्षम होते हैं। यह उनकी अनुकूलन क्षमता और प्रकृति की रचनात्मकता का प्रमाण है। यही कारण है कि, पौधे मुश्किल हालातों में भी न केवल जीवित रहते हैं, बल्कि पनपते भी हैं।
आज, के इस लेख में, हम जानेंगे कि, अलग-अलग वातावरण में भी पौधे कैसे जीवित रह पाते हैं। साथ ही, हम यह भी जानेंगे कि पौधे मिट्टी से खनिज पोषक तत्व कैसे ग्रहण करते हैं। अंत में, हम उन रणनीतियों की भी बात करेंगे, जिनका उपयोग पौधे पानी को संरक्षित करने के लिए करते हैं।

रेगिस्तानी इलाकों में स्थितियाँ बहुत कठिन होती हैं। यहाँ धूप बहुत तेज़, अत्यधिक गर्मी और पानी बहुत कम होता है। आपने ध्यान दिया होगा कि, इन जगहों पर, कैक्टस और रसीले पौधे उगते हैं। ये पौधे, पानी बचाने और कठिन परिस्थितियों में भी जीवित रहने के लिए अनुकूल हो गए हैं। इनके तने और पत्तियाँ मोटी होती हैं, जो पानी को संग्रहित करने में मदद करती हैं। इन पौधों में रंध्र भी कम होते हैं। इससे इनकी पत्तियों से पानी का नुकसान भी बहुत कम होता है।
कुछ पौधे, क्रैसुलेसियन एसिड मेटाबॉलिज़्म (Crassulacean Acid Metabolism) या सी ए एम (CAM) प्रकाश संश्लेषण का उपयोग करते हैं। यह पानी बचाने का एक अनोखा तरीका होता है। इन पौधों के रंध्र रात में खुलते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान, पौधे रात में कार्बन डाईऑक्साइड
(CO₂) लेते हैं। दिन में वही CO₂ प्रकाश संश्लेषण के लिए उपयोग की जाती है। इस प्रकार, यह विधि पानी की कमी को कम करती है।
रेगिस्तान के विपरीत, अल्पाइन क्षेत्रों में ठंड बहुत अधिक होती है। यहाँ 
यू वी (UV) किरणें तीव्र होती हैं, और पौधों को बढ़ने के लिए बहुत कम समय मिलता है। हालांकि इन क्षेत्रों के पौधों ने भी इन कठिन परिस्थितियों से निपटने के अपने तरीके विकसित किए हैं। कई पौधे कुशन या रोसेट के आकार में उगते हैं। यह आकार उन्हें हवा से बचाता है और गर्म रखता है।
ये पौधे, ठंड में भी प्रकाश संश्लेषण कर सकते हैं। इनके अंदर एंथोसायनिन (anthocyanin) जैसे रंगद्रव्य होते हैं। ये रंगद्रव्य, यू वी किरणों से इनका बचाव करते हैं और पौधों को जीवित रहने में मदद करते हैं।

ज़मीन के अलावा कुछ पौधे, पानी में भी आसानी से उग जाते हैं! जलीय पौधे उन जगहों पर उगते हैं, जहाँ पानी बहुत अधिक होता है। लेकिन, उन्हें भी कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन्हें ऑक्सीजन (Oxygen), प्रकाश और पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। इन पौधों में एरेनकाइमा (Aerenchyma) नामक विशेष ऊतक होता है। यह ऊतक पानी के भीतर सांस लेने में मदद करता है।
कई जलीय पौधों की पत्तियाँ तैरती हैं। इन पत्तियों के ऊपरी हिस्से में रंध्र होते हैं। यह व्यवस्था गैस विनिमय को आसान बनाती है। इनके निचले पत्ते पानी के भीतर रहते हैं। इसलिए, ऊपरी हिस्सा हवा और प्रकाश के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है

