रामपुर की नई पीढ़ी के लिए ज़रूरी: एककोशिकीय जीवों के रहस्य, जो विज्ञान बदल रहे हैं

कोशिका प्रकार के अनुसार वर्गीकरण
11-09-2025 09:18 AM
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रामपुर की नई पीढ़ी के लिए ज़रूरी: एककोशिकीय जीवों के रहस्य, जो विज्ञान बदल रहे हैं

जीव जगत की विशाल विविधता में एककोशिकीय जीव एक अत्यंत रोचक और महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। ये ऐसे सूक्ष्म जीव होते हैं जिनका पूरा जीवन केवल एक कोशिका पर आधारित होता है, फिर भी यह एक अकेली कोशिका भोजन ग्रहण करने, ऊर्जा उत्पादन, अपशिष्ट निष्कासन, प्रजनन और बाहरी परिस्थितियों के अनुकूलन जैसे सभी आवश्यक कार्य करने में सक्षम होती है। इनका अस्तित्व पृथ्वी पर अरबों वर्षों से चला आ रहा है, और माना जाता है कि जीवन का प्रारंभ भी संभवतः इसी प्रकार के सूक्ष्म, एककोशिकीय रूपों से हुआ था। अमीबा (Amoeba), पैरामीशियम (Paramecium), बैक्टीरिया (Bacteria) और सायनोबैक्टीरिया (Cyanobacteria) इसके प्रमुख उदाहरण हैं, जो न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं बल्कि पारिस्थितिक तंत्र के संचालन में भी अहम भूमिका निभाते हैं।
आज हम विस्तार से जानेंगे कि एककोशिकीय जीव क्या होते हैं और इनका जीव विज्ञान व पारिस्थितिक तंत्र में क्या महत्व है। सबसे पहले, हम एककोशिकीय जीवों की प्रमुख विशेषताओं को समझेंगे और देखेंगे कि ये किस तरह अपनी संरचना के आधार पर जीवन की सभी प्रक्रियाएं संचालित करते हैं। इसके बाद, हम इनके वर्गीकरण के बारे में जानेंगे, जिसमें प्रोकैरियोट्स (prokaryotes) और यूकैरियोट्स (eukaryotes) जैसे प्रमुख समूह शामिल हैं। फिर हम प्रोकैरियोट्स और यूकैरियोट्स के प्रकार और विशेषताओं को विस्तार से देखेंगे, ताकि इनके बीच के अंतर और कार्यप्रणाली स्पष्ट हो सकें। अंत में, हम एककोशिकीय जीवों के पारिस्थितिक और आर्थिक महत्व पर चर्चा करेंगे, जिसमें इनके लाभकारी और हानिकारक दोनों प्रकार के प्रभाव शामिल होंगे।

एककोशिकीय जीवों का परिचय और महत्व
एककोशिकीय जीव वे सूक्ष्म जीव होते हैं जिनका पूरा शरीर केवल एक ही कोशिका से निर्मित होता है, लेकिन यह अकेली कोशिका जीवन के सभी आवश्यक कार्य जैसे श्वसन, पोषण, उत्सर्जन, प्रजनन और गति स्वयं करती है। इन जीवों में अमीबा, पैरामीशियम, बैक्टीरिया, सायनोबैक्टीरिया आदि प्रमुख उदाहरण हैं। आकार में सूक्ष्म होने के बावजूद ये जीव पारिस्थितिक तंत्र के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह पोषण चक्रों को बनाए रखते हैं, मृत कार्बनिक पदार्थों को विघटित करते हैं और खाद्य श्रृंखला के आधार स्तर का निर्माण करते हैं। इन जीवों का अध्ययन चिकित्सा अनुसंधान, जैव प्रौद्योगिकी, पर्यावरण विज्ञान और औद्योगिक माइक्रोबायोलॉजी (microbiology) में अनेक नवाचारों और खोजों का आधार बनता है।

