रामपुर की साँसों पर मंडराता ख़तरा: डीज़ल जनरेटरों पर यूपीपीसीएल की नई पहल से मिलेगी राहत

शहरीकरण - नगर/ऊर्जा
08-11-2025 09:10 AM
रामपुर की साँसों पर मंडराता ख़तरा: डीज़ल जनरेटरों पर यूपीपीसीएल की नई पहल से मिलेगी राहत

रामपुरवासियो, बदलते मौसम और बढ़ती आबादी के साथ हमारे शहर की हवा अब पहले जैसी शुद्ध नहीं रही। कभी अपने हरे-भरे पेड़ों, शांत गलियों और सुहानी हवाओं के लिए मशहूर रामपुर आज धीरे-धीरे धूल और धुएं की चादर में लिपटता जा रहा है। सड़कों पर बढ़ते वाहनों से निकलने वाला धुआं, घरों और दुकानों के पास चल रहे निर्माण कार्यों की उड़ती धूल, और सबसे बढ़कर - बिजली कटौती के दौरान लगातार चलने वाले डीज़ल जनरेटर - अब हमारे वातावरण को ज़हरीला बना रहे हैं। ये जनरेटर भले कुछ घंटों के लिए अंधेरे में रोशनी दे देते हों, लेकिन उनका धुआं हमारे बच्चों, बुज़ुर्गों और बीमार लोगों के लिए अदृश्य खतरा बन चुका है। हवा में मौजूद सूक्ष्म कण (पीएम2.5 (PM2.5), पीएम10 (PM10)) फेफड़ों में जाकर गंभीर बीमारियों का कारण बन रहे हैं, और यही कारण है कि अब “सांस लेना” भी पहले जितना आसान नहीं रहा।
ऐसे समय में उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) द्वारा जारी किए गए नए दिशानिर्देश, रामपुर समेत पूरे प्रदेश के लिए राहत की एक किरण हैं। इन नियमों का उद्देश्य डीज़ल जनरेटरों के उपयोग को सीमित करना और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की ओर लोगों को प्रेरित करना है। यह केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि हमारे भविष्य की सांसों की रक्षा के लिए उठाया गया एहतियाती कदम है। अगर रामपुरवासी इस पहल में भागीदारी दिखाएं और वैकल्पिक ऊर्जा जैसे सोलर पैनल (solar panel) या बैटरी स्टोरेज (battery storage) को अपनाएं, तो आने वाले समय में हम अपने शहर की हवा को फिर से उसी स्वच्छता और ताजगी से भर सकते हैं, जिसके लिए रामपुर कभी जाना जाता था।
आज हम इस लेख में जानेंगे कि भारत में बढ़ते वायु प्रदूषण की वर्तमान स्थिति क्या है और यह हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना खतरनाक बन चुका है। फिर, हम समझेंगे कि डीज़ल जनरेटर किस तरह प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन का प्रमुख कारण बन रहे हैं। इसके बाद, हम विस्तार से देखेंगे कि यूपीपीसीएल (UPPCL) और पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PVVNL) ने डीज़ल जनरेटरों के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए क्या-क्या नए कदम उठाए हैं। अंत में, हम यह भी चर्चा करेंगे कि स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ने और जन-जागरूकता बढ़ाने के लिए हमें व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर क्या प्रयास करने चाहिए।

वायु प्रदूषण की वर्तमान स्थिति और उसके खतरे
आज भारत के कई शहर सांस लेने लायक नहीं बचे हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र समेत देश के औद्योगिक और शहरी इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लगातार “खराब” से “गंभीर” श्रेणी में बना हुआ है। यह स्थिति सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं है - इसका सीधा असर हर व्यक्ति की जिंदगी पर पड़ रहा है। जब हवा में पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसे सूक्ष्म कण बढ़ जाते हैं, तो वे हमारी साँसों के साथ शरीर में प्रवेश कर फेफड़ों में जम जाते हैं। इससे सांस फूलना, खाँसी, आंखों में जलन और थकान जैसी समस्याएं आम हो गई हैं। बच्चों के लिए यह हवा और भी खतरनाक है, क्योंकि उनके फेफड़े अभी पूरी तरह विकसित नहीं होते। वहीं बुजुर्गों और बीमार लोगों के लिए यह जानलेवा साबित हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण अब केवल पर्यावरणीय संकट नहीं, बल्कि यह एक “साइलेंट हेल्थ इमरजेंसी” (Silent Health Emergency) बन चुका है, जो धीरे-धीरे समाज की नींव को कमजोर कर रहा है।

वायु प्रदूषण और मानव स्वास्थ्य पर इसके घातक प्रभाव
वायु प्रदूषण का असर केवल फेफड़ों तक सीमित नहीं रहता - यह शरीर के हर अंग पर चोट करता है। सूक्ष्म कण (पीएम2.5, पीएम10) और गैसें जैसे नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂) या सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) रक्तप्रवाह में जाकर हृदय, मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को भी प्रभावित करती हैं। लंबे समय तक प्रदूषित वातावरण में रहने से दिल के दौरे, स्ट्रोक (stroke), कैंसर (cancer), और मधुमेह जैसे गंभीर रोगों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। बच्चों में अस्थमा और एलर्जी (allergy) तेजी से बढ़ रही है, जबकि गर्भवती महिलाओं में उच्च रक्तचाप और समय से पहले प्रसव जैसी जटिलताएं बढ़ती देखी गई हैं। दुनिया भर के वैज्ञानिक अब इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि प्रदूषण धीरे-धीरे इंसान की जीवन प्रत्याशा घटा रहा है। यानी, जो हवा हमें जीवन देती है, वही अब उसे छीनने लगी है। यह स्थिति केवल चिंता की नहीं, बल्कि तत्काल कार्रवाई की मांग करती है।

