जर्मनी का बॉहॉस स्कूल जिसने कला, डिजाइन और आधुनिक सोच की राह बदली

घर - आंतरिक सज्जा/कुर्सियाँ/कालीन
26-10-2025 09:14 AM

बॉहॉस (Bauhaus) 1919 से 1933 तक जर्मनी (Germany) में एक महत्वपूर्ण डिजाइन, वास्तुकला और अनुप्रयुक्त कला का विद्यालय था। इसकी स्थापना वास्तुकार वाल्टर ग्रोपियस (Walter Gropius) ने की थी, जिन्होंने वाइमर एकेडमी ऑफ आर्ट्स (Weimar Academy of Fine Arts) और वाइमर स्कूल ऑफ आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स (Weimar School of Arts and Crafts) को मिलाकर इसे बनाया। ‘बॉहॉस’ नाम का अर्थ है “निर्माण का घर” और यह जर्मन शब्द हौसबौ (Hausbau) से लिया गया, जिसका मतलब होता है ‘एक घर का निर्माण’। इस विद्यालय का उद्देश्य कला और तकनीकी कौशल के बीच की दूरी को पाटना और छात्रों को दोनों क्षेत्रों में समान रूप से प्रशिक्षित करना था। बॉहॉस ने व्यक्तिगत विलासिता पर आधारित कला को छोड़कर मशीन उत्पादन और बड़े पैमाने पर निर्माण पर जोर दिया। छात्रों को कार्यशालाओं में प्रवेश के लिए छह महीने का प्रारंभिक पाठ्यक्रम पूरा करना पड़ता था, जो जोहान्स इटेन, जोसेफ अल्बर्स (Josef Albers) और लास्ज़लो मोहोली-नागी (Laszlo Moholi-Nagy) द्वारा पढ़ाया जाता था। कार्यशालाओं में बढ़ईगीरी, धातु और मिट्टी के बर्तन, कांच चित्रकला, दीवार चित्रकला, बुनाई, ग्राफिक्स (graphics), मुद्रण और रंगशिल्प की शिक्षा दी जाती थी। बॉहॉस में 20वीं सदी के कई महान कलाकार शामिल थे, जिन्होंने शिक्षा और कला के क्षेत्र में क्रांति ला दी। इनमें पॉल क्ली (Paul Klee) (कांच चित्रकला), वासिली कैंडिंस्की (Vasily Kandinsky) (दीवार चित्रकला), लियोनेल फीनिंगर (Lionel Feininger) (ग्राफिक कला), ऑस्कर श्लेमर (Oskar Schlemmer) (रंगशिल्प और मूर्तिकला), मार्सेल ब्रेउर (Marcel Breuer) (अंतरंग डिज़ाइन), हर्बर्ट बेयर (Herbert Beyer) (मुद्रण और विज्ञापन), गेरहार्ड मार्क्स (Gerhard Marx) (मिट्टी के बर्तन), और जॉर्ज मुचे (George Muche) (बुनाई) जैसे नाम शामिल थे।

बॉहॉस के दर्शन और डिजाइन सिद्धांतों में चार मुख्य पहलू प्रमुख थे:

  1. कार्यक्षमता: बॉहॉस आंदोलन का आदर्श वाक्य था "रूप कार्य का अनुसरण करता है"। इसका अर्थ है कि डिजाइन में सुंदरता और उपयोगिता का संतुलन बनाए रखना। कलाकारों ने बनावटी सजावट को छोड़कर वस्तुओं को प्रकृति और कार्यक्षमता से जोड़ने का प्रयास किया।
  2. अतिसूक्ष्मवाद: बॉहॉस की डिज़ाइनों की प्रमुख विशेषता उनकी सादगी थी। मिज़ वैन डेर रोहे के अनुसार, "कम भी बहुत है।" डिज़ाइन में सफेद स्थानों और प्राथमिक रंगों का उपयोग करके सादगी और सुंदरता दोनों को बढ़ावा दिया गया।
  3. नवप्रवर्तन: बॉहॉस ने डिजाइन तैयार करने के नए दृष्टिकोण और विचारों को अपनाया। कलाकारों का उद्देश्य था कि सृजन में केवल बाहरी रूप नहीं, बल्कि दुनिया को देखने और समझने के नए तरीके शामिल हों।
  4. कलाकार और कारीगर एकीकरण: ग्रोपियस (Gropius) का उद्देश्य शिल्पकारों और कलाकारों को एक साथ लाना था। बॉहॉस में मुद्रण, कपड़ा, बुनाई, धातु और कैबिनेट (Cabinet) निर्माण शिल्प को ललित कलाओं के समान महत्व दिया गया।

बॉहॉस स्कूल ने 20वीं सदी की आधुनिक वास्तुकला और डिजाइन को नई दिशा दी। इसकी सादगी, कार्यक्षमता और नवप्रवर्तन की सोच ने वैश्विक डिजाइन और कला के मानकों को बदल दिया। इसने न केवल कलाकारों और शिल्पकारों के बीच सहयोग को बढ़ावा दिया, बल्कि औद्योगिक उत्पादन और बड़े पैमाने पर निर्माण के लिए नए दृष्टिकोण प्रस्तुत किए। बॉहॉस का प्रभाव आज भी वास्तुकला, ग्राफिक डिजाइन, फर्नीचर और कला के क्षेत्रों में देखा जा सकता है।

संदर्भ-  
https://tinyurl.com/3acarbnr 
https://tinyurl.com/ydm47s89 
https://tinyurl.com/4hxvf2b9