कैसे रामपुर के इलेक्ट्रिक वाहन, भारत की बढ़ती लिथियम बैटरियों की मांग में हिस्सेदार हैं ?

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कैसे रामपुर के इलेक्ट्रिक वाहन, भारत की बढ़ती लिथियम बैटरियों की मांग में हिस्सेदार हैं ?

2024 तक, भारत में 5.6 मिलियन से अधिक इलेक्ट्रिक वाहन (Electric vehicles) थे। हमारे शहर रामपुर का भी, इस आंकड़े में योगदान है। इस कारण, वित्त वर्ष 2024 में भारत में इलेक्ट्रिक वाहन एवं उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स से, लिथियम आयन बैटरी (Lithium-ion battery) हेतु 15 गीगा वॉट आर (GWh) भंडारण की मांग थी। यह मांग, 2027 तक 54 गीगा वॉट आर(घंटा) तक पहुंचने की उम्मीद है। वर्तमान में, भारत, लिथियम आयन  बैटरियों की अपनी पूरी आवश्यकता का आयात करता है। तो आज, आइए यह समझने की कोशिश करें कि, भारत कहां से एवं कितना लिथियम आयात करता है। उसके बाद, हम दुनिया के सबसे अधिक लिथियम समृद्ध देशों की खोज करेंगे। इसके अलावा, हम भारत में बैटरी सेल निर्माण में आने वाली कुछ सबसे बड़ी चुनौतियों पर प्रकाश डालेंगे। हम अपने देश में लिथियम बैटरी उत्पादन को बढ़ाने के लिए उठाए जा रहे महत्वपूर्ण कदमों के बारे में भी बात करेंगे। अंत में, हम भारत की अर्थव्यवस्था और स्थिरता लक्ष्यों पर लिथियम आयन बैटरी पुनर्चक्रण के प्रभाव का पता लगाएंगे।

लैपटॉप में प्रयोग होने वाली लीथियम-आयन बैटरी | चित्र स्रोत : Wikimedia

 भारत कहां से एवं कितना लिथियम आयात करता है ? 

भारत की लिथियम आवश्यकताओं को मुख्य रूप से आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है। हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा संसाधित लिथियम आयातक है, जिसमें से अधिकांश धातु हांगकांग (Hong Kong) और चीन(China) से आ रहा है। भारत ने 2020-2021 के दौरान 722.5 मिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक लिथियम का आयात किया था।  हमारा देश, दुनिया के सबसे बड़े लिथियम आयन बैटरी आयातकों में से भी एक है। भारत उन्हें चीन, जापान (Japan) और दक्षिण कोरिया (South Korea) से आयात करता है। 2022 में, इसने  1.8 बिलियन अमरीकी डॉलर के मूल्य की, लिथियम आयन बैटरी की 617 मिलियन यूनिट्स   आयात की  थीं।

किन देशों में, दुनिया में सबसे बड़ा लिथियम भंडार है?

ऑस्ट्रेलिया (Australia) में 6.2 मिलियन टन लिथियम और 61 हज़ार मेट्रिक टन उत्पादन क्षमता के साथ, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा भंडार है। दक्षिण-पश्चिम दक्षिण अमेरिका (South America) में दुनिया के सबसे बड़े लिथियम भंडार हैं, जो चिली (Chile), अर्जेंटीना (Argentina) और बोलीविया (Bolivia) देशों के बीच वितरित हैं। चिली में 9.3 मिलियन मेट्रिक टन  के साथ, दूसरा सबसे बड़ा लिथियम भंडार है।  दूसरी तरफ़, विभिन्न सामाजिक-राजनीतिक और पर्यावरणीय चुनौतियों के कारण, बोलीविया, 23 मिलियन मेट्रिक टन लिथियम भंडार के साथ, दुनिया के सबसे बड़े भंडार का लाभ नहीं उठा सका। साथ ही, अर्जेंटीना 6,200 मेट्रिक टन लिथियम का उत्पादन करता है, और इसमें 2.7 मिलियन टन धातु के साथ चौथा सबसे बड़ा भंडार है।

बाएँ: AA एल्कलाइन बैटरी। दाएँ: 18650 लिथियम आयन बैटरी | चित्र स्रोत : Wikimedia 

भारत में बैटरी सेल निर्माण में चुनौतियां:

1.) आपूर्ति श्रृंखला की अड़चनें:

