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नील नदी को दुनिया की सबसे लंबी नदियों में से एक माना जाता है, जिसकी लंबाई लगभग 6,695 किलोमीटर है। हालांकि कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि दक्षिण अमेरिका की अमेज़न नदी लंबाई में इसे पीछे छोड़ सकती है। नील केवल मिस्र तक सीमित नहीं है; यह नदी 11 देशों से होकर बहती है, जिनमें तंज़ानिया, युगांडा, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, रवांडा (Rwanda), बुरुंडी (Burundi), इथियोपिया (Ethiopia), केन्या (Kenya), इरिट्रिया (Eritrea), दक्षिण सूडान (South Sudan), सूडान और मिस्र शामिल हैं। यह नदी सदियों से इन क्षेत्रों की जीवनरेखा रही है और यहाँ के लोगों की कृषि, पेयजल और परिवहन में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। नील नदी के दो प्रमुख सहायक हैं – श्वेत नील (White Nile) और नीली नील (Blue Nile).
श्वेत नील, जिसकी उत्पत्ति विक्टोरिया झील (Lake Victoria) से होती है, लंबाई में बड़ी है और इसे मुख्य स्रोत माना जाता है। वहीं नील नद, जो इथियोपिया की ताना झील से निकलती है, नदी में मिलने के बाद लगभग 80% पानी और पोषक मिट्टी प्रदान करती है। ये दोनों नदियाँ सूडान की राजधानी खार्तूम में मिलती हैं और इसके बाद नील उत्तर की ओर बहते हुए मिस्र पहुँचती है।
प्राचीन काल में नील नदी मिस्रियों के लिए जीवन का स्रोत थी। लगभग 5,000 साल पहले, मिस्रवासी इस नदी के पानी पर निर्भर रहते थे। नदी की हर साल अगस्त में होने वाली बाढ़ उन्हें उपजाऊ भूमि उपलब्ध कराती थी, जिससे वे रेगिस्तानी क्षेत्रों में कृषि कर पाते थे। बाढ़ के समय बहता हुआ पोषक मिट्टी का पानी नदी के किनारों पर जमा हो जाता और यह मिट्टी फसल उगाने के लिए अत्यंत उपयुक्त होती थी। आज नील की बाढ़ नियमित रूप से नहीं होती, क्योंकि 1970 में असवान हाई डैम का निर्माण किया गया। इस बड़े डैम का उद्देश्य नदी के प्रवाह को नियंत्रित करना, बिजली उत्पादन करना, कृषि के लिए सिंचाई करना और नगरों के लिए पेयजल उपलब्ध कराना था। इसके बावजूद, नील नदी आज भी मिस्र और सूडान के लोगों के जीवन का आधार बनी हुई है। देश की अधिकांश आबादी नदी के किनारों पर रहती है और इसका जल उनके जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
नील केवल मनुष्यों के लिए ही नहीं, बल्कि यहाँ के वन्यजीवन के लिए भी जीवनदायिनी है। इसके किनारों पर कई प्रकार की मछलियाँ, पक्षी, कछुए, सरीसृप और हिप्पो पाए जाते हैं। नील मगरमच्छ, जो दुनिया के सबसे बड़े जलजीवों में से एक है, इसी नदी में रहता है। इसके साथ ही नील नदी की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता भी अत्यंत बड़ी है। प्राचीन मिस्र की सभ्यता और सूडान की प्राचीन राज्य व्यवस्था इस नदी के किनारे विकसित हुई और आज भी यहाँ के धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन का केंद्र यही नदी है। मिस्र में हर साल अगस्त में ‘वफा अन्निल’ उत्सव मनाया जाता है, जो नील की प्राचीन बाढ़ का स्मरण कराता है। यह नदी सदियों से लोगों के जीवन में एक मार्गदर्शक और पोषक शक्ति रही है। नील केवल जल का स्रोत नहीं, बल्कि जीवन, संस्कृति और इतिहास की एक निरंतर धारा है, जो आज भी अफ्रीका के लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बनी हुई है।
संदर्भ-
https://tinyurl.com/2wav7s6v
https://tinyurl.com/frmx5tjv
https://tinyurl.com/u437yhfy
https://tinyurl.com/pu8p9j9p
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