| Post Viewership from Post Date to 20- Mar-2021 (5th day) | ||||
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| City Readerships (FB+App) | Website (Direct+Google) | Messaging Subscribers | Total | |
| 2466 | 1670 | 0 | 4136 | |
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सभी नागरिक आर्म्स एक्ट 1959 के अध्याय दो और अध्याय तीन के तहत नियत प्रक्रिया का पालन करके ही गैर-प्रतिबंधित बोर वाली बंदूक को प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं। प्रतिबंधित बोर हथियारों में पिस्तौल (Pistols - 9 मिलीमीटर) और .38, .455 कैलिबर वाली हैंडगन और .303 कैलिबर की राइफलें (Rifles) शामिल हैं। इनमें अर्ध स्वचालित और पूरी तरह से स्वचालित बंदूकें भी शामिल हैं। पहले, यह आमतौर पर केवल रक्षा कर्मियों के लिए ही जारी किए जा सकते थे, लेकिन मुंबई में 2008 के आतंकवादी हमलों के बाद, यह उन लोगों के लिए भी जारी की जा सकती है, जो गंभीर खतरे का शिकार हो सकते हैं या आतंकवादी क्षेत्रों में रहते हैं, या फिर वे सरकारी अधिकारी जिन्हें आतंकवादियों से खतरा है, को भी इन हथियारों को रखने की अनुमति दी जाती है। केवल उन्हीं प्रतिबंधित बोर वाले हथियारों का लाइसेंस प्राप्त किया जा सकता है, जिन्हें सरकारी गजट (Gazette) में सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया है। 1987 के बाद, प्रतिबंधित बोर के लिए लाइसेंस देना पूरी तरह से केंद्र सरकार की जिम्मेदारी बन गई है। संयुक्त राज्य में, किसी भी बन्दूक को प्राप्त करना एक संवैधानिक अधिकार है, लेकिन भारत में इसे विशेषाधिकार के रूप में देखा जा सकता है। कोई भी सामान्य भारतीय नागरिक सक्षम लाइसेंसिंग प्राधिकरण (Licensing Authority) से लाइसेंस प्राप्त किए बिना बंदूक प्राप्त नहीं कर सकता। किसी भी बंदूक पर स्वामित्व प्राप्त करने के सन्दर्भ में भारत और भी कठिन नियम तैयार कर रहा है। बन्दूक रखने वालों को इसे चलाने में अपना प्रशिक्षण प्रदर्शित करना होगा। साथ ही सरकार ने स्कूल सहित कुछ अन्य स्थानों को बन्दूक रहित क्षेत्र निर्धारित किया है। 2016 के संशोधित शस्त्र नियम के अनुसार, एयरगन (Airgun) के लिए भी अब लाइसेंस प्राप्त करना आवश्यक है। नई बन्दूक नीति के प्रस्ताव के अनुसार, एक व्यक्ति को अब केवल एक ही बन्दूक रखने की अनुमति होगी।
बंदूकों के स्वामित्व पर कठोर नियम बनाने के पीछे का एक मुख्य कारण इससे होने वाली मौतों की संख्या में वृद्धि होना हो सकता है। पूरी दुनिया में ही बंदूकों का उपयोग किसी की हत्या करने या आत्महत्या के लिए किया जा रहा है। इसके अलावा बंदूकों द्वारा होने वाली आकस्मिक दुर्घटनाओं के कारण भी अनेकों मौतें होती हैं। 2016 में हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार, पूरी दुनिया में बंदूकों द्वारा होने वाली मौतों की संख्या ब्राजील (Brazil - 43200) में सबसे अधिक है। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र अमेरिका (37200) का स्थान है। इस सूची में भारत तीसरे स्थान (26500) पर है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau) के अनुसार, 2010 और 2014 के बीच बंदूक से संबंधित मौतों की संख्या 3,063 से बढ़कर 3,655 हुई। 2014 में वैध बंदूकों से मारे जाने वाले लोगों की संख्या जहां केवल 14 प्रतिशत थी, वहीं बाकी लोग अवैध बंदूकों से मारे गए थे। इस प्रकार बंदूकों पर निजी स्वामित्व के लिए बनाये जा रहे कठोर नियम बंदूकों की सहायता से होने वाले अपराधों को कम करने में सहायक हो सकते हैं।
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