आइए अब जानते हैं कि पौधे अपनी जड़ों के माध्यम से मिट्टी से पोषक तत्व कैसे लेते हैं?
मिट्टी से पोषण लेने के लिए पौधे अपनी जड़ों की झिल्लियों में प्रोटॉन पंप (protons pump), धनायन चैनल ( cation channels) और आयन सह-ट्रांसपोर्टर चैनल ( anion cotransporter channels) का उपयोग करते हैं। इनकी जड़ों के रोम में प्रोटॉन पंप होते हैं। ये पंप कोशिकाओं से प्रोटॉन को मिट्टी में धकेलने के लिए ए टी पी (ATP) की ऊर्जा का उपयोग करते हैं। यह प्रक्रिया, प्रोटॉन के प्राकृतिक प्रवाह के विपरीत होती है। जब प्रोटॉन मिट्टी में जाते हैं, तो कोशिका के बाहर एक मज़बूत विद्युत आवेश बनता है। इसके विपरीत, कोशिका के अंदर प्रोटॉन की संख्या कम होती है, जिससे वह ऋणात्मक रूप से आवेशित हो जाती है।
मिट्टी में मौजूद ये प्रोटॉन दो मुख्य कार्य करते हैं:
धनायन को मुक्त करना: प्रोटॉन, मिट्टी से चिपकते हैं। इस प्रक्रिया में अन्य सकारात्मक पोषक तत्व, जिन्हें धनायन (Cation) कहा जाता है, मुक्त हो जाते हैं। ये धनायन जड़ों के रोमों में विशेष चैनलों के माध्यम से प्रवेश करते हैं। मिट्टी में अधिक धनात्मक आवेश होने के कारण धनायनों का जड़ों में जाना आसान हो जाता है।
ऋणायन को जड़ों में लाना: मिट्टी में प्रोटॉन की अधिक संख्या जड़ों के रोम में उनके वापस आने को आसान बनाती है। पौधे, इस गति का उपयोग करते हैं। प्रोटॉन की मदद से नकारात्मक पोषक तत्व, जिन्हें ऋणायन कहा जाता है, भी जड़ों में पहुंचते हैं। यह प्रक्रिया सहपरिवहन चैनलों के माध्यम से होती है। हालांकि, ऋणायनों के लिए मिट्टी छोड़ना कठिन होता है, लेकिन प्रोटॉन उन्हें जड़ों तक खींचने में सहायक होते हैं। इस तरह, पौधे मिट्टी से खनिज पोषक तत्वों को अवशोषित करते हैं और उनका उपयोग अपने विकास में करते हैं।

पौधे पानी कैसे बचाते हैं?
कई पौधों की पत्तियाँ, छोटी होती हैं। कभी-कभी ये पत्तियाँ काँटों में बदल जाती हैं। इस बदलाव के कारण पौधों के भीतर से पानी का बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। कुछ पौधों की पत्तियों पर मोटी परत होती है। इस परत को क्यूटिकल (cuticle) कहा जाता है। यह परत पानी को बाहर निकलने से रोकती है।
कुछ पौधों में छोटे-छोटे छिद्र होते हैं। इन्हें स्टोमेटा (stomata) कहा जाता है। ये छिद्र केवल पत्तियों के निचले हिस्से में होते हैं। कभी-कभी ये छिद्र अंदर धँसे होते हैं। इससे पानी बचाने में मदद मिलती है।
रसीले पौधे, अपने मोटे और मांसल भागों में पानी जमा करते हैं। वे अपनी पत्तियों, तनों, या जड़ों में पानी संग्रहित करते हैं। इससे ये, सूखी जगहों पर भी जीवित रह सकते हैं। कुछ पौधे, एक विशेष प्रक्रिया अपनाते हैं। इसे “क्रैसुलेसियन एसिड मेटाबॉलिज़्म" (Crassulacean Acid Metabolism) कहा जाता है। ये पौधे, दिन में अपने स्टोमेटा बंद रखते हैं। रात में कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon dioxide) लेने के लिए इन्हें खोलते हैं। यह गैस, दिन में प्रकाश संश्लेषण के लिए उपयोग होती है। इस प्रक्रिया से पानी का कम उपयोग होता है।

संदर्भ 
https://tinyurl.com/26bwfcze
https://tinyurl.com/268weeyy
https://tinyurl.com/2bwdyb44

चित्र संदर्भ

1. युक्का ब्रेविफ़ोलिया (Yucca brevifolia) के एक पेड़ को संदर्भित करता एक चित्रण (pexels)
2. एगेव (Agave) नामक एक पौधे की पत्ती में हो रहे क्रैसुलेसियन एसिड मेटाबॉलिज़्म (Crassulacean acid metabolism) को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. विभिन्न फूलों के रंग द्रव्यों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. पेड़ की जड़ों को दर्शाते एक आरेख को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. रंध्र अर्थात स्टोमेटा (Stomata) को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)