एककोशिकीय जीवों की प्रमुख विशेषताएँ
एककोशिकीय जीवों की सबसे प्रमुख विशेषता उनकी अत्यंत सरल लेकिन पूर्ण और सक्षम संरचना है। इनमें कोशिका झिल्ली (cell membrane) बाहरी आवरण का कार्य करती है, साइटोप्लाज्म (cytoplasm) में विभिन्न जैव-रासायनिक प्रतिक्रियाएं होती हैं, और डीएनए (DNA) या आरएनए (RNA) के रूप में आनुवंशिक पदार्थ मौजूद रहता है, जो वंशानुगत लक्षणों का वाहक होता है। ये प्रजनन अधिकतर अलैंगिक तरीकों से करते हैं, जैसे द्विखंडन (binary fission), कलिका निर्माण (budding) या बहुखंडन (multiple fission), हालांकि कुछ विशेष परिस्थितियों में यौन प्रजनन भी देखा गया है। इनकी अनुकूलन क्षमता अद्भुत होती है, यह मीठे और खारे पानी, मिट्टी, वायु, जानवरों और पौधों के शरीर, यहाँ तक कि अत्यधिक गर्म (उबलते झरने), ठंडे (ध्रुवीय बर्फ), अम्लीय और क्षारीय वातावरण में भी जीवित रह सकते हैं। गति के लिए ये सिलिया (cilia), फ्लैजेला (flagella) या कोशिका आकार में अस्थायी परिवर्तन (अमीबा के स्यूडोपोडिया (Pseudopodia)) का उपयोग करते हैं। पोषण का तरीका भी विविध होता है, कुछ स्वपोषी (autotrophic) होकर स्वयं भोजन बनाते हैं, कुछ परपोषी (heterotrophic) होकर अन्य जीवों से भोजन प्राप्त करते हैं, और कुछ मृतपोषी (saprotrophic) होकर मृत कार्बनिक पदार्थों से पोषण लेते हैं।

एककोशिकीय जीवों का वर्गीकरण
कोशिका की संरचनात्मक जटिलता के आधार पर एककोशिकीय जीवों को दो मुख्य श्रेणियों में विभाजित किया जाता है, प्रोकैरियोट्स (Prokaryotes) और यूकैरियोट्स (Eukaryotes)। प्रोकैरियोट्स अपेक्षाकृत आदिम और सरल संरचना वाले होते हैं, जिनमें स्पष्ट नाभिक और झिल्ली-बद्ध अंगिकाएँ अनुपस्थित होती हैं। इनका आनुवंशिक पदार्थ साइटोप्लाज्म में बिखरा होता है और यह जीव बहुत छोटे आकार के होते हैं। इसके विपरीत, यूकैरियोट्स में स्पष्ट नाभिक, विभिन्न झिल्ली-बद्ध अंगिकाएँ और जटिल आंतरिक संरचना होती है, जो इन्हें उन्नत और बहुआयामी कार्य करने में सक्षम बनाती है। इस वर्गीकरण से न केवल इनके विकास क्रम का ज्ञान मिलता है, बल्कि यह वैज्ञानिकों को इनके कार्य और महत्व को समझने में भी मदद करता है।

प्रोकैरियोट्स: प्रकार और विशेषताएँ
प्रोकैरियोट्स में सामान्यतः कोशिका भित्ति (cell wall), प्लाज्मा (Plasma) झिल्ली और एक सरल साइटोप्लाज्मिक संरचना होती है। गति के लिए ये फ्लैजेला या पिलाई जैसे अंगों का प्रयोग करते हैं, जबकि कुछ में गति की क्षमता नहीं होती। प्रोकैरियोट्स दो मुख्य प्रकार के होते हैं, आर्किया (Archaea) और यूबैक्टीरिया (Eubacteria)।