भारत में बैटरी उत्पादन के लिए आवश्यक लिथियम, कोबाल्ट (Cobalt) और निकेल (Nickel) जैसे प्रमुख खनिजों के पर्याप्त भंडार का अभाव है। हालांकि हमने हाल ही में जम्मू और कश्मीर में लिथियम भंडार की खोज की है, लेकिन  इसके खनन में समय लगेगा।

2.) तकनीकी अंतराल: 

भारत, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे वैश्विक लिथियम संसाधकों की तुलना में, अनुसंधान और विकास में एक महत्वपूर्ण अंतराल का सामना करता है। 

3.) बुनियादी ढांचे की कमी: 

बड़े पैमाने पर बैटरी निर्माण के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा, जिसमें स्थिर बिजली की आपूर्ति, उन्नत उत्पादन सुविधाएं और कुशल लॉजिस्टिक्स नेटवर्क शामिल हैं, अभी भी भारत में विकसित हो रहा है। 

4.) आर्थिक बाधाएं: 

बड़े पैमाने पर बैटरी निर्माण परियोजनाओं के लिए, पर्याप्त धन प्राप्त करना भी एक महत्वपूर्ण बाधा बनी हुई है। अनिश्चित मुनाफ़े के साथ, उच्च पूंजीगत व्यय, संभावित निवेशकों को रोकते  हैं। सरकारी प्रोत्साहन, सब्सिडी, और सार्वजनिक-निजी भागीदारी, वित्तीय बाधाओं को कम करने और इस उद्योग के विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

बोलिविया के उयूनी साल्ट फ़्लैट में लिथियम खदान | चित्र स्रोत : Wikimedia

भारत में लिथियम आयन बैटरी उत्पादन बढ़ाने के लिए कौन से कदम उठाए जा रहे हैं?

2023 में झारखंड, राजस्थान एवं जम्मू और कश्मीर में हुई नए लिथियम भंडार की खोज ने, सरकारी और निजी हितधारकों का ध्यान आकर्षित किया है। इन भंडारों का लाभ उठाने के लिए, सरकार ने खनन प्रक्रिया को आसान बनाकर, लिथियम खानों की नीलामी की अनुमति दी है।

सरकार ने हाल ही में, खनिजों की खोज का समर्थन करने हेतु, सार्वजनिक और निजी कंपनियों के लिए अनुमोदित परियोजना लागत में 25% प्रोत्साहन की घोषणा की। सरकार लिथियम सहित, चार महत्वपूर्ण खनिजों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने पर भी विचार कर रही है।

भारत ने उन्नत रसायन विज्ञान कोशिकाओं को विकसित करने के लिए, 18,000 करोड़ रुपये के साथ एक उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन योजना (PLI (Production Linked Incentive)) का विस्तार किया है। इस निर्णय ने ओला इलेक्ट्रिक (Ola Electric) और रिलायंस न्यू एनर्जी (Reliance New Energy) जैसे कई घरेलू निजी हितधारकों को आकर्षित किया है।

निसान लीफ़ का लिथियम-आयन बैटरी पैक | चित्र स्रोत : Wikimedia 

भारत की अर्थव्यवस्था और स्थिरता लक्ष्यों पर, लिथियम आयन बैटरी पुनर्चक्रण के प्रभावों की खोज:

2030 तक, भारत का लक्ष्य 30% निजी और 70% वाणिज्यिक वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलना है, जिससे लिथियम आयन बैटरी पुनर्चक्रण में वृद्धि हुई है।  

पर्यावरणीय लाभों से परे, लिथियम आयन बैटरी पुनर्चक्रण, भारत की हरित अर्थव्यवस्था के लिए पर्याप्त आर्थिक लाभ रखता है। यह प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण  ; ई-कचरे के हानिकारक पर्यावरणीय प्रभाव को कम  और व्यापक खनन तथा कच्चे माल के शोषण को भी कम करता है। इन बैटरियों का पुनर्चक्रण, नए नौकरी के अवसर तथा नवाचार और आर्थिक विकास को बढ़ावा भी देता है।

एक सामान्य अनुमान के अनुसार, भारत में 2022-30 तक सभी खंडों में, लिथियम आयन बैटरी की संचयी क्षमता लगभग 600 गीगा वॉट आर है। 

संदर्भ:

https://tinyurl.com/5cf98x8j

https://tinyurl.com/yp8bm29t

https://tinyurl.com/ahtr5sca

https://tinyurl.com/2vr4hj9y

मुख्य चित्र: स्विगी के डिलीवरी राइडर द्वारा ई-बाइक के लिए बैटरी बदलने का दृश्य (Wikimedia)