पिथौरागढ़: हिमालय की गोद में बसा प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक धरोहरों का शहर

पर्वत, पहाड़ियाँ और पठार
23-11-2025 09:16 AM

पिथौरागढ़ उत्तराखंड का सबसे पूर्वी जिला है, जो अपने पूर्व में नेपाल और उत्तर में तिब्बत से घिरा हुआ है। यह स्थान अपनी अद्वितीय प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है और इसे अक्सर "लिटिल कश्मीर" कहा जाता है। समुद्र तल से लगभग 1,650 मीटर की ऊँचाई पर बसा यह छोटा सा घाटी क्षेत्र लगभग 5 किलोमीटर लंबा और 2 किलोमीटर चौड़ा है। यहाँ मुख्य रूप से कुमाऊनी, हिंदी और अंग्रेज़ी भाषाएँ बोली जाती हैं। पिथौरागढ़ जिले का नाम इस क्षेत्र के पिथौरागढ़ कस्बे पर रखा गया है, जो कुमाऊं क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और सांस्कृतिक केंद्र है।

पिथौरागढ़ का ऐतिहासिक महत्व काफी है। यह कुमाऊं के चंद राजाओं के शासनकाल के दौरान शक्ति का एक मुख्य केंद्र रहा है। यहाँ से तीर्थयात्री मानसरोवर और कैलाश की पवित्र यात्रा प्रारंभ करते हैं। चांडक हिल से नंदा देवी, पंचाचूली और नेपाल के अप्पी पर्वतों का बर्फीला दृश्य साफ़ दिखाई देता है। पिथौरागढ़ का पिथौरागढ़ किला, जो 18वीं सदी में गोरखाओं द्वारा निर्मित किया गया था, इस शहर की ऐतिहासिक शान को दर्शाता है। शहर के बाहरी हिस्से में कपिलेश्वर महादेव गुफा मंदिर स्थित है, जो भगवान शिव को समर्पित है।

यहाँ की गतिविधियाँ भी बेहद विविध हैं। पिथौरागढ़ से कुमाऊं क्षेत्र की कई ट्रेकिंग यात्रा शुरू होती हैं, जिनमें प्रसिद्ध कैलाश-मानसरोवर यात्रा भी शामिल है। पर्यटक गाँव पर्यटन का आनंद ले सकते हैं और स्थानीय लोगों के जीवन, रीति-रिवाज़ और त्योहारों को नज़दीक से जान सकते हैं। यहाँ के नाकुलेश्वर और कपिलेश्वर महादेव मंदिर धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। रोमांच प्रेमियों के लिए पैराग्लाइडिंग भी यहाँ उपलब्ध है। पिथौरागढ़ में होटल और गेस्टहाउस (guesthouse) उपलब्ध हैं, जहाँ बजट और लक्ज़री (luxury) दोनों प्रकार के आवास मिलते हैं। सरकारी गेस्टहाउस और पर्यटन बंगले (KMVN) भी उपलब्ध हैं। भोजन के लिए यहाँ कई रेस्तरां और ढाबे हैं, जो उत्तर भारतीय, दक्षिण भारतीय, चीनी और कॉन्टिनेंटल (continental) व्यंजन परोसते हैं। यहाँ के पारंपरिक कुमाऊनी व्यंजन जैसे गहत दाल, सिसुनक साग, कप्पा और चैनसू स्वादिष्ट होते हैं। मिठाइयों में बाल मिठाई और सिंगौरी प्रसिद्ध हैं।

पिथौरागढ़ का इतिहास भी रोचक है। इसे कभी 'राय पिथोरा' कहा जाता था। 14वीं सदी में पाल वंश का शासन था, जिसे बाद में चंद राजवंश ने 1420 में हराया। इसके बाद यहाँ चंद वंश का वर्चस्व रहा। पिथौरागढ़ से सोअर घाटी और आसपास के हिमालयी पर्वत जैसे नंदा देवी ईस्ट, नंदा देवी वेस्ट, त्रिशूल, राजरंभा, हार्दोल, बम्बाधुरा, नंदाखाट और पंचाचूली समूह का शानदार दृश्य दिखाई देता है। यहाँ मिलम, रालम, नामिक, मीला और बालाती जैसे ग्लेशियर भी हैं। इसके अलावा, पिथौरागढ़ अपने काष्ठकला, ऊनी और हस्तनिर्मित शिल्पों के लिए भी प्रसिद्ध है।


संदर्भ-  
https://tinyurl.com/3ka6erdx 
https://tinyurl.com/5n8he4hh 
https://tinyurl.com/2rtn2b3x 
https://tinyurl.com/3b5t65ht 



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