  • आर्किया ऐसे जीव हैं जो अत्यंत चरम वातावरण में जीवित रह सकते हैं, जैसे उबलते गर्म झरने, अत्यधिक लवणीय झीलें, गहरे समुद्री वेंट्स (vents), और अत्यधिक अम्लीय या क्षारीय क्षेत्र। इनकी कोशिका भित्ति और जैव-रासायनिक संरचना इन्हें कठोर परिस्थितियों में भी सक्रिय बनाए रखती है।
  • यूबैक्टीरिया सबसे सामान्य प्रोकैरियोट्स हैं, जिन्हें ग्राम-पॉजिटिव (gram-positive) और ग्राम-नेगेटिव (gram-negative) समूहों में विभाजित किया जाता है। कुछ लाभकारी होते हैं, जैसे दही बनाने वाला लैक्टोबेसिलस (Lactobacillus), जबकि कुछ रोगजनक होते हैं, जैसे क्षय रोग (tuberculosis) पैदा करने वाला माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्यूलोसिस (Mycobacterium tuberculosis)।

यूकैरियोट्स: प्रकार और विशेषताएँ
यूकैरियोट्स में नाभिक के भीतर डीएनए सुरक्षित रहता है और माइटोकॉन्ड्रिया (Mitochondria), एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम (endoplasmic reticulum), गोल्जी तंत्र जैसी झिल्ली-बद्ध अंगिकाएँ मौजूद होती हैं। प्रजनन इन जीवों में यौन और अलैंगिक दोनों तरीकों से संभव है। यूकैरियोट्स में मुख्यतः दो प्रकार के एककोशिकीय जीव शामिल होते हैं - प्रोटिस्ट (Protists) और कवक (Fungi)।

  • प्रोटिस्ट में प्रोटोज़ोआ (Protozoa) (जैसे अमीबा, पैरामीशियम), शैवाल (जैसे क्लोरेला (Chlorella), स्पाइरोजाइरा (Spirozygaea)) और जल-कवक आते हैं। ये जीव जल, मिट्टी और अन्य जीवों के अंदर रहकर पोषण प्राप्त करते हैं और कई बार सहजीवी संबंध भी बनाते हैं।
  • कवक में एक प्रमुख एककोशिकीय जीव यीस्ट (Saccharomyces cerevisiae) है, जो ब्रेड, मद्य, सिरका और औद्योगिक एंजाइम (enzymes) बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

एककोशिकीय जीवों का पारिस्थितिक और आर्थिक महत्व
एककोशिकीय जीव पारिस्थितिक तंत्र, चिकित्सा विज्ञान और उद्योग में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पारिस्थितिक दृष्टि से ये खाद्य श्रृंखला के प्राथमिक उत्पादक (कुछ शैवाल) या उपभोक्ता के रूप में कार्य करते हैं और पोषण चक्रों को संतुलित रखते हैं। बैक्टीरिया मृत कार्बनिक पदार्थों को विघटित करके मिट्टी की उर्वरता बनाए रखते हैं। चिकित्सा और औद्योगिक दृष्टि से, कई बैक्टीरिया एंटीबायोटिक्स (antibiotics) (जैसे पेनिसिलिन (penicillin)), प्रोबायोटिक्स (probiotics), और डेयरी (dairy) उत्पाद (दही, पनीर) बनाने में सहायक होते हैं। कुछ प्रोटिस्ट और शैवाल ऑक्सीजन उत्पादन में योगदान करते हैं, जिससे जल और वायुमंडल की गुणवत्ता बनी रहती है। हालांकि, मलेरिया (Malaria), पेचिश, और हैजा (Cholera) जैसे रोग फैलाने वाले हानिकारक एककोशिकीय जीव भी मौजूद हैं। इनके अध्ययन से वैज्ञानिक लाभकारी प्रजातियों का उपयोग बढ़ाने और हानिकारक प्रजातियों के नियंत्रण के नए उपाय खोजने में सक्षम होते हैं, जिससे मानव जीवन और पर्यावरण दोनों को लाभ मिलता है।

संदर्भ-

https://shorturl.at/Jaftw