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रामपुरवासियो, आपने अक्सर "ओजोन परत" (Ozone Layer) का नाम सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह दरअसल क्या है और हमारे जीवन में इसका क्या महत्व है? ओजोन कोई साधारण तत्व नहीं, बल्कि ऑक्सीजन (Oxygen) का ही एक विशेष रूप है, जो हमारी धरती के वातावरण में मौजूद रहता है। यह हमारी ज़िंदगी के लिए वरदान भी है और अभिशाप भी, यह इस बात पर निर्भर करता है कि यह कहाँ मौजूद है। समताप मंडल (Stratosphere) में बनी ओजोन परत हमें सूर्य की खतरनाक पराबैंगनी (UV) किरणों से बचाती है, जो त्वचा, आँखों और यहाँ तक कि पौधों और जानवरों को भी नुकसान पहुँचा सकती हैं। लेकिन जब यही ओजोन ज़मीन के पास (Troposphere) बनती है, तो यह हमारे फेफड़ों, खेतों और पेड़-पौधों के लिए ज़हरीली साबित होती है। यही कारण है कि इसे "अच्छी" और "खराब" ओजोन कहा जाता है। आज प्रदूषण और पर्यावरणीय बदलावों के चलते ओजोन का संतुलन बिगड़ रहा है। ऐसे में ज़रूरी है कि हम समझें कि ओजोन आखिर है क्या, इसका हमारे जीवन से क्या रिश्ता है, और इसे सुरक्षित रखना क्यों बेहद आवश्यक है। आपने "विश्व ओजोन दिवस" (World Ozone Day) का नाम ज़रूर सुना होगा, लेकिन क्या कभी सोचा है कि यह दिन मनाने की ज़रूरत क्यों पड़ी? दरअसल, ओजोन (O₃) हमारे वातावरण का वह हिस्सा है, जो हमारी ज़िंदगी के लिए ढाल की तरह काम करता है। यह हमें सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों से बचाता है, जो अगर सीधे हम तक पहुँच जाएँ, तो त्वचा कैंसर (skin cancer) से लेकर आँखों की बीमारियों और यहाँ तक कि पूरी पारिस्थितिकी पर बुरा असर डाल सकती हैं। विश्व ओजोन दिवस हमें यही याद दिलाता है कि प्रकृति ने हमें यह अनमोल सुरक्षा परत दी है और इसे बचाना हमारी ज़िम्मेदारी है। अगर हम प्रदूषण को कम करने और ऊर्जा का समझदारी से उपयोग करने की आदत डालें, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए धरती को सुरक्षित और जीवनदायी बना सकते हैं।
इस लेख में सबसे पहले हम देखेंगे कि ओजोन की संरचना क्या है और यह किस तरह "खराब" और "लाभकारी" रूपों में पाई जाती है। इसके बाद हम पढ़ेंगे कि समताप मंडलीय ओजोन परत हमें सूर्य की हानिकारक किरणों से कैसे बचाती है और "ओजोन छिद्र" की समस्या क्या है। फिर हम जानेंगे कि प्रदूषण और मौसम की क्या भूमिका है। आगे हम पढ़ेंगे कि अस्वस्थ ओजोन हमारे फेफड़ों, दिल और बच्चों की सेहत पर क्या असर डाल सकती है। इसके बाद हम देखेंगे कि इसका पौधों, वनों और पूरे पारिस्थितिकी तंत्र पर क्या नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अंत में हम चर्चा करेंगे कि ओजोन स्तर को नियंत्रित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानक और व्यक्तिगत प्रयास कैसे काम आते हैं।
ओजोन की संरचना और प्रकार
ओजोन तीन ऑक्सीजन परमाणुओं (O₃) से मिलकर बनी होती है, और यही इसकी सबसे खास पहचान है। साधारण ऑक्सीजन (O₂) हमारी साँसों के लिए ज़रूरी है, लेकिन ओजोन (O₃) की भूमिका थोड़ी अलग और दिलचस्प है। यह हमारे वायुमंडल में दो स्तरों पर पाई जाती है। पहला है समताप मंडल, जहाँ यह "लाभदायक" ओजोन कहलाती है क्योंकि यह हमें हानिकारक किरणों से बचाती है। वहीं, दूसरा स्तर है क्षोभमंडल, जहाँ ओजोन "खराब" रूप में मौजूद होती है। यह सीधे वातावरण में नहीं आती, बल्कि प्रदूषकों की सूर्य के प्रकाश में रासायनिक प्रतिक्रियाओं से बनती है। यही वजह है कि समताप मंडलीय ओजोन धरती को बचाने वाली ढाल बनती है, जबकि क्षोभमंडलीय ओजोन हवा की गुणवत्ता और हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाती है।
ओजोन परत और उसका महत्व
