रामपुर और सर्प जागरूकता: सांपों के विष का जीवन रक्षक महत्त्व

रेंगने वाले जीव
10-06-2025 09:20 AM
रामपुर और सर्प जागरूकता: सांपों के विष का जीवन रक्षक महत्त्व

भारत में सांपों के प्रति धारणा अक्सर भय और अंधविश्वास पर आधारित रही है। ग्रामीण इलाकों में, विशेष रूप से कृषि प्रधान क्षेत्रों में, जहां लोग खेतों में काम करते हैं, वहां सांपों से जुड़ी घटनाएँ सामान्य हैं। सांपों का डर तो स्वाभाविक है, लेकिन सांपों की उपेक्षा या उनके महत्व को नकारना भी नुकसानदायक हो सकता है। एक ओर जहां सांपों के काटने से हर वर्ष हजारों लोगों की जान जाती है, वहीं दूसरी ओर, यही सांप चिकित्सा विज्ञान में अमूल्य योगदान भी देते हैं। सांपों का विष कई घातक बीमारियों के इलाज के लिए औषधीय दृष्टि से बहुमूल्य सिद्ध हो रहा है।
आज हम विस्तार से समझेंगे कि किस प्रकार सांपों की उपस्थिति विशेष रूप से कृषि क्षेत्रों में समस्या बनती है, और कैसे जागरूकता इस खतरे को कम कर सकती है। फिर हम जानेंगे कि सांपों का विष औषधीय दृष्टि से किस तरह जीवनदायी बनता है और दुनियाभर में स्नेक फार्मिंग के माध्यम से कैसे एक बड़ा व्यवसाय विकसित हुआ है। इसके बाद भारत में सांप पालन के प्रयासों पर नज़र डालेंगे, और अंत में चर्चा करेंगे कि किस प्रकार सर्पदंश से बचाव के उपाय और शिक्षा हमें मानव-सांप सहअस्तित्व की ओर ले जा सकते हैं।

कृषि योग्य भूमि में सांपों की उपस्थिति और जागरूकता का महत्व

रामपुर जैसे जिले, जहां कृषि योग्य भूमि अधिक है, सांपों के लिए आदर्श स्थान बन जाते हैं। खेतों में काम करते समय अक्सर किसान अनजाने में सांपों के संपर्क में आ जाते हैं, जिससे सर्पदंश की घटनाएँ बढ़ जाती हैं। भारत में हर वर्ष अनुमानित 30–40 लाख सर्पदंश होते हैं, जिनमें से लगभग 50,000 मौतें होती हैं — जो वैश्विक सर्पदंश मृत्यु दर का लगभग आधा हिस्सा है।
वन क्षेत्रों के घटने से सांप भोजन और आवास की तलाश में मानव बस्तियों के नज़दीक आते हैं। गर्मियों में ये प्राणी अक्सर नदियों, तालाबों या कुओं के ठंडे स्थानों में शरण लेते हैं। इतना ही नहीं, कुछ पौधों की सुगंध भी सांपों को आकर्षित कर सकती है, जैसे केला, चमेली और चंदन आदि।
उत्तर प्रदेश में भी सर्पदंश एक गंभीर समस्या बन चुकी है। 2018 से 2023 के बीच राज्य में 3,415 मौतें दर्ज की गई हैं। सोनभद्र, फतेहपुर और बाराबंकी जैसे जिले सर्पदंश हॉटस्पॉट माने जाते हैं। किसानों, मजदूरों और पशुपालकों जैसे समूह इस खतरे के प्रति अधिक संवेदनशील हैं।
सर्पदंश के बाद शुरुआती लक्षणों में मतली, उल्टी, बेहोशी, दिल की तेज धड़कन और त्वचा का ठंडा पड़ना शामिल हैं। विषैले और गैर-विषैले सांपों के बीच पहचान करना हर किसी के लिए आसान नहीं है, इसलिए हर सर्पदंश को विषैला मानकर उपचार करना चाहिए। त्वरित प्राथमिक उपचार और शीघ्र चिकित्सा सहायता मृत्यु दर को कम करने में सहायक हो सकते हैं।

सांपों का विष: जीवनरक्षक और व्यावसायिक अवसर

सांपों का ज़हर, जिसे हम केवल घातक समझते हैं, वास्तव में चिकित्सा के क्षेत्र में वरदान बन रहा है। साँपों के विष का उपयोग न केवल एंटीवेनम (Anti-venom) बनाने में होता है, बल्कि यह कई गंभीर बीमारियों के उपचार में भी काम आता है। आज विश्वभर में स्नेक फ़ार्म (Snake Farm) की अवधारणा प्रचलित हो चुकी है, जहां सांपों को अनुसंधान और औषधि निर्माण के लिए पाला जाता है।
थाईलैंड, चीन, अमेरिका और ब्राजील जैसे देशों में बड़ी संख्या में स्नेक फ़ार्म मौजूद हैं। चीन के ज़िसीकियाओ गाँव, जिसे "स्नेक विलेज" कहा जाता है, में लगभग 800 लोग सांप पालन के व्यवसाय से जुड़े हैं। यहाँ हर साल लगभग 3 मिलियन सांपों का उत्पादन होता है। इस क्षेत्र के लोग सांपों के व्यापार से करोड़ों डॉलर की आय अर्जित करते हैं।
चीन में सांपों को भोजन और शराब बनाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है, जबकि चिकित्सा क्षेत्र में उनके विष से रीढ़ की हड्डी, हृदय रोग और अन्य जटिल रोगों की औषधियाँ तैयार की जाती हैं। एक ग्राम सांप का जहर $450-$750 डॉलर तक बिक सकता है।
भारत में भी झारखंड के कुचाई क्षेत्र में सांप फार्मिंग की पहल की गई है। यहाँ के युवा एन.के. सिंह द्वारा संचालित फार्म में कोबरा और अन्य जहरीले सांप रखे जाते हैं, जिनके विष से दवा निर्माण किया जाता है। हालाँकि भारत में सांपों का व्यापार सख्त नियमों और पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति के अधीन है, फिर भी चिकित्सा क्षेत्र में इसका भविष्य उज्जवल माना जा रहा है।

सर्पदंश से बचाव और जागरूकता की दिशा में आवश्यक कदम

सांपों के प्रति जागरूकता बढ़ाना न केवल मानव जीवन की रक्षा कर सकता है, बल्कि सांपों के महत्व को समझने में भी मदद कर सकता है। गाँवों और खेतों में काम करने वाले लोगों के लिए सर्पदंश से बचाव के उपायों का प्रशिक्षण जरूरी है। साथ ही, सरकार को चाहिए कि वह सर्पदंश के इलाज के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर पर्याप्त एंटीवेनम और प्रशिक्षित कर्मियों की उपलब्धता सुनिश्चित करे।
सांपों के बारे में सही जानकारी फैलाकर, हम भय और अंधविश्वास को कम कर सकते हैं। साथ ही, हम सांपों के विष के औषधीय और व्यावसायिक महत्व को भी पहचान सकते हैं, जो न केवल स्वास्थ्य सेवा में योगदान दे रहा है, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा कर रहा है
 

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