File:Engine-generator (medium size, on wheels).jpg

डीज़ल जनरेटर: प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के पीछे की बड़ी वजह
डीज़ल जनरेटर बिजली कटौती की स्थिति में एक जरूरी सहारा माने जाते हैं, लेकिन यह सहारा पर्यावरण पर बहुत भारी पड़ रहा है। इनसे निकलने वाले धुएं में 40 से अधिक विषैले तत्व पाए जाते हैं - जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), नाइट्रोजन ऑक्साइड (NO), सल्फर (sulfur) यौगिक और सूक्ष्म कण। ये गैसें न केवल हवा को प्रदूषित करती हैं, बल्कि अम्लीय वर्षा, जलवायु परिवर्तन और ओज़ोन (ozone) परत के क्षरण का कारण भी बनती हैं। डीज़ल जनरेटरों का शोर प्रदूषण भी मानव मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में इनके अत्यधिक उपयोग से मिट्टी की गुणवत्ता, पौधों की वृद्धि और जलीय जीवन पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है। कहा जा सकता है कि डीज़ल जनरेटर हमारी सुविधा का साधन कम और प्रदूषण का इंजन ज़्यादा बन चुके हैं। समय आ गया है कि हम इनके विकल्प तलाशें और स्वच्छ ऊर्जा की ओर कदम बढ़ाएं।

उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) के नए दिशानिर्देश
वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए यूपीपीसीएल ने नवंबर 2024 एक साहसिक कदम उठाया है। नए दिशानिर्देशों के तहत, राज्य में विशेष रूप से विवाह स्थल, होटल, वाणिज्यिक प्रतिष्ठान और औद्योगिक इकाइयों में डीज़ल जनरेटरों के उपयोग पर सख्त निगरानी रखी जाएगी। अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि जहां संभव हो, वहां ग्रिड बिजली (grid electricity) या सौर ऊर्जा का उपयोग किया जाए। यूपीपीसीएल की यह पहल न केवल बिजली आपूर्ति में सुधार का प्रयास है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा संदेश भी है। ये नियम वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुरूप बनाए गए हैं, ताकि प्रदूषण पर ठोस कार्रवाई की जा सके। यह कदम दर्शाता है कि सरकार अब केवल चेतावनी नहीं दे रही, बल्कि ज़मीन पर बदलाव लाने की दिशा में गंभीर है।

पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PVVNL) की भूमिका
पीवीवीएनएल (PVVNL), जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 14 जिलों को बिजली उपलब्ध कराता है, ने इस अभियान में नेतृत्वकारी भूमिका निभाई है। निगम ने अपने सभी उप-विभागों को निर्देश दिए हैं कि वे डीज़ल जनरेटरों के उपयोग पर सख्त निगरानी रखें और नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करें। इसके अलावा, स्थानीय प्रशासन और नगर निकायों के साथ मिलकर जागरूकता अभियान भी शुरू किए जा रहे हैं, ताकि लोग यह समझ सकें कि डीज़ल जनरेटर बंद करना केवल नियमों का पालन नहीं, बल्कि समाज के स्वास्थ्य की रक्षा है। पीवीवीएनएल की यह पहल दिखाती है कि यदि हर संस्था अपने हिस्से की ज़िम्मेदारी निभाए, तो स्वच्छ हवा का सपना भी हकीकत बन सकता है।

स्वच्छ ऊर्जा की ओर कदम: समाधान और जन-जागरूकता की आवश्यकता
वायु प्रदूषण पर काबू पाने के लिए केवल सरकारी नियम पर्याप्त नहीं हैं - इसके लिए जनभागीदारी और व्यवहार परिवर्तन सबसे अहम हैं। हमें सौर ऊर्जा, बायोगैस (biogas), पवन ऊर्जा और बैटरी बैकअप जैसे पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों को अपनाना होगा। आवासीय सोसाइटियों और छोटे उद्योगों को चाहिए कि वे सौर पैनल लगाकर अपनी बिजली की जरूरतों को आंशिक रूप से खुद पूरा करें। साथ ही, समाज के हर वर्ग में यह समझ विकसित करनी होगी कि “स्वच्छ हवा” कोई विलासिता नहीं, बल्कि यह हमारी जीवनरेखा है। जब हर व्यक्ति अपने स्तर पर जिम्मेदारी निभाएगा - तो न केवल प्रदूषण घटेगा, बल्कि देश भी “ग्रीन एनर्जी इंडिया” (Green Energy India) की दिशा में आगे बढ़ेगा।

संदर्भ- 
https://tinyurl.com/37rk8p9v 
https://tinyurl.com/42uwnuvm 
https://tinyurl.com/3fscxa7j 
https://tinyurl.com/ye294hnr 



Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Messaging Subscribers - This is the total viewership from City Portal subscribers who opted for hyperlocal daily messaging and received this post.

D. Total Viewership - This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

E. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.