समताप मंडल में लगभग 15–30 किलोमीटर की ऊँचाई पर फैली हुई ओजोन परत धरती की "प्राकृतिक सुरक्षा ढाल" है। यह परत सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों का अधिकांश हिस्सा रोक लेती है, जिससे यह हमारी त्वचा को झुलसने, कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों और आँखों को होने वाले नुकसान से बचाती है। इतना ही नहीं, यह हमारे प्रतिरक्षा तंत्र (Immune System) को भी मजबूत बनाए रखती है। 20वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs) और अन्य रसायनों के अंधाधुंध प्रयोग से इस परत में छेद (Ozone Hole) बनने लगे थे, जिससे पूरी दुनिया चिंतित हो गई थी। परंतु अंतरराष्ट्रीय प्रयासों, जैसे मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल (Montreal Protocol), ने इस संकट को काफी हद तक कम किया है और अब ओजोन परत धीरे-धीरे खुद को पुनः सुधार रही है। यह हम सबको याद दिलाती है कि धरती की रक्षा केवल विज्ञान नहीं, बल्कि हमारी ज़िम्मेदारी भी है।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
जमीनी स्तर पर मौजूद "खराब" ओजोन वास्तव में इंसानों के लिए एक अदृश्य ख़तरा है। जब गर्मी और धूप अधिक होती है, तो इसका स्तर सबसे ज्यादा बढ़ जाता है और हवा का एक ज़हरीला हिस्सा बन जाता है। यह गैस साँस लेने में दिक़्क़त पैदा करती है और अस्थमा (asthma) जैसी बीमारियों के मरीजों के लिए खतरनाक हो सकती है। लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने से फेफड़ों की क्षमता कम हो जाती है, जिससे सांस फूलना, खाँसी और सीने में जकड़न जैसी समस्याएँ आम हो जाती हैं। इसके अलावा यह दिल से जुड़ी बीमारियों के खतरे को भी बढ़ा देती है। बच्चों, बुज़ुर्गों और पहले से बीमार लोगों पर इसका असर सबसे ज़्यादा होता है क्योंकि उनका शरीर प्रदूषण का मुकाबला करने में सक्षम नहीं होता। यही कारण है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी ओजोन को वायु प्रदूषण के गंभीर तत्वों में शामिल किया है।
वनस्पति और पारिस्थितिकी पर प्रभाव
ओजोन केवल मनुष्यों तक ही सीमित नहीं रहती, बल्कि यह पौधों और पूरे पारिस्थितिकी तंत्र पर भी बुरा असर डालती है। जब इसका स्तर ज़्यादा बढ़ जाता है, तो यह पौधों की पत्तियों को नुकसान पहुँचाती है, जिससे उनकी वृद्धि रुक जाती है और उनका भोजन बनाने की प्रक्रिया (Photosynthesis) बाधित होती है। इससे फसलों की पैदावार घट जाती है, खासकर गेहूँ, सोयाबीन, आलू और मक्का जैसी संवेदनशील फसलें सबसे ज़्यादा प्रभावित होती हैं। जंगलों और वनों में पेड़-पौधों की सेहत बिगड़ने से पक्षियों और जानवरों का प्राकृतिक आवास भी असुरक्षित हो जाता है। यदि यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहे तो पारिस्थितिकी का संतुलन बिगड़ सकता है और जैव विविधता (Biodiversity) पर गहरा संकट आ सकता है। यानी खराब ओजोन केवल हवा की समस्या नहीं है, बल्कि यह हमारे भोजन, जंगलों और पूरे जीवन-चक्र को प्रभावित करती है।
नियंत्रण और संरक्षण के उपाय
ओजोन से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए वैश्विक स्तर पर कई कदम उठाए जा चुके हैं। अमेरिका की पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (EPA) और विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसे संस्थान लगातार वायु गुणवत्ता की निगरानी करते हैं और प्रदूषण कम करने के मानक तय करते हैं। व्यक्तिगत स्तर पर भी हम सबकी ज़िम्मेदारी है कि ओजोन को सुरक्षित रखें। इसके लिए हमें ऊर्जा की खपत घटानी होगी - जैसे बिजली के उपकरणों का कम उपयोग, ऊर्जा-कुशल (Energy Efficient) साधनों का प्रयोग और नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) को बढ़ावा देना। गाड़ियों का कम इस्तेमाल, सार्वजनिक परिवहन को अपनाना, पैदल चलना या साइकिल का इस्तेमाल करना छोटे लेकिन कारगर कदम हो सकते हैं। अगर हर व्यक्ति अपने स्तर पर प्रदूषण घटाने की कोशिश करे तो इसका असर पूरे पर्यावरण पर दिखाई देगा। यह समझना होगा कि ओजोन सिर्फ़ एक गैस नहीं, बल्कि हमारी धरती की ढाल है, और इसे बचाना हम सबकी साझा ज़िम्मेदारी है।
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